आतंकवाद पर निबंध (Essay On Terrorism In Hindi) :
भूमिका : विविधता में एकता भारत की प्रमुख विशेषता है। उक्त विविध जनों को हमारे संविधान ने अपने आप में समान रूप से समाहित किया है। लेकिन विवध संस्कृतियों के इस अद्भुत सामंजस्य को देखकर बहुत से देश निस्तबद्ध रह जाते हैं। वे इस देश के एकीकरण को तोडकर देश को बिखेरना चाहते हैं।
वे हमारे देश को मिलकर रहता हुआ नहीं देख सकते हैं। वे अपने दलालों को भेजकर हमें तोडना चाहते हैं। हमारे समाज में विविध प्रकार से विघटन करके जनसाधारण को अपने कुकृत्यों से आतंकित कर देते हैं जिसकी वजह से समाज में आतंकवाद छा जाता है। आतंकवाद आधुनिक युग की सबसे भयंकर समस्या है।
आतंकवाद की समस्या सिर्फ हमारे ही देश की नहीं सभी देशों की एक बड़ी समस्या बन चुकी है। आतंकवादी अपने-अपने गिरोह बनाकर रखते हैं वे किसी भी देश की कानूनी व्यवस्था को स्वीकार नही करते हैं। अपनी इच्छा से लोगों की हत्या करते हैं। आज के समय में जब हम विभिन्न समस्याओं के बारे में सोचते हैं तो हमें यह पता चलता है कि हमारा देश अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरा हुआ है।
एक तरफ भुखमरी, दूसरी तरफ बेरोजगारी, कहीं पर अकाल पड़ रहा है तो कहीं पर बाढ़ अपना प्रकोप दिखा रही है। इन समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या है आतंकवाद की समस्या, जो देश रूपी वृक्ष को धीरे-धीरे खोखला करती जा रही है। भारत देश की कुछ अलगाववादी शक्तियाँ और पथ-भ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश के बहुत से क्षेत्रों में दंगा-फसाद कराकर अपनी स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
आतंकवाद का अर्थ : आतंकवाद दो शब्दों से मिलकर बना होता है – आतंक+वाद। आतंक का अर्थ होता है – भय या डर और वाद का अर्थ होता है – पद्धति। आतंकवाद शब्द आतंक से बनता है। समाज को अपने कुकृत्यों से भयभीत कर देना आतंकवाद कहलाता है। जो उन्हें भयभीत करते हैं वो आतंकवादी कहलाते हैं।
आतंकवादियों का केवल एक ही उद्देश्य होता है सरकार और देश के लोगों में भय उत्पन्न करके अपनी अनुचित बातों को मनवाना। आतंकवादियों का कोई देश, धर्म तथा जाति नहीं होते हैं। आतंकवादी भोले-भले बच्चों, स्त्रियों, बूढों और जवानों की बहुत ही बेरहमी से हत्या कर देते हैं। कानूनी व्यवस्था को ताक पर रखकर आतंकवादी देश में आराजकता फैलाते हैं।
इनके कार्यों का विरोध करने वाले व्यक्तियों या उनके विरुद्ध कार्यवाई करने वाले अधिकारियों को हताहत करके भगा देते हैं जिससे आगे आने वाले उनका विरोध न कर सकें। वे ऐसा करने के बाद किसी समुचित स्थान पर छिप जाते हैं। भारतवर्ष में इस तरह का आतंकवाद कई जगहों पर छाया हुआ है।
आतंकवाद दो प्रकार के होते हैं – राजनीतिक आतंकवाद और अपराधिक आतंकवाद। राजनीतिक आतंकवाद वह होता है जो अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए जनता में डर फैलाता है और अपराधिक आतंकवाद वह होता है जो अपहरण करके पैसे की मांग करता है।
भारत में आतंकवाद की समस्या : भारत में आतंकवाद का मतलब है भारत में आतंक की स्थिति का उत्पन्न होना। भारत में आतंकवाद के लिए देश के कई क्षेत्रों में हिंसात्मक तरीके अपनाये जाते हैं जिससे सरकार देश के विकास के लिए कोई कार्य नहीं कर पाती है। जब भारत निरंतर विकास करने लगता है तो कुछ विदेशी शक्तियाँ भारत के विकास से जलने लगती हैं।
