चंद्रमा (Moon In Hindi) :
चाँद हमारी पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आज से लगभग 450 करोड़ साल पहले थैया नाम के उल्का पिंड से टक्कर होने की वजह से पृथ्वी से एक टुकड़ा अलग हो गया था जो चाँद बन गया। यह सौरमंडल का पांचवां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी के बीच से चंद्रमा के बीच तक की दूरी 384,803 किलोमीटर है।
यह दूरी पृथ्वी की परिधि के 30 गुना है। अगर चंद्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखा जाए तो पृथ्वी स्पष्ट रूप से अपने अक्ष पर घूर्णन करती हुई नजर आती है लेकिन आसमान में उसकी स्थिति हमेशा स्थिर बनी रहती है। चाँद का व्यास पृथ्वी का एक चौथाई है और द्रव्यमान 1/81 है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ग्रह है।
चन्द्र देवता मुख्यतः प्रकाश, मन, माता और शरीर में उपस्थित जल के कारक होते हैं। इनका स्वभाव सत्रैन माना जाता है और ये देव ग्रहों की श्रेणी में आते हैं। चंद्र सातवीं दृष्टि से देखते हैं। भारतीय संस्कृति में चंद्र देवता की पूजा अर्चना का प्रचलन वैदिक काल से भी पुराना है। मन के कारक चंद्रमा देवता की गति सभी नव ग्रहों में सबसे तीव्र होती है।
- चंद्रमा एक छोटा पिंड है जो पृथ्वी के एक चौथाई है।
- चंद्रमा और पृथ्वी मिलकर महीने में सिर्फ दो बार समकोण बनाते हैं।
- चंद्रमा की पृथ्वी से औसत दूरी लगभग 38465 किलोमीटर है।
- चंद्रना को जीवाश्म ग्रह के नाम से भी जाना जाता है।
- जो विज्ञानं चंद्रमा का अध्धयन करता है उसे सेलेनोलॉजी कहा जाता है।
- चंद्रमा पर ही सी ऑफ ट्रांक्वेलिटी नामक स्थान है।
- चंद्रमा की सबसे ऊँची पर्वत चोटी का नाम लीबनिटज है जिसकी ऊँचाई लगभग 35000 फुट है।
- चंद्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा करने में लगभग 27 दिन 7 घंटे 43 मिनट 15 सेकेण्ड का समय लेता है। यह अपने अक्ष पर घूमने में भी इतना ही समय लेता है इसी लिए चंद्रमा से पृथ्वी का एक ही भाग दिखाई देता है।
- जब पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण होता है।
- चन्द्रमा का व्यास लगभग 3476 किलोमीटर और त्रिज्या लगभग 1738 किलोमीटर है।
- सूर्य के सन्दर्भ में चन्द्रमा की परिक्रमा अवधि को साइनोडिक मास या चंद्र मास कहा जाता है।
- जुलाई 1969 में अपोलो द्वितीय अन्तरिक्ष यान से नील आर्मस्ट्रांग और एडविन आल्ड्रिन चंद्रमा पर गए थे। इन्होने
- पहली बार चंद्रमा की स्टश पर कदम रखा था।
चंद्रमा की आंतरिक संरचना :
चंद्रमा एक विभेदित निकाय है जिसका भूरासायनिक रूप से 3 भाग क्रष्ट, मेंटल और कोर है। चंद्रमा का 240 किलोमीटर त्रिज्या का लोहे की बहुलता युक्त एक ठोस भीतरी कोर है और इस भीतरी कोर का बाहरी भाग मुख्य रूप से लगभग 300 किलोमीटर की त्रिज्या के साथ तरल लोहे से बना हुआ है। कोर के चारों तरफ 500 किलोमीटर की त्रिज्या के साथ एक आंशिक रूप से पिघली हुई सीमा परत है।
संघात खड्ड :
संघात खड्ड निर्माण प्रक्रिया एक अन्य प्रमुख भूगर्भिक प्रक्रिया है जिसने चंद्रमा की सतह को प्रभावित किया है, इन खड्डों का निर्माण क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के चंद्रमा की सतह से टकराने के साथ हुआ है। चंद्रमा के अकेले समीपी पक्ष में ही 1 किलोमीटर से अधिक चौडाई के लगभग 3,00,000 खड्डों के होने का अनुमान है।
