ग्लोबलाइजेशन पर निबंध (Globalisation In Hindi) :
भूमिका : ग्लोबलाइजेशन बाजारों की तीव्रता के माध्यम से पूरी दुनिया भर में व्यवसाय और तकनीकी की उपलब्धता का निर्माण करना है। ग्लोबलाइजेशन ने इस पूरे विश्व में बहुत से बदलाव किए हैं जहाँ लोग अपने देश से दूसरे देशों में अच्छे अवसरों की तलाश में जा रहे हैं।
व्यापार अथवा व्यवसाय के ग्लोबलाइजेशन के लिए कंपनी अथवा कारोबार को अपनी व्यापारिक रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत होती है। उन्हें अपनी व्यापारिक रणनीति को एक देश को ध्यान में न रखते हुए इस प्रकार का बनाना होता है जिससे कि वे बहुत से देशों में कार्य करने में सक्षम हों।
ग्लोबलाइजेशन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय खिलाडियों के लिए व्यवसाय को बढ़ाने, तकनीकी वृद्धि, अर्थव्यवस्था में सुधार करने का एक अच्छा तरीका है। इस तरह से निर्माणकर्ता या उत्पादक अपने उत्पादों या वस्तुओं को पूरे संसार में बिना किसी बाधा के बेच सकते हैं।
यह व्यवसायी या व्यापारी को बड़े स्तर पर लाभ प्रदान करता है क्योंकि ग्लोबलाइजेशन के माध्यम से गरीब देशों में आसानी से कम कीमत पर मजदूर मिल जाते हैं। यह कंपनियों को बड़े स्तर पर वैश्विक बाजार में अवसर प्रदान करता है। यह किसी भी देश की भागीदारी, मिश्रित कारखानों की स्थापना, समता अंशों में निवेश, उत्पादों या किसी भी देश की सेवाओं का विक्रय आदि करने की सुविधा प्रदान करता है।
ग्लोबलाइजेशन : ग्लोबलाइजेशन एक अंग्रेजी का शब्द है जिसे हिंदी में भूमंडलीकरण भी कहा जाता है। ग्लोबलाइजेशन के प्रक्रिया में किसी भी व्यापार, तकनीक और अन्य सेवाओं को पूरी दुनिया के विश्व बाजार में विस्तार करना है। किसी भी एक देश के दूसरे देशों के साथ किसी वस्तु, सेवा, पूंजी, विचार, बौद्धिक संपदा का अप्रतिबंधित लेनदेन ही ग्लोबलाइजेशन कहलाता है।
जिस के तहत किसी भी देश की वस्तु, सेवा, पूंजी आदि बिना किसी रोक टोक के आवाजाही हो। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिन्हें सामान्यता लोग आर्थिक रूप से ही देखते हैं अथार्त पूंजी और वस्तुओं के बेरोक टोक आजावाही को ही वैश्वीकरण का नाम देते हैं।
लेकिन यह आर्थिक क्षेत्र तक सीमित न होकर राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया का नाम है जिसमें संसार के सभी लोग आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनितिक साधनों के समन्वयित विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं।
ग्लोबलाइजेशन का शुभारंभ : जब यूरोपीय देशों में लगभग 16 वीं शताब्दी में साम्राज्यवाद की शुरुआत हुई। ठीक उसी समय से ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत भी हुई थी। इतिहास में इसे अपनाने की बात की जाये तो लगभग सभी देशों ने इसकी 1950 से 60 के दशक से शुरुआत की थी। इसका मुख्य कारण दूसरा विश्व युद्ध था।
इसके बाद सभी राजनीतिज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने ग्लोबलाइजेशन के महत्व को समझा था। इसका नतीजा था कि एक के बाद एक सभी देशों ने धीरे-धीरे ग्लोबलाइजेशन को अपनाना शुरू कर दिया। वर्तमान की संचार पद्धति के कारण पूरी दुनिया एक गाँव के रूप में बदल चुकी है।
इस प्रक्रिया को अंजाम तक पहुँचाने में विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विश्व बैंक के सहयोग से ही ग्लोबलाइजेशन के तहत सभी देशों के मध्य मुक्त व्यापार का प्रदुभाव हो पाया।
ग्लोबलाइजेशन के प्रभाव : ग्लोबलाइजेशन एक व्यवसाय और कारोबार को बहुत प्रकार से प्रभावित करता है। ग्लोबलाइजेशन के पूरे संसार के बाजार पर पड़ने वाले प्रभावों को दो श्रेणियों में बांटा जाता है बाजार ग्लोबलाइजेशन या उत्पादन ग्लोबलाइजेशन।
