भस्त्रिका प्राणायाम क्या है :-
भस्त्रिका का अर्थ होता है धौंकनी अर्थात एक ऐसा प्राणायाम जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाज करते हुए वेगपूर्वक शुद्ध प्राणवायु को अन्दर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को बाहर फेंकते हैं। श्वास की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है। यह शब्द संस्कृत से लिया गया है। इसे अंग्रेजी में Bellow’s Breath भी कहा जाता हैं। वात, पित्त और कफ इन त्रिदोष समस्याओं को दूर करने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम एक राम-बाण इलाज है। आयें जानते हैं इसके फायदे और इस प्राणायाम को कैसे किया जाए।
भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि :-
1- सबसे पहले किसी स्वस्छ व् समतल जगह पर चटाई बिछा लें और उस पर पद्मासन या सुखासन किसी अवस्था में बैठ जाएँ।
2- अब अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और अपना सिर बिलकुल सीधा रखें।
3- अब अपने दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस अंदर लें। इतनी सांस लें की वायु फेफड़ों में आ जाये पूरी सांस अन्दर लेने के बाद, दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस को बाहर निकालें। सांस अंदर लेने और छोड़ने की गति “धौकनी” की तरह तीव्र होनी चाहिए और सांस को पूर्ण रूप से अन्दर और बाहर लेना चाहिए ।
4- हमारे दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रहेंगे और आंखें बंद रहेंगी।
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भस्त्रिका प्राणायाम करने की समय और अविधि :-
भस्त्रिका प्राणायाम शुरुआत में प्रति दिन 2 मिनट तक करना चाहिए और अभ्यास बढ़ जाने पर 5-10 मिनट तक नित्य करना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए सुबह का समय सर्वोत्तम बताया गया है।
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भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ :-
1- उर्जा प्राप्त करने के लिए :- इस प्राणायाम के अभ्यास से हमारे मन और शरीर को बहुत उर्जा मिलती है। शरीर विभिन्न तंत्रों के माध्यम से कार्य करता है। उदा.परिसंचरण तंत्र (संचार प्रणाली) (circulatory system),श्वसन तंत्र (respiratory system),पाचन तंत्र (digestive system) इत्यादि। उसी प्रकार एक सूक्ष्म ऊर्जा तंत्र भी होता है,जो भौतिक तथा सूक्ष्म शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
2-पाचन शक्ति मजबूत होती है :- इसके नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति मजबूत किया जा सकता है। हमारा पाचन तंत्र अपनी तय की गई समय सीमा के अनुसार चलता है। इस समय सीमा के कारण हमें दिन के अलग-अलग पहर में भूख लगती है। खाने के बाद हमारा पचान तंत्र अपना काम करना आरंभ करता है।
3-पेट के सभी रोग से मुक्ति :- प्राणायाम का अभ्यास करने से पेट के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। पेट के रोग कई सारे और रोगों का कारण बन सकते हैं। पेट के कुछ आम रोग हैं एसिडिटी, जी मिचलाना और अल्सर इन सभी रोगों से निजात पायी जा सकती है।
4-सभी नाड़ियाँ सुद्ध होती हैं :- भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर की सभी नाड़ियों की शुद्धि होती है। यह प्राणायाम शरीर की सभी 72 हज़ार नाड़ियों में प्राण का संचार कराने में सहायक है, जो नर्वस सिस्टम को ताकत देकर उसकी कमजोरी से होने वाले रोगों में लाभ पहुंचाता है।
5- रक्त संचार प्रक्रिया के लिए :- इसके नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचार प्रक्रिया में सुधार आता है। अगर हमारा रक्त संचार सामान्य रहे तो दिल की बीमारियां न हों और न ही दूसरी बीमारियां।
