भारतीय संविधान (Indian Constitution In Hindi) :
भारत का संविधान भारत का सर्वोच्च विधान है। भारत , संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुत्तासंपन्न , समाजवादी , धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह गणराज्य भारतीय संविधान द्वारा शासित है। भारतीय संविधान संविधान सभा के द्वारा 26 नवंबर , 1949 को पारित हुआ और 26 जनवरी , 1950 से प्रभावी हुआ।
बाबासाहेब डॉ भीम राव अंबेडकर को भारत के संविधान का निर्माता माना जाता है। वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें संविधान का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे। सारे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। संविधान में प्रशासन या सरकार के अधिकार , उसके कर्तव्य और नागरिकों के अधिकार को विस्तार से बताया गया है।
मसौदा तैयार करने वाली समिति ने संविधान हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया गया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी। 448 अनुच्छेद , 12 अनुसूची , 5 परिशिष्ट और 100 संसाधनों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्मक विशिष्टताओं सहित संघीय हो। केन्द्रिय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है।
भारत का संविधान : संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया। संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन 1946 के प्रावधानों के अनुसार किया गया। संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर , 1946 को डॉ सच्चिदानंद की अध्यक्षता में हुआ। 11 दिसंबर , 1946 को डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
डॉ भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता वाली प्रारूप समिति ने संविधान का निर्माण अंतिम रूप से किया। 26 नवंबर , 1949 को संविधान अंगीकृत , अधिनियम हुआ। 26 जनवरी , 1950 से संविधान लागू हुआ। भारत इसी दिन से गणतंत्र बना। मूल संविधान में 22 भाग 8 अनुसूचियां तथा 395 अनुच्छेद थे। आज वर्तमान में 12 अनुसूचियां हैं।
भारतीय संविधान का दो तिहाई भाग भारत शासन अधिनियम 1935 से लिया गया है। भारतीय संविधान के निर्माण में विभिन्न देशों के संविधान से उनके महत्वपूर्ण तत्व लिए गए हैं। संविधान की प्रस्तावना को संविधान की कुंजी कहा जाता है। 42 संशोधन 1976 द्वारा प्रस्तावना में पंथ निरपेक्ष , समाजवादी और अखण्डता शब्द जोड़े गए।
भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution)
द्वितीय विश्वयुद्ध के समापन के बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन ने भारत संबंधी अपनी नई नीति की घोषणा की तथा भारत की संविधान सभा के निर्माण के लिए एक कैबिनेट मिशन भारत भेजा गया जिसमें 3 मंत्री थे। 15 अगस्त , 1947 को भारत के आजाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना काम 9 दिसंबर , 1946 से शुरू कर दिया।
संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। जवाहरलाल नेहरु , डॉ भीमराव अम्बेडकर , डॉ राजेन्द्र प्रसाद , सरदार वल्लभ भाई पटेल , मौलाना अबुल कलम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। इस संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की।
इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतंत्रता थी। भारत के संविधान के निर्माण में डॉ भीमराव अम्बेडकर ने प्रमुख महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसलिए उन्हें संविधान का निर्माता कहा जाता है। संविधान को 26 जनवरी , 1950 को लागू किया गया था।
भारतीय संविधान के स्त्रोत :
भारतीय संविधान के प्रमुख स्त्रोत राष्ट्र – विविध स्त्रोत इस प्रकार से हैं।
1. संयुक्त राज्य अमेरिका – मौलिक अधिकार , न्यायिक पुनर्विलोकन , संविधान की सर्वोच्चता , न्यायपालिका की स्वतंत्रता , निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग , न्यायधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात , उच्चतम न्यायालय का गठन एवं न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया।
2. ब्रिटेन – संसदीय शासन प्रणाली , एकल नागरिकता व विधि निर्माण की प्रक्रिया , विधि का शासन।
3. आयरलैंड – नीति निर्देशक तत्व , राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल की व्यवस्था , आपातकालीन उपबंध।
4. ऑस्ट्रेलिया – प्रस्तावना की भाषा , संघ राज्य संबंध तथा शक्तियों का विभाजन , समवर्ती सूचि का प्रावधान।
5. सोवियत रूस – मूल कर्तव्य।
6. जापान – विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया।
7. फ्रांस – गणतंत्रात्मक शासन पद्धति।
8. कनाडा – संघात्मक शासन व्यवस्था एवं अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र के पास होना।
9. दक्षिण अफ्रीका – संविधान संसोधन की प्रक्रिया।
10 जर्मनी – आपातकालीन उपबंध।
संविधान के भाग , अनुच्छेद और विवरण :-
भाग 1 : संघ और उसका राज्य क्षेत्र :
अनुच्छेद 1 – संघ का नाम और राज्य क्षेत्र
अनुच्छेद 2 – नए राज्य का प्रवेश या स्थापना
अनुच्छेद 3 – नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों , सीमाओं या नामों में परिवर्तन
अनुच्छेद 4 – पहली अनुसूची और चौथी अनुसूचियों के संशोधन तथा अनुपूरक और परिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियाँ
भाग 2 : नागरिकता
अनुच्छेद 5 – संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
अनुच्छेद 6 – पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार या भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता के अधिकार
अनुच्छेद 7 – पाकिस्तान का प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार या पाकिस्तान जाने वाले व्यक्तियों के लिए नागरिकता के अधिकार
अनुच्छेद 8 – भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों में नागरिकता के अधिकार
अनुच्छेद 9 – विदेशी राज्य की नागरिकता , स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना
अनुच्छेद 10 – नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
अनुच्छेद 11 – संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना
भाग 3 : मौलिक अधिकार
साधारण :
अनुच्छेद 12 – परिभाषा
अनुच्छेद 13 – मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ
समता का अधिकार :
अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समानता
अनुच्छेद 15 – धर्म , मूलवंश , जाति , लिंग या जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता
अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत
अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत
स्वतंत्रता का अधिकार :
अनुच्छेद 19 – वाक-स्वतंत्रता आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण
अनुच्छेद 20 – अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
अनुच्छेद 21 – प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
अनुच्छेद 22 – कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण
शोषण के विरुद्ध अधिकार :
अनुच्छेद 23 – मानव , दुर्व्यवहार और बलात्श्रम का प्रतिषेध
अनुच्छेद 24 – कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार :
अनुच्छेद 25 – अंत:करण की और धर्म की अबाध रूप से मानने , आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 26 – धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 27 – किसी भी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता
अनुच्छेद 28 – कुल शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार :
अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यक-वर्गों के हितों का संरक्षण
अनुच्छेद 30 – शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक-वर्गों का अधिकार
अनुच्छेद 31 – [ निरसन ]
कुछ विधियों की व्यावृत्ति :
अनुच्छेद 31 क – संपदाओं आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
अनुच्छेद 31 ख – कुछ अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण
अनुच्छेद 31 ग – कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावित करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
अनुच्छेद 31 घ – [ निरसन ]
संविधानिक उपचारों का अधिकार :
अनुच्छेद 32 – इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार
अनुच्छेद 32 क – [ निरसन ]
अनुच्छेद 33 – इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का बलों आदि को लागू होने में , उपांतरण करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 34 – जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त हो तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर निर्बंधन
अनुच्छेद 35 – इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने का विधान
भाग 4 – राज्य के नीति निर्देशक तत्व :
अनुच्छेद 36 – परिभाषा
अनुच्छेद 37 – इस भाग में अंतर्विष्ट तत्वों का लागू होना
अनुच्छेद 38 – राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा
अनुच्छेद 39 – राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्व
अनुच्छेद 39 क – समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता
अनुच्छेद 40 – ग्राम पंचायतों का संगठन
अनुच्छेद 41 – कुछ दशाओं में काम , शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार
अनुच्छेद 42 – काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
अनुच्छेद 43 – कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि
अनुच्छेद 43 क – उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना
अनुच्छेद 44 – नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता
अनुच्छेद 45 – बालकों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध
अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति तथा अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि
अनुच्छेद 47 – पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य को सुधार करने का राज्य का कर्तव्य
अनुच्छेद 48 – कृषि और पशुपालन का संगठन
अनुच्छेद 48 क – पर्यावरण का संरक्षण , संवर्धन , वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
अनुच्छेद 49 – राष्ट्रिय महत्व के संस्मारकों , स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
अनुच्छेद 50 – कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण
अनुच्छेद 51 – अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि
भाग 4 ए : मूल कर्तव्य :
अनुच्छेद 51 ए – मूल कर्तव्य
भाग 5 : संघ सरकार
अध्याय 1. कार्यपालिका – राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 52 – भारत के राष्ट्रपति
अनुच्छेद 53 – संघ की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 54 – राष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 55 – राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति
अनुच्छेद 56 – राष्ट्रपति की पदावधि
अनुच्छेद 57 – पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
अनुच्छेद 58 – राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएं
अनुच्छेद 59 – राष्ट्रपति पद के लिए शर्तें
अनुच्छेद 60 – राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 61 – राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
अनुच्छेद 62 – राष्ट्रपति पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि
अनुच्छेद 63 – भारत का उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 64 – उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन सभापति होना
अनुच्छेद 65 – राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन
अनुच्छेद 66 – उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 67 – उपराष्ट्रपति की पदावधि
अनुच्छेद 68 – उपराष्ट्रपति पद में रिक्ति के स्थान को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि
अनुच्छेद 69 – उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 70 – अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन
अनुच्छेद 71 – राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त विषयत
अनुच्छेद 72 – क्षमता आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन , परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद 73 – संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
मंत्री-परिषद :
अनुच्छेद 74 – राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्री परिषद
अनुच्छेद 75 – मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
भारत का महान्यायवादी :
अनुच्छेद 76 – भारत का महान्यायवादी
सरकारी कार्य का संचालन :
अनुच्छेद 77 – भारत सरकार के कार्य का संचालन
अनुच्छेद 78 – राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य
अध्याय 2. संसद – साधारण
अनुच्छेद 79 – संसद का गठन
अनुच्छेद 80 – राज्य सभा की संरचना
अनुच्छेद 81 – लोक सभा की संरचना
अनुच्छेद 82 – प्रत्येक जनगणना के पश्चात पुनः समायोजन
अनुच्छेद 83 – संसद के सदनों की अवधि
अनुच्छेद 84 – संसद की सदस्यता के लिए अर्हता
अनुच्छेद 85 – संसद के स्तर , सत्रावसान और विघटन
अनुच्छेद 86 – सदनों के अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार
अनुच्छेद 87 – राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण
अनुच्छेद 88 – सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार
संसद के अधिकारी :
अनुच्छेद 89 – राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 90 – उपसभापति का पद रिक्त होना , पदत्याग और पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 91 – सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
अनुच्छेद 92 – जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
अनुच्छेद 93 – लोकसभा और अध्यक्ष , उपाध्यक्ष
अनुच्छेद 94 – अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना , पदत्याग तथा पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 95 – अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों को पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति
अनुच्छेद 96 – जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
अनुच्छेद 97 – सभापति और उपसभापति तथा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 98 – संसद का सचिवालय
कार्य संचालन :
अनुच्छेद 99 – सदस्यों स्वर शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 100 – सदनों में मतदान , रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
सदस्यों की निरर्हताएँ :
