चन्द्र्भेदी प्राणायाम क्या है
चन्द्रभेदी प्राणायाम का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस प्राणायाम को करने से हमारे शरीर में मौजूद नाड़ी जिसे इड़ा नाड़ी कहते हैं वह शुद्ध होती है जिससे शरीर की कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं। इसको करने से चन्द्र नाड़ी क्रियाशील हो जाती है इसलिए इसका नाम चन्द्र्भेदी प्राणायाम पड़ा।
चन्द्र्भेदी प्राणायाम को करने की विधि
1- सबसे पहले किसी समतल व शांत जगह पर दरी बिछाकर उस पर सुखासन की स्थिति में बैठ जाएँ।
2- अब अपनी गर्दन रीड की हड्डी और कमर को सीधा करें।
3- अब अपने बायें हाथ को बायें घुटने पर ही रखें। और दायें हाथ के उंगूठे से दांय नाक के छेद को बंद कर दें।
4- अब बायीं नाक से लंबी और गहरी सांस को भरें और हाथ की अंगुलियों से बायें नाक के छेद को भी बंद कर दें।
5- अब जितना हो सके अपनी स्वास को अंदर ही रोकें।
6- बाद में दाहिने नथुने से धीरे-धीरे श्वास छोड़ दें।
7- अब इसी क्रिया को कम से कम 5-10 मिनट तक करें।
समय और अविधि
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। इस प्राणायम की समय अविधि धीरे- धीरे बढानी चाहिए।
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चन्द्रभेदी प्राणायाम के लाभ
1-मानसिक तनाव दूर होता है :- इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होकर मन शांत होता है। तनाव (Stress) मनःस्थिति से उपजा विकार है। मनःस्थिति एवं परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं असामंजस्य के कारण तनाव उत्पन्न होता है। तनाव एक द्वन्द है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है।
2-आँखों के रोग में फायदेमंद :- इस प्राणायाम को करने से आखों की समस्या से छुटकारा मिलता है। आंख कई छोटे हिस्सों से बनी एक जटिल ग्रन्थि है, जिनमें से प्रत्येक हिस्सा सामान्य दृष्टि हेतु अनिवार्य है। साफ देख पाने की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि ये हिस्से परस्पर कितने बेहतर तरीके से काम करते हैं।
3-उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए यह प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है ।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है।
4-चन्द्र नाड़ी क्रियाशील होती है :- इससे चन्द्र नाड़ी क्रियाशील हो जाती है। शरीर के समस्त नाड़ी मंडल में शीतलता का संचार होता है।
5-चर्म रोग में लाभ :- इस प्राणायाम को करने से चर्म रोग ठीक होते है। त्वचा शरीर का सबसे बडा तंत्र है। यह सीधे बाहरी वातावरण के सम्पर्क में होता है। इसके अतिरिक्त बहुत से अन्य तन्त्रों या अंगों के रोग (जैसे बाबासीर) भी त्वचा के माध्यम से ही अभिव्यक्त होते हैं।
6-दिल की बीमारी में फायदेमंद :- चन्द्र भेदी प्राणायाम करने से दिल की बीमारी में राहत मिलती है। हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मानवों में यह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है।
7-पेट की गर्मी को दूर करता है :- इस प्राणायाम को करने से पेट की गर्मी दूर होती है।
8-मुँह के छालों में फायदेमंद :- इस प्राणायाम के अभ्यास से मुँह के छालों में राहत मिलती है ।मुँह के छाले अक्सर तीखा और रुक्षण भोजन करने से या कब्ज की समस्या के कारण हो जाते हैं। अगर आपको कब्ज रहती है तो पहले अपनी कब्ज का इलाज कीजिये। क्यूंकि छालो को सही कर लोगे तो कब्ज के कारण ये समस्या फिर से उत्पन्न हो जाएगी।
9-पित्त रोग में आराम करता है :- इस प्राणायाम को करने से पित्त रोग में बहुत लाभ होता है। पित्त एक प्रकार का पाचक रस होता है लेकिन यह विष (जहर) भी होता है। पित्त क्षारमय (पतला रस) तथा चिकनाई युक्त होता है तथा इसका रंग सुनहरा तथा गहरा पिस्तई युक्त होता है। पित्त का स्वाद कड़वा होता है। पाचनक्रिया में पित्त का कार्य महत्वपूर्ण होता है।
10-शरीर में फुर्ती लाता है :- इसको करने से शरीर की थकान दूर होकर शरीर में फुर्ती आती है। शारीरिक थकान का सामान्य अर्थ मन अथवा शरीर की सामथ्र्य के घट जाने से लिया जाता है। ऐसी हालत में आदमी से काम नहीं होता या बहुत कम होता है। थका हुआ व्यक्ति निष्क्रिय पड़ा रहता है।
सावधानीः
यह प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए। इस प्राणयाम की अविधि एक साथ नहीं बढानी चाहिए। इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर करें। सर्दियों में तथा कफ प्रकृति वालों के लिए यह हितकर नहीं है। निम्न रक्तचाप के रोगी इस प्राणायाम को न करें। एक ही दिन में सूर्य भेदन प्राणायाम और चंद्र भेदन प्राणायाम न करें।