6- Oxygen की मात्रा को रखे संतुलित :- भस्त्रिका प्राणायाम अभ्यास करने से व्यक्ति के शरीर में oxygen की मात्रा हमेशा संतुलित रहती है। और इसके साथ-साथ ही शरीर को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है। शरीर मे ऑक्सीजन का स्तर 99% होना चाहिए, यह 96% से कम हो जाए तो व्यक्ति हाइपोऑक्सिया का शिकार हो जाता है। फेफड़ों के रोग होने पर सबसे पहले ऑक्सीजन का स्तर घटता है।
7-पेट की चर्बी को करता है कम :- यह प्राणायाम पेट की चर्बी को कम करने में हमारी मदद करता है। पेट की चर्बी या शरीर के अन्य भागों की चर्बी, वसा की एक विशेष रूप से हानिकारक प्रकार है जो आपके अंगों के आसपास जमा होती है।
8-फेफड़ों को मजबूत बनता है :- इसका सबसे अच्छा फायदा ये है की ये हमारे फेफड़ों को मजबूत बनता है ।फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं। इंसान हर रोज करीब 20 हजार बार सांस लेता है और हर सांस के साथ जितनी ज्यादा ऑक्सीजन शरीर के अंदर पहुंचती है, शरीर उतना ही सेहतमंद बना रहता है। इसके लिए जरूरी है कि फेफड़ेे स्वस्थ रहें।
9-स्नायुओं से संबंधित रोगों के लिए :- इस प्राणायाम के अभ्यास से स्नायुओं से संबंधित सभी रोगों में लाभ मिलता है। स्नायु सिर्फ शरीर की संवेदनाओं की वाहक नहीं होतीं वरन मस्तिष्क का महत्त्वपूर्ण भाग भी होती हैं। नसों के रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। अत्यधिक कामुकता के कारण जहाँ जवानी में भी स्नायु दौर्बल्य जैसे रोग हो सकते हैं |और साथ ही अस्थमा / दमा, टीबी और कर्करोग के रोगियो में लाभ होता हैं।
10-श्वास संबंधित समस्याओं के लिए :- इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से श्वास से संबंधित समस्याओं को आसनी से दूर किया जा सकता है। प्रदूषण, धूम्रपान, संक्रमण और जीवनशैली की वजह से बढ़ती अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी सहित श्वास संबंधी विभिन्न समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यह प्राणायाम बहुत ही जरूरी है।
11-कुंडलिनी शक्ति जागने हेतु :- इसके नियमित अभ्यास से हम अपनी कुंडलिनी शक्ति जागृत कर सकते हैं। कुंडलिनी योग के अनुसार, ईश्वर की शक्ति जो ब्रह्मांड को चलाती है उसे चैतन्य कहते है। एक व्यक्ति के विषय में, चैतन्य को चेतना कहते हैं और यह ईश्वरीय शक्ति का वह अंश है जो मनुष्य की क्रियाओं के लिए चाहिए होती है।
12-नाड़ी प्रवाह शुद्ध करने के लिए :- यह प्राणायाम नाड़ी प्रवाह को शुद्ध करता है। सभी कुंभकों में भस्त्रिका कुंभक सबसे लाभकारी होता है। शरीर के भीतर की वे नलियाँ जिनमें होकर रक्त बहता है, विशेषतः वे जिनमें हृदय से शुद्ध रक्त क्षण क्षण पर जाता रहता है।
भस्त्रिका प्राणायाम में क्या सावधानी बरते :
उच्च रक्तचाप , हर्निया , ह्रदय रोग, गर्भवती महिलाए, अल्सर, मिरगी, पथरी, मस्तिष्क आघात इत्यादि के रोगी इस प्राणायाम को न करें। इस प्राणायाम को करने से पहले नाक साफ़ कर लेना अति आवश्यक है। गर्मियों के मौसम मने ये सिर्फ एक ही समय करना चाहिए। भ्रस्त्रिका प्राणायाम प्रात: खुली और साफ हवा में करना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त जब सांस अंदर की और लें तब फेंफड़े फूलने चाहिए। और जब सांस बाहर त्याग करें तब फेंफड़े सिकुड़ने चाहिए। गर्मियों में इसके बाद सितली या सितकारी प्राणायाम करना चाहिए, ताकि शरीर ज्यादा गर्म ना हो जाए।
Engliah में यहाँ से जाने – Bhastrika Pranayama Breath Of Fire