अनुच्छेद 101 – स्थानों का रिक्त होना
अनुच्छेद 102 – सदस्यता के लिए निरर्हताएं
अनुच्छेद 103 – सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
अनुच्छेद 104 – अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शक्ति
संसद और उसके सदस्यों की शक्तियाँ , विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां :
अनुच्छेद 105 – संसद के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ , विशेषाधिकार आदि
अनुच्छेद 106 – सदस्यों के वेतन और भत्ते
विधायी प्रक्रिया :
अनुच्छेद 107 – विधेयकों के पुनः स्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध
अनुच्छेद 108 – कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
अनुच्छेद 109 – धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
अनुच्छेद 110 – धन विधेयक की परिभाषा
अनुच्छेद 111 – विधेयकों पर अनुमति
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया :
अनुच्छेद 112 – वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 113 – संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
अनुच्छेद 114 – विनियोग विधेयक
अनुच्छेद 115 – अनुपूरक , अतिरिक्त या अधिक अनुदान
अनुच्छेद 116 – लेखानुदान , प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान
अनुच्छेद 117 – वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध
साधारणतया प्रक्रिया :
अनुच्छेद 118 – प्रक्रिया के नियम
अनुच्छेद 119 – संसद में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
अनुच्छेद 120 – संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 121 – संसद में चर्चा पर निर्बंधन
अनुच्छेद 122 – न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना
अध्याय 3. राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ :
अनुच्छेद 123 – संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अध्याय 4. संघ की न्यायपालिका :
अनुच्छेद 124 – उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन
अनुच्छेद 125 – न्यायधीशों के वेतन आदि
अनुच्छेद 126 – कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति
अनुच्छेद 127 – तदर्थ न्यायधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 128 – उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायधीशों की उपस्थिति
अनुच्छेद 129 – उच्चतम न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना
अनुच्छेद 130 – उच्चतम न्यायालय का स्थान
अनुच्छेद 131 – उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता
अनुच्छेद 131 क – [ निरसन ]
अनुच्छेद 132 – कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
अनुच्छेद 133 – उच्च न्यायालयों में सिविल विषयों से संबंधित अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
अनुच्छेद 134 – दांडिक विषयों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
अनुच्छेद 134 क – उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए प्रमाणपत्र
अनुच्छेद 135 – विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना
अनुच्छेद 136 – अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत
अनुच्छेद 137 – निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालयों द्वारा पुनर्विलोकन
अनुच्छेद 138 – उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता की वृद्धि
अनुच्छेद 139 – कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना
अनुच्छेद 139 क – कुछ मामलों का अंतरण
अनुच्छेद 140 – उच्चतम न्यायालय की आनुषंगिक शक्तियाँ
अनुच्छेद 141 – उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होना
अनुच्छेद 142 – उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश
अनुच्छेद 143 – उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद 144 – सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय
अनुच्छेद 144 क – [ निरसन ]
अनुच्छेद 145 – न्यायालय के नियम आदि
अनुच्छेद 146 – उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
अनुच्छेद 147 – निर्वचन
अध्याय 5. भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक :
अनुच्छेद 148 – भारत का नियंत्रक – महा लेखापरीक्षक
अनुच्छेद 149 – नियंत्रक महा लेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियाँ
अनुच्छेद 150 – संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप
अनुच्छेद 151 – संपरीक्षा प्रतिवेदन
भाग 6 – राज्य सरकार से संबंधित :
अध्याय 1. साधारण :
अनुच्छेद 152 – परिभाषा
अध्याय 2. कार्यपालिका राज्यपाल
अनुच्छेद 153 – राज्यों के राज्यपाल
अनुच्छेद 154 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 155 – राज्यपाल की नियुक्ति
अनुच्छेद 156 – राज्य की पदावधि
अनुच्छेद 157 – राज्यपाल के पद के लिए शर्तें
अनुच्छेद 158 – राज्यपाल पद के लिए शर्तें
अनुच्छेद 159 – राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 160 – कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन
अनुच्छेद 161 – क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन , परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति
अनुच्छेद 162 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
मंत्रिपरिषद :
अनुच्छेद 163 – राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्री परिषद
अनुच्छेद 164 – मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
राज्य का महाविधवक्ता :
अनुच्छेद 165 – राज्य का महाधिवक्ता
सरकारी कार्य का संचालन :
अनुच्छेद 166 – राज्य की सरकार के कार्य का संचालन
अनुच्छेद 167 – राज्यपाल को जानकारी देने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य
अध्याय 3. राज्य का विधान मंडल – साधारण :
अनुच्छेद 168 – राज्यों के विधानमंडलों का गठन
अनुच्छेद 169 – राज्यों में विधान परिषदों का उत्सादन या सृजन
अनुच्छेद 170 – विधान सभाओं की संरचना
अनुच्छेद 171 – विधान परिषदों की संरचना
अनुच्छेद 172 – राज्यों की विधान मंडलों की अवधि
अनुच्छेद 173 – राज्य के विधानमंडल की सदस्यता के लिए अर्हता
अनुच्छेद 174 – राज्य के विधानमंडल के सत्र , सत्रवहसान और विघटन
अनुच्छेद 175 – सदन और सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार
अनुच्छेद 176 – राज्यपाल का विशेष अभिभाषण
अनुच्छेद 177 – सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार
राज्य के विधानमंडल के अधिकारी :
अनुच्छेद 178 – विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अनुच्छेद 179 – अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना , पदत्याग और पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 180 – अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति
अनुच्छेद 181 – जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
अनुच्छेद 182 – विधान परिषद का सभापति और उपसभापति
अनुच्छेद 183 – सभापति और उपसभापति का पद रिक्त होना , पदत्याग और पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 184 – सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
अनुच्छेद 185 – जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