बाजार ग्लोबलाइजेशन के अंतर्गत दूसरे देशों के बाजारों में अपने उत्पादों अथवा सेवाओं को कम कीमत पर बेचा जाता है वहीं पर दूसरी ओर उन उत्पादों को घरेलू बाजार में अधिक कीमत पर बेचा जाता है। एक कंपनी या करोबार के लिए अपनी सफलता को आसान बनाने के लिए यह बहुत ही जरूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उत्पादों या सेवाओं के विक्रय के ग्लोबलाइजेशन को बहुत ज्यादा प्रभावी बनाया जाए।
उत्पादन ग्लोबलाइजेशन के अंतर्गत एक कारखाने या कंपनी द्वारा बहुत से देशों में स्थानीय रूप से कारखाने स्थापित किए जाते हैं और उनमें कम कीमत पर उसी देश के स्थानीय लोगों से कार्य कराया जाता है जिससे अपने घरेलू देश की तुलना में ज्यादा लाभ प्राप्त किया जाता है।
ग्लोबलाइजेशन का काम : ग्लोबलाइजेशन पूरे संसार के बाजार को एक बाजार मानने में मदद करता है। व्यापारी व्यवसाय के क्षेत्र को एक वैश्विक गाँव मानकर बढ़ाते हैं। सन् 1990 से पहले भारत में कुछ निश्चित उत्पादों का आयात करने पर रोक थी जिनका निर्माण पहले से ही भारत में किया जाता था जैसे – कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुएं, खाद्य वस्तुएं आदि।
सन् 1990 में धनी देशों का विश्व व्यापर संगठन, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष पर गरीब और विकास शील देशों में अपने व्यवसाय को फैलाने के लिए दबाव था। भारत में उदारीकरण और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत सन् 1991 में संघीय वित्त मंत्री द्वारा की गई थी।
बहुत वर्षों के बाद ग्लोबलाइजेशन की वजह से भारतीय बाजार में मुख्य क्रांति आई थी जब बहुत से बहुराष्ट्रीय ब्रैंडों ने जैसे – पेप्सिको, के.एफ.सी. मैक-डोनल्ड, आई.बी.एम, नोकिया आदि ने भारत में सस्ती कीमत पर विभिन्न विस्तृत गुणवत्ता के उत्पादों की बिक्री की।
प्रत्येक नेतृत्वकर्ता ब्रांडों ने ग्लोबलाइजेशन की वास्तविक क्रांति को प्रदर्शित किया जिसके परिणामस्वरूप यहाँ आद्यौगीकरण और अर्थव्यवस्था में बहुत वृद्धि हुई है। बाजारों में गला काट प्रतियोगिता की वजह से गुणवत्ता वाले उत्पादों की कीमत कम हो गई।
भारतीय बाजार में व्यवसायों के ग्लोबलाइजेशन और उदारीकरण से गुणवत्तापूर्ण विदेशी उत्पादों की बाढ़ सी आ गई लेकिन इसने स्थानीय भारतीय बाजार को बहुत अधिक प्रभावित किया। इसके परिणामस्वरूप गरीब और अनपढ़ भारतीय कामगारों की नौकरी चली गई। ग्लोबलाइजेशन सभी उपभोक्ताओं के लिए बहुत अधिक लाभदायक है हालाँकि यह छोटे स्तर के भारतीय उत्पादों के लिए बहुत ही हानिकारक है।
ग्लोबलाइजेशन के लाभ : व्यापर प्रणाली ने ग्लोबलाइजेशन में एक नई जान डाल दी है जिसके बहुत सारे लाभ हैं। ग्लोबलाइजेशन के बाद ही संसार की विभिन्न कंपनियों ने दूसरे देशों में अपनी जगह बनाई थी। नए उद्योगों की स्थापना की वजह से रोजगार में वृद्धि हुई।
ग्लोबलाइजेशन के कारण बहुत से देशों की जीडीपी, राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति, निर्यात, साक्षरता और जन्म मृत्यु दर में सुधार देखा गया है। ग्लोबलाइजेशन ने भारतीय विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र को इंटरनेट के माध्यम से विदेशी विश्वविद्यालयों को भारतीय विश्वविद्यालयों से जोड़ा है जिसकी वजह से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति आई है।
ग्लोबलाइजेशन से स्वास्थ्य का क्षेत्र भी बहुत अधिक प्रभावित हुआ है इसके कारण सामान्य दवाईयां स्वास्थ्य को नियमित करने वाली विद्युत मशीन आदि से उपलब्ध हो जाती है। ग्लोबलाइजेशन ने कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के बीजों की किस्मों को लाकर उत्पादन को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है।
