उद्गीथ प्राणायाम क्या है :-
उद्गीथ प्राणायाम करते समय ॐ का जाप करना पड़ता है। इसलिए इस प्राणायाम को ओमकारी जप के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राणायाम श्वास सबंधी व्यायाम कराता है। इस प्राणायाम को सुबह सुबह करना बहुत ही लाभदायक होता है। इसलिए इस प्राणायाम को रोजाना करना चाहिए। क्यूंकि इसको करने से शारीरिक व् आध्यत्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह एक अति सरल प्राणायाम और एक प्रकार का मैडिटेशन अभ्यास है। आइये इस प्राणायाम की करने की विधि और इसके लाभों के बारे में जानते हैं।
उद्गीथ प्राणायाम करने के विधि :-
1- सबसे पहले किसी समतल और स्वस्छ जमीन पर चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन, सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं।
2- अब आप गहरी व् लम्बी श्वास लें।
3- अब सांस को धीरे – धीरे छोड़ते समय ॐ का उच्चारण करें।
4- यह प्राणायाम करते समय श्वास पर ध्यान केन्द्रित करना बहुत जरुरी होता है।
5- अब इसी प्रिक्रिया को 5 से 10 मिनट तक दोहरायें।
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समय और अविधि :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। प्राणायाम की अविधि एक साथ नहीं बढानी चाहिए। बल्कि जैसे जैसे अभ्यास होता जाए वैसे -वैसे इसकी समय अविधि बढानी चाहिए।
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उद्गीत प्राणायाम के फायदे :-
1-स्मरण शक्ति बढती है :- इसके नियमित अभ्यास से स्मरण शक्ति बढती है। स्मरण शक्ति हमेशा ध्यान और मन की एकाग्रता पर ही निर्भर होती हैं। हम जिस तरफ जितना अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे उस तरफ हमारी विचार शक्ति उतनी ही अधिक तीव्र हो जायेगी।
2-मन व् दिमाग को करे शांत :- इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होकर मन शांत होता है। चिकित्सा शास्त्र डिप्रेशन का कारण मस्तिष्क में सिरोटोनीन, नार-एड्रीनलीन तथा डोपामिन आदि न्यूरो ट्रांसमीटर की कमी मानता है। तो आप इन सब से छुटकारा पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम को करें।
4-नीद से निजात पायें :- इसको करने से नींद अच्छी आती है। अच्छी नींद आना आवश्यक होता है क्योंकि इससे थकान दूर होकर शरीर ऊर्जा , शक्ति और ताकत से भर जाता है। अगर आपकी नींद ही अच्छी तरह से पूरी नही होगी तो आपके लिए ये घातक सिद्ध हो सकता हैं। अगर आपको नींद की समस्या है तो आप इस प्राणायम के अभ्यास से नींद न आने की समस्या से निजात पा सकते हैं।
5- उच्च रक्तचाप को करे कम :- उच्च रक्त ताप में लाभदायक होता है। हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है।
6- नर्वस सिस्टम को को ठीक रखता है :- नर्वस सिस्टम से संबंधित सभी समस्याओ को दूर करता है।नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र को शरीर का शहंशाह कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इस सिस्टम में ब्रेन भी शामिल होता है। अगर यह सिस्टम किसी रोग या विकार से ग्रस्त हो जाए, तो उस पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है।
7-कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।
8-सकारात्मक सोच बढाने हेतु :- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हम अपनी स्मरणशक्ति व् सकारात्मक सोच बढ़ा सकते हैं। जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है। और इसके साथ-साथ ही इसके अभ्यास से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।
9-एकाग्रता को बढाता है :- मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढती है। हालांकि एकाग्रता को बढ़ाना एक मुश्किल काम है, पर यह नामुमकिन नहीं है. एकाग्रता को बढ़ाने के लिए ढृढ़ता बेहद जरूरी है।
10-गर्भवती महिलाओ के लिए :- इस प्राणायाम के अभ्यास से गर्भवती महिलाओ को बहुत फायदा होता है ,इससे सामान्य डिलीवरी से बच्चा पैदा होता है।
उद्गीत प्राणायाम में सावधानी :-
यह प्राणायाम सुबह -सुबह खाली पेट करना चाहिए। शोर-शराबे वाली जगह पर उद्गीत प्राणायाम नहीं करना चाहिए। योग अभ्यास और आपके खाने के बीच का अंतराल कम से कम 5 घंटो का होना चाहिये। “ॐ कार” की शक्ति पर शंका करने से भी उद्गीत प्राणायाम का फल प्राप्त नहीं होता है। इस प्राणायाम में श्वास लेने और छोड़ने का समय ज्यादा होना बहुत जरुरी है।
Engliah में यहाँ से जाने – Udgeeth Pranayama Breathing Technique