इनमें से कुछ के नाम विद्वानों, वैज्ञानिकों, कलाकारों और खोजकर्ताओं के नाम पर हैं। चंद्र भूगर्भिक कालक्रम सबसे प्रमुख संघात घटनाओं पर आधारित है जिसमें नेक्टारिस, इम्ब्रियम और ओरियेंटेल शामिल हैं। एकाधिक उभरी सतह के छल्लों द्वारा घिरा होना इन संरचनाओं की खास विशेषता है।
पानी की मौजूदगी :
साल 2008 में चंद्रयान अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की सतह पर जल बर्फ के अस्तित्व की पुष्टि की है। नासा ने इसकी पुष्टि की है।
चुंबकीय क्षेत्र :
चंद्रमा का लगभग 1 से 100 नैनोटेस्ला का एक बाह्य चुंबकीय क्षेत्र है। पृथ्वी की तुलना में यह सौवें भाग से भी कम है।
चंद्रमा की उत्पत्ति :
चंद्रमा की उत्पत्ति के लिए आमतौर पर माना जाता है कि एक मंगल ग्रह के शरीर ने धरती को टक्कर मारी, एक मलबे की अंगूठी बनाकर अंततः एक प्राकृतिक उपग्रह, चंद्रमा में एकत्र किया लेकिन इस विशाल प्रभाव परिकल्पना पर कई भिन्नताएं है साथ-ही-साथ वैकल्पिक स्पष्टीकरण और शोध में चंद्रमा कैसे जारी हुआ।
अन्य प्रस्तावित परिस्थितियों में कब्जा निकाय, विखंडन, एक साथ एकत्रित, ग्रहों संबंधी टकराव और टकराव सिद्धांत शामिल हैं। मानव विशाल-प्रभाव परिकल्पना मंगल ग्रह के आकार के शरीर को बताती है थीआ कहलाती है। पृथ्वी पर प्रभाव पड़ता है जिससे पृथ्वी के चारों तरफ एक बड़ी मलबे की अंगूठी पैदा होती है जिसके बाद चंद्रमा के रूप में प्रवेश किया जाता है।
इस टकराव की वजह से पृथ्वी के 23.5 डिग्री झुकी हुई धुरी भी उत्पन्न हुई जिससे मौसम उत्पन्न हो गया। चंद्रमा के ऑक्सीजन समस्थानिक अनुपात पृथ्वी के लिए अनिवार्य रूप से बराबर दिखते हैं। ऑक्सीजन समस्थानिक अनुपात जिसे बहुत सही मापा जा सकता है, हर सौरमंडल निकाय के लिए एक अद्वियीय और विशिष्ट हस्ताक्षर उत्पन्न करता है।
यदि थीया एक अलग प्रोटॉपलैनेट था तो शायद पृथ्वी से एक अलग ऑक्सीजन आइसोटोप हस्ताक्षर होता जैसा भिन्न-भिन्न मिश्रित पदार्थ होता। इसके अतिरिक्त चंद्रमा के टाइटेनियम आइसोटोप अनुपात पृथ्वी के लगभग प्रतीत होता है अगर कम-से-कम किसी भी टकराने वाले शरीर का द्रव्यमान चंद्रमा का हिस्सा हो सकता है।
अशुभ चंद्र के लक्षण :
अशुभ चंद्र के बहुत से लक्षण होते हैं जैसे – मन अशांत रहना, माता को कष्ट मिलना, घबराहट रहना, अनिश्चित भी लगा रहना, घर में दुधारू पशु की मृत्यु अथवा न रहना, मन में आत्महत्या के विचार आना, इच्छा शक्ति का कमजोर होना आदि।
शुभ चंद्र के लक्षण :
शुभ चंद्र के बहुत से लक्षण होते हैं जैसे – जातक सौम्य प्रवृति का होता है, सोच सकारात्मक रहना, जातक मिलनसार, हमेशा प्रसन्न रहने वाला होता है, व्यवहार कुशल होना, विषम परिस्थिति में भी धैर्य न खोना, तीव्र निर्णय क्षमता होना आदि।
चन्द्र ग्रह की शांति के उपाय :
चंद्र को प्रसन्न करने के लिए बहुत से उपायों को बताया गया है जैसे – सोमवार के दिन वृत रखें, माता को प्रसन्न रखें, माँ की सेवा करें, सोमवार के दिन दूध का दान करें, दही, दूध, चावल, सफेद वस्त्र का सोमवार के दिन दान करने से चंद्र के पाप प्रभाव में कम होने लगते हैं, माता और माता के समान स्त्रियों का आशीर्वाद प्राप्त करें, यदि चंद्र कुंडली में शुभ स्थित हो तो दाहिने हाथ की सबसे छोटी ऊँगली में मोती धारण करें। मोती सूर्यास्त के बाद शाम के समय धारण करें।
चंद्रमा की विशेषताएं :