अनुच्छेद 186 – अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 187 – राज्य के विधानमंडल का सचिवालय
कार्य संचालन :
अनुच्छेद 188 – सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 189 – सदनों में मतदान , रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
सदस्यों की निरर्हताएं :
अनुच्छेद 190 – स्थानों का रिक्त होना
अनुच्छेद 191 – सदस्यता के लिए निरर्हताएं
अनुच्छेद 192 – सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
अनुच्छेद 193 – अनुच्छेद 188 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञा करने से पहले या आर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शक्ति
राज्यों के विधानमंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियाँ , विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां :
अनुच्छेद 194 – विधानमंडलों के सदनों की और सदस्यों की तथा समितियों की शक्तियाँ , विशेषाधिकार आदि
अनुच्छेद 195 – सदस्यों के वेतन और भत्ते
विधायी प्रक्रिया :
अनुच्छेद 196 – विधेयकों के पुनः स्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध
अनुच्छेद 197 – धन विधेयकों से भिन्न विधेयकों के बारे में विधान परिषद की शक्तियों पर निर्बंधन
अनुच्छेद 198 – धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
अनुच्छेद 199 – धन विधेयक की परिभाषा
अनुच्छेद 200 – विधेयकों पर अनुमति
अनुच्छेद 201 – विचार के लिए आरक्षित विधेयक
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया :
अनुच्छेद 202 – वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 203 – विधानमंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
अनुच्छेद 204 – विनियोग विधेयक
अनुच्छेद 205 – अनुपूरक , अतिरिक्त या अधिक अनुदान
अनुच्छेद 206 – लेखानुदान , प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान
अनुच्छेद 207 – वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध
साधारणतया प्रक्रिया :
अनुच्छेद 208 – प्रक्रिया के नियम
अनुच्छेद 209 – राज्य के विधानमंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
अनुच्छेद 210 – विधानमंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 211 – विधानमंडल में चर्चा पर निर्बंधन
अनुच्छेद 212 – न्यायालयों द्वारा विधानमंडल की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना
अध्याय 4. राज्यपाल की विधायी शक्ति :
अनुच्छेद 213 – विधानमंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्याति करने की राज्यपाल की शक्ति
अध्याय 5. राज्यों के उच्च न्यायालय :
अनुच्छेद 214 – राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
अनुच्छेद 215 – उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
अनुच्छेद 216 – उच्च न्यायालयों का गठन
अनुच्छेद 217 – उच्च न्यायालय के न्यायधीश की नियुक्ति और उसके पद की शर्तें
अनुच्छेद 218 – उच्चतम न्यायालय से संबंधित कुछ उपबंधों का उच्च न्यायालयों का लागू होना
अनुच्छेद 219 – उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 220 – स्थायी न्यायाधीश रहने के पश्चात विधि व्यवसाय पर निर्बंधन
अनुच्छेद 221 – न्यायाधीशों के वेतन आदि
अनुच्छेद 222 – किसी न्यायाधीश का एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय को अंतरण
अनुच्छेद 223 – कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति
अनुच्छेद 224 – ऊपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 224 क – उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत्ति न्यायधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 225 – विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारिता
अनुच्छेद 226 – कुछ रिट निकालने की उच्च न्यायालय की शक्ति
अनुच्छेद 226 क – [ निरसन ]
अनुच्छेद 227 – सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति
अनुच्छेद 228 – कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण
अनुच्छेद 228 क – [ निरसन ]
अनुच्छेद 229 – उच्च न्यायालयों के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
अनुच्छेद 230 – उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्य क्षेत्रों पर विस्तार
अनुच्छेद 231 – दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
अध्याय 6. अधीनस्थ न्यायालय :
अनुच्छेद 232 – जिला न्यायधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 233 – कुछ जिला न्यायधीशों की नियुक्तियों का और उनके द्वारा किए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण
अनुच्छेद 234 – न्यायिक सेवा में जिला न्यायधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भर्ती
अनुच्छेद 235 – अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
अनुच्छेद 236 – निर्वचन
अनुच्छेद 237 – कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होना
भाग 7 – पहली अनुसूची के भाग ख के राज्य :
अनुच्छेद 238 – [ निरसन ]
भाग 8 – केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन :
अनुच्छेद 239 – संघ राज्यक्षेत्रों का प्रशासन
अनुच्छेद 239 क – कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के लिए स्थानीय विधानमंडलों या मंत्री-परिषदों का या दोनों का सृजन
अनुच्छेद 239 ख – दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 239 खक – सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध
अनुच्छेद 239 खख – विधानमंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की प्रशासक की शक्ति
अनुच्छेद 240 – कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद 241 – संघ राज्य क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय
अनुच्छेद 242 – [ निरसन ]
भाग 9 – पंचायत :
अनुच्छेद 243 – परिभाषाएं
अनुच्छेद 243 क – ग्राम सभा
अनुच्छेद 243 ख – पंचायतों का गठन
अनुच्छेद 243 ग – पंचायतों की संरचना
अनुच्छेद 243 घ – स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 243 ड – पंचायतों की अवधि आदि
अनुच्छेद 243 च – सदस्यता के लिए निरर्हताएं
अनुच्छेद 243 छ – पंचायतों की शक्तियाँ , प्राधिकार और उत्तरदायित्व
अनुच्छेद 243 झ – वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन
अनुच्छेद 243 ञ – पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा
अनुच्छेद 243 ट – पंचायतों के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद 243 ठ – संघ राज्य क्षेत्रों को लागू होना
अनुच्छेद 243 ड – इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना
अनुच्छेद 243 ढ – विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना
अनुच्छेद 243 ण – निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायलयों के हस्तक्षेप का वर्जन
भाग 9 ए – नगरीय निकाय :
अनुच्छेद त – परिभाषाएं
अनुच्छेद थ – नगरपालिकाओं का गठन
अनुच्छेद द – नगरपालिकाओं की संरचना
अनुच्छेद ध – वार्ड समितियों आदि का गठन और संरचना
अनुच्छेद न – स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद प – नगरपालिकाओं की अवधि आदि
अनुच्छेद फ – सदस्यता के लिए निरर्हताएं
अनुच्छेद ब – नगरपालिकाओं की शक्तियाँ , प्राधिकार और उत्तरदायित्व
अनुच्छेद भ – नगरपालिकाओं द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति और उनकी निधियां
अनुच्छेद म – वित्त आयोग