यह महंगे बीजों और कृषि तकनीकियों की वजह से भारतीय गरीब किसानों के लिए अच्छा नहीं है। यह रोजगार क्षेत्र में भी व्यापार जैसे – लघु उद्योग, हाथ के कारखाने, कॉरपेट, ज्वैलरी और कांच के व्यवसाय आदि को बढ़ाने के माध्यम से बहुत बड़े स्तर पर क्रांति लाया है।
ग्लोबलाइजेशन की हानियाँ : ग्लोबलाइजेशन से अधिकतर राष्ट्रों और वर्गों को निश्चित रूप से फायदा तो मिला है लेकिन इस उपभोक्तावादी संस्कृति से भारत जैसे विकासशील देशों पर बहुत अधिक बुरा असर पड़ा। ग्लोबलाइजेशन की वजह से भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला कायम हो गया।
शहरी विकास को महत्व देने की वजह से गांवों से लोगों का शहरों की ओर पलायन और भी तेज हो गया। भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार गाँव ही होते हैं। ग्लोबलाइजेशन की वजह से गाँव की हालत बद से बदतर होती चली गई। साधारण व्यक्ति के जीवन का निर्वाह करने बहुत मुश्किल हो गया है।
कम और अल्पविकसित देशों को बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ा। मजदूरों को पहले की अपेक्षा कम वेतन पर नौकरी करनी पड़ी। अगर इस स्थिति में वे अधिक रोजगार पाने की मांग करते तो उन्हें उस नौकरी से हाथ धोने का डर सताने लगता। क्योंकि उनसे कम कीमत पर भाड़े के मजदूरों का काम करवा लिया जाता था।
भारत में ग्लोबलाइजेशन : संसार के ज्यादातर देशों के द्वारा ग्लोबलाइजेशन प्रणाली को अपनाने के साथ ही प्राचीन समय में भारत को भी अन्य देशों के लिए रास्ते खोलने पड़े थे। इसी दौरान 1991 के आर्थिक संकट में भारत को पूंजीपति राष्ट्रों के पास सोना-चाँदी गिरवी रखकर लोन लेना पड़ा था।
जब भारत ने ग्लोबलाइजेशन की प्रणाली के लिए अपने द्वार खोल दिए तो बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियों के निवेश भारत में किये जाने लगे थे। भारत में ग्लोबलाइजेशन से आयात और निर्यात दोनों में विशेष तौर पर लाभ मिला था। आज तक भारत सूचना और पौद्योगिकी के साथ ऑटोमोबाइल में भी बाकी देशों के मुकाबले बहुत पीछे था लेकिन इस क्षेत्र में विशेष उन्नति हुई।
आज के समय में भारत के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मांग दुनियाभर में बढने लगी है। यह ग्लोबलाइजेशन का ही परिणाम है कि आज दुनिया के हर देश में आईटी क्षेत्र में भारतीय विशेषज्ञों की भरमार है। ग्लोबलाइजेशन ने सभी देशों को तेजी से आर्थिक विकास का एक मंच प्रदान किया है हालाँकि इसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं।
लेकिन कुछ मिलाकर एक-दूसरे देश के सहयोग के बिना किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसका आर्थिक विकास संभव नहीं है। अगर सभी देश राष्ट्रिय भावना के साथ-साथ वैश्विक सोहार्द और परस्पर सहयोग की दिशा में काम करे तो इससे केवल विकासशील देशों को ही फायदा नहीं होगा बल्कि विकसित राष्ट्र भी ग्लोबलाइजेशन से लाभांवित होंगे।
उपसंहार : ग्लोबलाइजेशन वहन करने योग्य कीमत पर गुणवत्ता पूर्ण विभिन्न उत्पादों को लाने और विकसित देशों के साथ ही बड़ी जनसंख्या को रोजगार प्रदान किया है। इसने प्रतियोगिता, अपराध, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, आतंकवाद आदि को बढ़ाया है इसी वजह से यह कुछ खुशियों के साथ दुखों को भी लाता है।
वर्तमान युग वैज्ञानिक युग है जिसमें संसार की राजनीति नए सिरे से संचालित होने लगी है। पहले इसे सामान्य लोग केवल आर्थिक रूप से ही देखते थे लेकिन आज इसका राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है।
अगर प्रतिस्पर्धी राष्ट्र के रूप में न देखकर व्यापार में इन्हें सहयोगी समझकर आगे बढ़ा जाए तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और भाईचारे को बढ़ाने में भी कारगर होगा। आज संचार और सूचना की क्रांति की वजह से पूरी दुनिया एक गाँव का रूप ले चुकी है।