कर्क राशि के स्वामी चंद्र कुंडली के चौथे भाव में दिशा बली हो जाते हैं। इनकी महादशा 10 साल की होती है। ये वर्ष राशि में उच्च और वृश्चिक राशि में नीच हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कर्क लग्न की कुंडली में मंगल देवता को इष्ट देवता माना जाता है। मीन लग्न की कुंडली में इष्ट देव चंद्रमा देवता होते हैं।
रोहिणी, हस्त व श्रवण नक्षत्र चंद्र देवता से संबंधित होते हैं। चंद्र का शुभ दिन सोमवार, रंग दुधिया सफेद और दिशा उत्तर पश्चिम है। चंद्र का रत्न मोटी, धातु चांदी और देव शिव, बजरंगबली हैं। चंद्र का मित्र ग्रह सूर्य, मंगल और शत्रु ग्रह बुध, शनि हैं। ॐ श्रां श्रीं श्रौं श्रोक्त्म चंद्रमसे नमः चंद्र का बिज मंत्र है।
चंद्रमा के विषय में रोचक तथ्य :
चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है। वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 450 करोड़ वर्ष पहले थैया नाम के उल्कापिंड से पृथ्वी की टक्कर हुई थी और यह टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि पृथ्वी का कुछ हिस्सा टूटकर गिर गया उसी से चाँद की उत्पत्ति हुई। हमारे चाँद को पृथ्वी की परिक्रमा करने में लगभग 28 दिन लगते हैं और इसे सिंक्रोनस मोशन कहा जाता है।
आज तक चाँद पर केवल 12 इंसान ही गए हैं। चंद्रमा हमारी पृथ्वी के आकार का केवल 27% हिस्सा है। चाँद पर जाने वाला पूरी दुनिया का सबसे पहला मनुष्य अमेरिका का नील आर्मस्ट्रांग था जिसने चंद्रमा पर पहली बार 20 जुलाई, 1969 को कदम रखा था। जब हम पृथ्वी से चंद्रमा को देखते हैं तो यह गोल दिखाई देता है लेकिन यह गोल होने की जगह पर अंडाकार है।
पिछले 41 सालों से चाँद पर कोई इंसान नहीं गया है। अगर पृथ्वी पर से चाँद गायब हो जाए तो पृथ्वी का दिन केवल 6 घंटे का ही रह जायेगा। ब्रह्मांड में उपस्थित सभी 63 उपग्रहों में से चाँद आकार में पांचवें स्थान पर है। चंद्रमा का केवल 59% हिस्सा ही पृथ्वी से नजर आता है। जब पृथ्वी पर चंद्र ग्रहण लगता है तो चाँद पर सूर्य ग्रहण लगता है।
चंद्रमा पर हमारा वजन पृथ्वी के वजन के हिसाब से 6 गुना कम हो जाता है अगर पृथ्वी पर आपका वजन 60 किलो है तो चंद्रमा पर आपका वजन केवल 10 किलो ही रह जाएगा। चन्द्रमा का वजन लगभग 81 अरब अथार्त 8100,00,00,000 टन है। आधा चाँद पूरे चाँद से 9 गुना कम चमकदार रहता है। चाँद पर उपस्थित काले धब्बे को चीन में मेंढक कहा जाता है।
चंद्रमा की ऊँची चोटी मानस हुयगोनस है जिसकी लंबाई लगभग 4700 मीटर है। दुनिया के बहुत सारे वैज्ञानिकों के द्वारा चाँद पर पानी होने के दावे किए गए लेकिन सबसे पहले पानी की खोज भारत के द्वारा की गई थी। पृथ्वी से चाँद की दूरी 384,315 किलोमीटर है। चाँद पृथ्वी से हर साल 3.4 सेंटीमीटर दूर खिसक जाता है इस प्रकार 50 अरब साल गुजरने के बाद चाँद पृथ्वी की परिक्रमा 47 दिनों में करेगा।
चाँद की अपनी कोई रोशनी नहीं है बल्कि यह रोशनी सूर्य से आने वाली रोशनी का रिफ्लेक्शन होता है। अगर आप रात के समय चंद्रमा को ध्यान से देखते हैं तो वह हर रात को एक आकार का नहीं दिखता क्योंकि सूरज की रोशनी चाँद के जिस भाग पर पड़ती है हमें चाँद का वही हिस्सा पृथ्वी से दिखाई देता है इसलिए हमें चाँद कभी आधा और कभी पूरा गोल दिखाई देता है।