अनुच्छेद य – नगरपालिकाओं के लेखों की संपरीक्षा
अनुच्छेद यक – नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद यख – संघ राज्यक्षेत्रों का लागू होना
अनुच्छेद यग – इस भाग का कतिपय क्षेत्रों का लागू न होना
अनुच्छेद यघ – जिला योजना के लिए समिति
अनुच्छेद यड – महानगर योजना के लिए समिति
अनुच्छेद यच – विद्यमान विधियों और नगरपालिकाओं का बना रहना
अनुच्छेद यछ – निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
भाग 10 – अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र :
अनुच्छेद 244 – अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन
अनुच्छेद 244 क – असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधानमंडल या मंत्रीपरिषद का या दोनों का सृजन
भाग 11 – संघ और राज्यों के बिच संबंध :
अध्याय 1. विधायी संबंध – विधायी शक्तियों का वितरण
अनुच्छेद 245 – संसद द्वारा राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार
अनुच्छेद 246 – संसद द्वारा और राज्य के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषयवस्तु
अनुच्छेद 247 – कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 248 – अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ
अनुच्छेद 249 – राज्य सूची में विषय के संबंध में राष्ट्रिय हित में विधि बनाने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 250 – यदि आपात की उदघोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूचि में विषय के संबंध में विधि
अनुच्छेद 251 – संसद द्वारा अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के अधीन बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति
अनुच्छेद 252 – दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति और ऐसी विधि का किसी अन्य राज्य द्वारा अंगीकार किया जाना
अनुच्छेद 253 – अंतर्राष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान
अनुच्छेद 254 – संसद द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति
अनुच्छेद 255 – सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया के विषय मानना
अध्याय 2. प्रशासनिक संबंध साधारण
अनुच्छेद 256 – राज्यों की ओर संघ की बाध्यता
अनुच्छेद 257 – कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण
अनुच्छेद 257 क – [ निरसन ]
अनुच्छेद 258 – कुछ दशाओं में राज्यों को शक्ति प्रदान करने आदि की संघ शक्ति
अनुच्छेद 258 क – संघ को कृत्य सौंपने की राज्यों की शक्ति
अनुच्छेद 259 – [ निरसन ]
अनुच्छेद 260 – भारत के बाहर के राज्य क्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता
अनुच्छेद 261 – सार्वजनिक कार्य , अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियां
जल संबंधी विवाद :
अनुच्छेद 262 – अन्तरराज्यिक नदियों या नदी दुनों के जल संबंधी विवादों का न्यायनिर्णयन
राज्यों के बीच समंवय :
अनुच्छेद 263 – अंतरराज्य परिषद के संबंध में उपबंध
भाग 12. वित्त , संपत्ति , संविदाएं और वाद :
अध्याय 1. वित्त – साधारण :
अनुच्छेद 264 – विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
अनुच्छेद 265 – विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
अनुच्छेद 266 – भारत और राज्यों के संचित निधियां और लोक लेखे
अनुच्छेद 267 – आकस्मिकता निधि
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण :
अनुच्छेद 268 – संघ द्वारा उदगृहीत किया जाने वाले किन्तु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किए जाने वाले शुल्क
अनुच्छेद 269 – संघ द्वारा उदगृहीत और संगृहीत किन्तु राज्यों को सौंपे जाने वाले कर
अनुच्छेद 270 – उदगृहीत कर और उनका संघ तथा राज्यों के बीच वितरण
अनुच्छेद 271 – कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार
अनुच्छेद 272 – [ निरसन ]
अनुच्छेद 273 – जूट पर और जूट उत्पादों का निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान
अनुच्छेद 274 – ऐसे कराधान पर जिसमें राज्य हितबद्ध है , प्रभाव डालने वाले विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश की अपेक्षा
अनुच्छेद 275 – कुछ राज्यों को संघ अनुदान
अनुच्छेद 276 – वृत्तियों , व्यापारों , आजीविकाओं और नियोजनों पर कर
अनुच्छेद 277 – व्यावृत्ति
अनुच्छेद 278 – [ निरसन ]
अनुच्छेद 279 – शुद्ध आगम आदि की गणना
अनुच्छेद 280 – वित्त आयोग
अनुच्छेद 281 – वित्त आयोग की सिफारिशें
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध :
अनुच्छेद 282 – संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व के लिए जाने वाले व्यय
अनुच्छेद 283 – संचित निधियों , आकस्मिकता निधियों और लोक लेखों में जमा धनराशियों की अभिरक्षा आदि
अनुच्छेद 284 – लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा
अनुच्छेद 285 – संघ और संपत्ति को राज्य के कराधार से छूट
अनुच्छेद 286 – माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन
अनुच्छेद 287 – विद्युत पर करों से छूट
अनुच्छेद 288 – जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधार से कुछ दशाओं में छूट
अनुच्छेद 289 – राज्यों की संपत्ति और आय को संघ और कराधार से छूट
अनुच्छेद 290 – कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन
अनुच्छेद 290 क – कुछ देवस्वम निधियों की वार्षिक संदाय
अनुच्छेद 291 – [ निरसन ]
अध्याय 2. उधार लेना :
अनुच्छेद 292 – भारत सरकार द्वारा उधार लेना
अनुच्छेद 293 – राज्यों द्वारा उधार लेना
अध्याय 3. संपत्ति संविदाएं , अधिकार , दायित्व , बाध्यताएं और वाद :
अनुच्छेद 294 – कुछ दशाओं में संपत्ति , आस्तियों , अधिकारों , दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
अनुच्छेद 295 – अन्य दशाओं में संपत्ति , आस्तियों , अधिकारों , दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
अनुच्छेद 296 – राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोदभूत संपत्ति
अनुच्छेद 297 – राज्य क्षेत्रीय सागर खण्ड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र संपत्ति स्त्रोतों का संघ में निहित होना
अनुच्छेद 298 – व्यापर करने आदि की शक्ति
अनुच्छेद 299 – संविदाएं
अनुच्छेद 300 – वाद और कार्यवाहियां
अध्याय 4. संपत्ति का अधिकार :
अनुच्छेद 300 क – विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना
भाग 13 – भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापर , वाणिज्य और समागम भारत के संघ राज्य क्षेत्र :
अनुच्छेद 301 – व्यापार , वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 302 – व्यापार , वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 303 – व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन
अनुच्छेद 304 – राज्यों के बीच व्यापार , वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन
अनुच्छेद 305 – विद्यमान विधियों और राज्यों के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
अनुच्छेद 306 – [ निरसन ]
अनुच्छेद 307 – अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति
भाग 14 – संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं :
अध्याय 1. सेवाएं :
अनुच्छेद 308 – निर्वचन
अनुच्छेद 309 – संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें
अनुच्छेद 310 – संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि
अनुच्छेद 311 – संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना
अनुच्छेद 312- अखिल भारतीय सेवाएं
अनुच्छेद 312 क – कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तों में परिवर्तन करने या उन्हें प्रतिसंहृत करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 313 – संक्रमण कालीन उपबंध
अनुच्छेद 314 – [ निरसन ]
अध्याय 2. लोक सेवा आयोग :
अनुच्छेद 315 – संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
अनुच्छेद 316 – सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि
अनुच्छेद 317 – लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलंबित किया जाना
अनुच्छेद 318 – आयोग के सदस्यों और कर्मचारिवृंद की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति
अनुच्छेद 319 – आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध
अनुच्छेद 320 – लोक सेवा आयोगों के कृत्य
अनुच्छेद 321 – लोक सभा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति
अनुच्छेद 322 – लोक सेवा आयोगों के व्यय
अनुच्छेद 323 – लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन
भाग 14 क. – अभिकरण :
अनुच्छेद 323 क – प्रशासनिक अधिकरण
अनुच्छेद 323 ख – अन्य विषयों के लिए अधिकरण
भाग 15 – निर्वाचन :
अनुच्छेद 324 – निर्वाचनों के अधीक्षण , निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना
अनुच्छेद 325 – धर्म , मूलवंश , जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति का निर्वाचक नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र न होना और उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित किये जाने का दावा न किया जाना
अनुच्छेद 326 – लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचनों का व्यस्क मताधिकार के आधार पर होना
अनुच्छेद 327 – विधानमंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 328 – किसी राज्य के विधानमंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधानमंडल की शक्ति
अनुच्छेद 329 – निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
अनुच्छेद 329 क – [ निरसन ]
भाग 16 – कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध :
अनुच्छेद 330 – लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 331 – लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
अनुच्छेद 332 – राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 333 – राज्यों की विधान सभाओं में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
अनुच्छेद 334 – स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का साठ साल के बाद न रहना
अनुच्छेद 335 – सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावे
अनुच्छेद 336 – कुछ सेवाओं में आंग्ल भारतीय स्मेदय के लिए विशेष उपबंध
अनुच्छेद 337 – आंग्ल भारतीय समुदाय के लाभ के लिए शैक्षिक अनुदान के लिए विशेष उपबंध
अनुच्छेद 338 – राष्ट्रिय अनुसूचित जाति आयोग
अनुच्छेद 338 क – राष्ट्रिय अनुसूचित जनजाति आयोग
अनुच्छेद 339 – अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में संघ का नियंत्रण
अनुच्छेद 340 – पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति
अनुच्छेद 341 – अनुसूचित जातियां
अनुच्छेद 342 – अनुसूचित जनजातियाँ
भाग 17 – राजभाषा :
अध्याय 1. संघ की भाषा :
अनुच्छेद 343 – संघ की राजभाषा
अनुच्छेद 344 – राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति
अध्याय 2. प्रादेशिक भाषाएँ :
अनुच्छेद 345 – राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं
अनुच्छेद 346 – एक राज्य और दुसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा
अनुच्छेद 347 – एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा
अध्याय 3. उच्चतम न्यायालय , उच्च न्यायालयों आदि की भाषा :
अनुच्छेद 348 – उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों , विधेयकों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 349 – भाषा से संबंधित कुछ विधियाँ अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया
अध्याय 4. विशेष निदेश :
अनुच्छेद 350 – व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 350 क – प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएँ
अनुच्छेद 350 ख – भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी
अनुच्छेद 351 – हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश
भाग 18 – आपात उपबंध :
अनुच्छेद 352 – आपात की उदघोषणा
अनुच्छेद 353 – आपात की उदघोषणा का प्रभाव
अनुच्छेद 354 – जब आपात की उदघोषणा प्रवर्तन में है तब राजस्वों के वितरण संबंधी उपबंधों का लागू होना
अनुच्छेद 355 – बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्य की संरक्षा करने का संघ का कर्तव्य
अनुच्छेद 356 – राज्यों सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध
अनुच्छेद 357 – अनुच्छेद 356 के अधीन की गई उदघोषणा के अधीन विधायी शक्तियों का प्रयोग
अनुच्छेद 358 – आपात के दौरान अनुच्छेद 19 के उपबन्धों का निलंबन
अनुच्छेद 359 – आपात के दौरान भाग 3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन
अनुच्छेद 359 क – [ निरसन ]
अनुच्छेद 360 – वित्तीय आपात के बारे में उपबंध
भाग 19 – प्रकीर्ण :
अनुच्छेद 361 – राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण
अनुच्छेद 361 क – संसद और राज्यों के विधान मंडलों की कार्यवाहियों की प्रकाशन का संरक्षण
अनुच्छेद 361 ख – लाभप्रद राजनीतिक पद पर नियुक्ति के लिए निरर्हता
अनुच्छेद 362 – [ निरसन ]
अनुच्छेद 363 – कुछ संधियों , करारों आदि से उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
अनुच्छेद 363 क – देश राज्यों के शासकों को दी गई मान्यता की समाप्ति और निजी थैलियों का अंत
अनुच्छेद 364 – महापत्तनों और विमंक्षेत्रों के बारे में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 365 – संघ द्वारा दिए गए निदेशों का अनुपालन करने में या उनको प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव
अनुच्छेद 366 – परिभाषाएं
अनुच्छेद 367 – निर्वचन
भाग 20 – संविधान संशोधन :
अनुच्छेद 368 – संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया
भाग 21 – अस्थायी , परिवर्ती और विशेष प्रावधान :
अनुच्छेद 369 – राज्य सूची के कुछ विषयों के संबंध में विधि बनाने की संसद की इस प्रकार अस्थायी शक्ति मानो वे समवर्ती सूची के विषय हों
अनुच्छेद 370 – जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध
अनुच्छेद 371 – महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 क – नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 ख – असम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 ग – मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 घ – आंध्र प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 ड – आंध्र प्रदेश में केन्द्रिय विश्वविद्यालय की स्थापना