हमें पृथ्वी से चंद्रमा का सिर्फ 59% भाग ही दिखाई देता है क्योंकि इतने भाग में ही सूर्य की किरणें चंद्रमा पर पड़ती है जिसकी वजह से यह पृथ्वी से आधा नजर आता है बाकी का बचा हुआ हिस्सा पृथ्वी से कभी भी नहीं दिखाई देता है। चंद्रमा पर 14 दिनों का दिन और 14 दिनों की ही रात भी होती है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा 28 दिनों में करता है।
अंतरिक्ष में जाने वाला पहला भारतीय राकेश शर्मा है। चाँद पर बात करना संभव नहीं है क्योंकि वहां पर हवा नहीं है। चाँद अपने अक्ष पर 1.022 किलोमीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से घूमता है जबकि पृथ्वी केवल 465 मीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से घुमती है। पृथ्वी पर होने वाले ज्वार भाटा चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण की वजह से ही होते हैं। चाँद आकार में प्लूटो से भी बड़ा है।
चाँद का क्षेत्रफल अफ्रीका के क्षेत्रफल के बराबर है। 95 km/h की गति से कार से चाँद तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 6 महीने का समय लगता है। साल 2013 के एक सर्वे के अनुसार 7% अमेरिकंस का मानना है कि चंद्रमा पर लेंडिंग केवल एक धोखा है। जब अंतरिक्ष यात्री एलन सैपर्ड चाँद पर थे तब उन्होंने एक गोल्फ बोल को हिट किया था जो लगभग 800 मीटर दूर तक गया था।
अपोलो अंतरिक्ष यान चाँद से वापस आते समय अपने साथ केवल 296 चट्टानों के टुकड़े साथ लेकर आए थे जिनका वजन 382 किलोग्राम था। हमारी पृथ्वी से आसमान हमेशा नीले रंग का ही दिखाई देता है लेकिन चाँद से आसमान नीला नहीं बल्कि काला दिखाई देता है। अपोलो 11 अंतरिक्ष यान का चंद्रमा लेंडिंग के समय बनाया गया वास्तविक वीडियो टेप नष्ट हो गया था यह गलती से दुबारा प्रयोग किया गया था।
साल 2008 में भारत ने ही पहली बार चाँद पर पानी की खोज की थी और यह पॉइंट में अपने फेक्ट्स अबाउट इण्डिया के पोस्ट में भी बताया है। साल 2004 के बाद से जापान, चीन, अमेरिका और यूरोप ने चाँद पर शोध करने के लिए अपने अंतरिक्ष यान भेजे। जब चाँद पर सूर्य की किरणें पड़ती तो चाँद के एक हिस्से का तापमान 123०C तक पहुंच जाता है जबकि दूसरे हिस्से का तापमान 153०C तक गिर जाता है।
चाँद पर इंसानों के द्वारा छोड़े गए 96 बैग ऐसे हैं जिनमें मल, मूत्र और उल्टियाँ हैं। चाँद पर लगभग 1,81,400 किलो का मानव निर्मित मलवा पड़ा हुआ है जिनमें ज्यादातर अंतरिक्ष यान और दुर्घटनाग्रस्त कृत्तिम उपग्रह ही हैं। नील आर्मस्ट्रांग जब पहली बार चाँद पर चले थे तो उनके पास राईट ब्रोदर्स के पहले हवाई जहाज का एक टुकड़ा था।
सन् 1950 में अमेरिका ने परमाणु बम से चंद्रमा को उड़ाने की योजना बनाई थी। अमेरिकी सरकार ने चाँद पर आदमी भेजने और ओसामा बिन लादेन को ढूंढने में समान समय और पैसा खर्च किया था जो 10 साल और 100 बिलियन डॉलर था। चाँद के दिन का तापमान 180०C तक पहुंच जाता है जबकि रात का तापमान -153०C तक। चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत कम है किसी भी प्रकार का वायुमंडल न होने का अर्थ यह है कि सौर वायु और उल्कापिंड के आने का खतरा निरंतर बना रहता है।
चंद्रमा की सतह पर धूल का गुबार सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर मंडराता रहता है इसकी असली वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। बुज एल्ड्रिन चंद्रमा पर पेशाब करने वाले पहले व्यक्ति हैं। चंद्रमा की मिट्टी से बारूद जैसी गंध आती है। चंद्रमा पर जाने से पहले वैज्ञानिकों को आइसलैंड में ट्रेनिग दी जाती है।