अनुच्छेद 371 च – सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 छ – मिजोरम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 ज – अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 371 झ – गोवा राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 372 – विद्यमान विधियों का प्रवृत्त बने रहना और उनका अनुकूलन
अनुच्छेद 372 क – विधियों का अनुकूलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद 373 – निवारक निरोध में रखे गए व्यक्तियों के संबंध में कुछ दशाओं में आदेश करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद 374 – फेडरल न्यायालय के न्यायधीशों और फेडरल न्यायालय में या सपरिषद हिज मेजेस्टी के समक्ष लंबित कार्यवाहियों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 375 – संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए न्यायालयों , प्राधिकारियों और अधिकारियों का कृत्य करते रहना
अनुच्छेद 376 – उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 377 – भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 378 – लोक सेवा आयोगों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 378 क – आंध्र प्रदेश विधानसभा की अवधि के बारे में विशेष उपबंध
अनुच्छेद 379 से 391 – [ निरसन ]
अनुच्छेद 392 – कठिनाईयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति
भाग 22 – संक्षिप्त नाम , प्रारंभ और निरसन हिंदी में प्राधिकृत पाठ :
अनुच्छेद 393 – संक्षित नाम
अनुच्छेद 394 – प्रारंभ
अनुच्छेद 394 क – हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ
अनुच्छेद 395 – [ निरसन ]
भारतीय संविधान की अनुसूचियां :
पहली अनुसूची : इसमें भारतीय संघ के 29 घटक राज्यों एवं 7 संघ शासित क्षेत्रों का उल्लेख है।
दूसरी अनुसूची : पदाधिकारियों के वेतन भत्ते एवं पेंशन।
तीसरी अनुसूची : शपथ ग्रहण का प्रारूप।
चौथी अनुसूची : राज्यों एवं संघ क्षेत्रों का राज्य सभा में प्रतिनिधित्व।
पांचवी अनुसूची : अनुसूची क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में।
छठवी अनुसूची : असम , मेघालय , त्रिपुरा एवं मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन का प्रावधान है।
सातवी अनुसूची : केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का बटवारा। संघ सूचि में 97 , राज्य सूचि में 61 तथा समवर्ती सूचि में 52 विषय हैं।
आठवी अनुसूची : आठवी अनुसूची में भारत की 22 भाषाओँ का उल्लेख है।
नौवीं अनुसूची : पहला संविधान संशोधन 1951 द्वारा जोड़ा गया। इसमें राज्य द्वारा सम्पत्ति के अधिग्रहण के विधियों का उल्लेख है।
दसवी अनुसूची : दल बदल संबंधी प्रावधान। 52 वे संविधान 1985 द्वारा जोड़ा गया।
ग्यारहवीं अनुसूची : इसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषयों का उल्लेख है। 73 वें संशोधन द्वारा 1993 में जोड़ा गया।
बारहवीं अनुसूची : नगरीय निकायों के 18 विषय। 74 वें संशोधन द्वारा 1993 में जोड़ा गया।
संविधान में संशोधन :
संशोधन के प्रस्ताव की शुरुआत संसद में होती है जहाँ इसे एक बिल के रूप में पेश किया जाता है। इसके बाद इसे संसद के प्रत्येक सदन के द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। प्रत्येक सदन में इसे उपस्थित सांसदों का दो तिहाई बहुमत और मतदान प्राप्त होना चाहिए और सभी सदस्यों का साधारण बहुमत प्राप्त होना चाहिए।
इसके बाद विशिष्ट संशोधनों को कम से कम आधे राज्यों की विधायिकाओं के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए। एक बार जब सभी अन्य अवस्थाएं पूरी कर ली जाती हैं संशोधन के लिए भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की जाती है लेकिन यह अंतिम प्रावस्था केवल एक ही औपचारिकता है। समाजवादी शब्द संविधान के 1976 में हुए 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
विशेषताएं :
संविधान प्रारूप समिति तथा सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान को संघात्मक संविधान माना है लेकिन विद्वानों में मतभेद है। अमेरिकी विद्वान इसको छद्म संघात्मक संविधान कहा जाता है हालाँकि पूर्वी संविधानवेत्ता कहते हैं कि अमेरिकी संविधान ही एकमात्र संघात्मक संविधान नहीं हो सकता।
संविधान का संघात्मक होना उसमें निहित संघात्मक लक्षणों पर निर्भर करता है किन्तु माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इसे पूर्ण संघात्मक माना है। भारतीय संविधान के प्रस्तावना के अनुसार भारत एक सम्प्रुभतासम्पन्न , समाजवादी , धर्मनिरपेक्ष , लोकतांत्रिक , गणराज्य है। संविधान संघ राज्यों के परस्पर समझौते से नहीं बना है।
राज्य अपना पृथक संविधान नहीं रख सकते हैं केवल एक ही संविधान केंद्र तथा राज्य दोनों पर लागू होता है। भारत में द्वैध नागरिकता नहीं है केवल भारतीय नागरिकता है। भारतीय संविधान में आपातकाल लागू करने के उपबंध है। अनुच्छेद 352 के लागू होने पर राज्य केंद्र शक्ति पृथक्करण समाप्त हो जाएगा तथा वह एकात्मक संविधान बन जाएगा।
इस स्थिति में केंद्र राज्यों पर पूर्ण सम्प्रभु हो जाता है। राज्यों का नाम , क्षेत्र तथा सीमा केंद्र कभी भी परिवर्तित कर सकता है अत: राज्य भारतीय संघ के अनिवार्य घटक नहीं हैं। केंद्र संघ को पुर्ननिर्मित कर सकती है। संविधान की 7वीं अनुसूची में तीन सूचियाँ हैं संघीय , राज्य तथा समवर्ती। अनुच्छेद 155 में राज्यपालों की नियुक्ति पूर्णत: केंद्र की इच्छा से होती है इस प्रकार केंद्र राज्यों पर नियंत्रण रख सकता है।
अनुच्छेद 360 में वित्तीय आपातकाल की दशा में राज्यों के वित्त पर भी केंद्र का नियंत्रण हो जाता है। इस दशा में केंद्र राज्यों को धन व्यय करने हेतु निर्देश दे सकता है। प्रशासनिक निर्देश केंद्र राज्यों को राज्यों की संचार व्यवस्था किस प्रकार लागू की जाए के बारे में निर्देश दे सकते हैं। यह निर्देश किसी भी समय दिया जा सकता है।
अनुच्छेद 312 में अखिल भारतीय सेवाओं का प्रावधान है ये सेवक नियुक्ति , प्रशिक्षण , अनुशासनात्मक क्षेत्रों में पूर्णत: केंद्र के अधीन है जबकि ये सेवा राज्यों में देते है राज्य सरकारों का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है। 12 राज्यों की कार्यपालिक शक्तियाँ संघीय कार्यपालिक शक्तियों पर प्रभावी नहीं हो सकती है।
भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण तथ्य :
भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई 1946 को कैबिनेट मिशन के आधार पर हुआ था। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर , 1946 को संसद भवन के केन्द्रिय कक्ष में आयोजित की गई थी। डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
संविधान सभा के उपाध्यक्ष के रूप में एच.सी. मुखर्जी एवं विधिक सलाहकार के रूप में न्यायधीश वी.एन.राव को चुना गया था। संविधान सभा में हैदराबाद रियासत के प्रतिनिधि सम्मिलित नहीं हुए थे। जवाहर लाल नेहरु द्वारा 13 दिसंबर , 1946 उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। 22 जनवरी , 1947 को उद्देश्य प्रस्ताव पारित कर दिया गया तथा संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियों की नियुक्ति हुई।
प्रारूप समिति संविधान सभा की सभी समितियों में सबसे महत्वपूर्ण समिति थी , जिसने मुख्य संविधान का निर्माण किया। प्रारूप समिति के सात सदस्य थे – डॉ बी.आर.अंबेडकर , एन.गोपालास्वामी आयंगर , अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर , डॉ के.एम.मुंशी , सय्यैद मोहम्मद सादुल्ला , बी.एल.मित्र , डी.पी.खेतान आदि। प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अम्बेडकर थे जिन्हें भारतीय संविधान का जंक भी कहा जाता है।
संविधान को अंतिम रूप से पारित करते समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे जिन्होंने इस पर हस्ताक्षर किए। संविधान की स्वीकृति 26 नवंबर , 1949 को हुई जिसके बाद कुछ अनुच्छेद तुरंत लागू कर दिए गए जैसे – नागरिकता , निर्वाचन , अंतरिम संसद से संबंधित उपबंध और अस्थाई एवं संक्रमणीय उपबंध आदि। संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी , 1950 को संपन्न हुई थी। 26 जनवरी , 1950 को संविधान पूर्ण रूप से लागू कर दिया गया था।
संविधान निर्माण के लिए लगभग 60 देशों के संविधान का अध्धयन किया गया था। संविधान को पारित करते समय संविधान में 12 भाग , 365 अनुच्छेद , 8 अनुसूचियाँ थीं लेकिन वर्तमान समय में 22 भाग , 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। सम्पूर्ण संविधान निर्माण में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लग गया था। संविधान सभा द्वारा राष्ट्रगान को 24 जनवरी , 1950 को अंगीकृत किया गया जिसकी रचना रविंद्रनाथ टैगोर ने मूलतः बांग्ला भाषा में की थी।
भारत देश के राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा का अंतिम प्रारूप 22 जुलाई , 1947 को स्वीकार किया गया था। तिरंगे की लंबाई एवं चौडाई का अनुपात 3:2 है। भारतीय संविधान संसार का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इस संविधान में कठोरता एवं लचीलापन का अनुपम समावेश है। संविधान निर्माण के लिए लगभग 60 देशों के संविधान का अध्धयन किया गया था।
भारतीय संविधान के स्त्रोत में सबसे प्रमुख स्त्रोत भारत शासन अधिनियम 1935 है। भारतीय संविधान के भाग 20 के अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। संविधान में पहला संशोधन सन् 1951 में किया गया था। लोकसभा में सदस्यों की संख्या 525 से 545 संविधान के 31 वें संशोधन द्वारा किया गया। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी , पंथनिरपेक्ष और राष्ट्र की अखण्डता शब्द 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा जोड़ा गया।
44 वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार से हटाकर केवल कानूनी या विधिक अधिकार किया गया। मतदाताओं की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 संविधान के 61 वें संशोधन 1988 में की गई। 69 वें संविधान संशोधन 1991 द्वारा दिल्ली को राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया। 86 वे संविधान संशोधन 2002 द्वारा शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार में सम्मिलित किया गया।
संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 14 से 32 तक 6 मौलिक अधिकारों का वर्णन है। जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 20 एवं 21 को छोडकर संविधान संकटकाल में नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्थगित करने की व्यवस्था करता है। नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 तक है।
नीति निर्देशक तत्व संविधान में सम्मिलित करने की सिफारिश तेजबहादुर स्वरूप समिति द्वारा की गई थी। संविधान के भाग 1 में अनुच्छेद 1 से 4 तक भारतीय संघ और क्षेत्रों का वर्णन है। संविधान के अनुसार भारत राज्यों का संघ है। जम्मू कश्मीर राज्य को संविधान के अनुच्छेद 370 के अनुसार एक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। जम्मू कश्मीर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके लिए संविधान में अलग से प्रावधान है।
जम्मू कश्मीर राज्य का एक अलग संविधान है और यहाँ के नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त है। संविधान में मूल कर्तव्य सरदार स्वर्ण सिंह समिति के सुझाव से 1976 में 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था। भारत के संविधान के भाग 5 में अनुच्छेद 52 से 78 तक संघीय या केन्द्रिय कार्यपालिका का वर्णन है जिसमें राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , मंत्रिपरिषद , महान्यायवादी आते हैं।
भारतीय गणराज्य का संवैधानिक अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है। राष्ट्रपति कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान होता है तथा वास्तविक कार्यकारी मंत्रीमंडल होता है। संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। राष्ट्रपति अपने पद की शपथ सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के समक्ष लेता है और त्यागपत्र उपराष्ट्रप्ति को देता है।
भारत देश के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है। इससे पहले राष्ट्रपति को पद से केवल महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है। अनुच्छेद 72 के अनुसार राष्ट्रपति किसी भी अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को माफ कर सकता है , दंड को स्थगित कर सकता है या दंड में परिवर्तन कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति को परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा।
संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार भारतीय संसद का निर्माण राष्ट्रपति तथा दोनों सदनों से मिलकर बना है। संसद के उच्च भवन को राज्यसभा कहा जाता है। राज्यसभा का पदेन सभापति भारत का उपराष्ट्रपति होता है। राज्यसभा एक पूर्ण निकाय है यह कभी पूर्णत: विघटित नहीं होती है। राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है। लोकसभा को संसद का निम्न सदन भी कहा जाता है।
लोकसभा के सदस्यों की संख्या अधिकतम 552 हो सकती है अभी वर्तमान समय में इसकी संख्या 545 है। लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है। लोकसभा सदस्य के लिए उम्मीदवार की उम्र 25 साल होना जरूरी है। लोकसभा स्थायी सदन नहीं है इसका कार्यकाल 5 साल होता है। संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक भारत के उच्चतम न्यायालय के विभिन्न प्रावधान हैं।
मूल संविधान में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों की संख्या आठ थी। 2008 से न्यायधीशों की संख्या मुख्य न्यायधीश के साथ 31 कर दी गई है। संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक निर्वाचन एवं निर्वाचन आयोग का वर्णन है। निर्वाचन आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
भारतीय संविधान में तीन तरह के आपातकालीन उपबंध की व्यवस्था है – अनुच्छेद 352 में युद्ध , बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह , दूसरा अनुच्छेद 356 में राज्य में संवैधानिक तंत्र का विफल होना और तीसरा अनुच्छेद 360 में वित्तीय आपात की उद्धोषणा। भारत में आज तक कुल तीन बार राष्ट्रिय आपातकाल लगाया जा चुका है। संविधान के 44 वें संशोधन अधिनियम 1978 द्वारा आंतरिक अशांति के स्थान पर सशस्त्र विद्रोह शब्द जोड़ा गया।
पंजाब पहला राज्य था जहाँ राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था एवं सर्वाधिक बार राष्ट्रपति शासन उत्तर प्रदेश में लगाया गया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में राजभाषा का विवरण दिया गया है। संविधान के मूल भाग में केवल 14 भाषाओं को मान्यता दी गई थी और वर्तमान में संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ सम्मिलित हैं।