वे भारत के लालची लोगों को पैसा देकर उनसे दंगे-फसाद करवाती हैं जिसकी वजह से देश विकास न कर सके। अधिकतर आतंकवादी रेल पटरियों को उखाडकर, बस के यात्रयों को मारकर, बैंकों को लूटकर, सार्वजनिक स्थानों पर बम्ब फेंककर आदि इन कामों से आतंकवाद फैलाने में सफल हो जाते हैं।
छठे और सातवें दशक में बंगाल, उड़ीसा, आंद्रप्रदेश, बिहार में नक्सलवादी लोग जनता में आतंक फैलाने का काम करते थे, अब नक्सलवादियों का आतंक अन्य प्रांतों से हटकर आंध्र और मध्यप्रदेश में पहुंच गया है। इस समय में पंजाब और कश्मीर दो ऐसे स्थान है जहाँ पर अब आतंकवाद ज्यादा है।
जनता को आतंकवादियों से मुक्ति दिलाने के लिए हमारी सरकार प्रयत्नशील है। कुछ बड़ी शक्तियाँ और पड़ोसी देश हमारे देश में अव्यवस्था को फैलाना चाहते हैं। अगर हमारा देश दो भागों में विभक्त हो जाता है तो उन्हें बहुत प्रसन्नता होगी।
आतंकवादियों की गतिविधियाँ : सशक्त सैन्य शक्ति से सुदृढ सरकार का मुकाबला प्रत्यक्ष सामने आकर करना बिलकुल असंभव है। इसीलिए आतंकवादी किसी भी सरकार व जनता का सामना छिपकर, आतंक दिखाकर, आतंक फैलाकर करते हैं। हमारे यहाँ आतंकवादी किसी सार्वजनिक जगह पर अचानक पहुंचकर अँधा-धुंध गोली-बारी कर देते है।
पटरी पर सोये हुए मजदूर भी आतंकवादियों की गोली के शिकार होते हैं। प्रमुख राजनेताओं, अधिकारीयों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को वे अवसर पाकर गोली मारकर मौत के घाट उतार देते हैं। उनके विरोध करने वालों को वे कोई-न-कोई अवसर पाकर या कोई षड्यंत्र रचकर मृत्यु को प्राप्त करा देते हैं।
कई बार आतंकवादी चलती बस को रोककर उसमें बैठे हुए यात्रियों को चुन-चुनकर मार देते हैं जिसकी वजह से लोग बसों में यात्रा करने से घबराते हैं। विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर टाइम बम्ब आदि रखकर आतंक का वातावरण फैलाए रखते हैं।
आतंकवाद के मूल कारण : भारत में आतंकवाद के विकसित होने के अनेक कारण हैं। आतंकवाद की समस्या पिछले एक दशक से शुरू हुई है। आज से दस साल पहले छोटे-छोटे लूटपाट के मामले सामने आते थे लेकिन आज के समय में यह समस्या बहुत बढ़ गयी है आज यह छोटी लूटपाट से मारकाट पर उतर आये हैं।
आतंकवाद के उत्पन्न होने के मूल कारण हैं गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, और धार्मिक उन्माद। आतंकवाद की गतिविधियों को सबसे अधिक प्रोत्साहन धार्मिक कट्टरता से मिलता है। लोग धर्मों के नाम पर एक-दूसरे का गला काटने से भी पीछे नहीं हटते हैं। धर्म के विपक्षी लोग धर्म मानने वाले लोगो को सहन नहीं कर पाते हैं।
इसी के फल स्वरूप हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-सिक्ख, मुस्लिम, ईसाई आदि धर्मों के नाम पर बहुत से दंगे-फसाद भड़का दिए जाते हैं। बहुत से अलगाववादी धर्म के नाम पर अलग राष्ट्र की भी मांग करने लगते हैं। इसकी वजह से देश की एकता भी खतरे में पड़ जाती है। कुछ विदेशी ताकतें भारत को कमजोर बनाना चाहती हैं इसलिए वे भारत में अक्सर आतंकवाद को बढ़ावा देती रहती हैं।
आतंकवादियों को बाहर से हथियार भेजे जाते हैं। उनका प्रयोग करके आतंकवादी देश में आतंक का वातावरण पैदा करते हैं। लेकिन अगर अपनी नीति स्पष्ट हो, सुदृढ हो, राष्ट्रिय भावना बलवती हो तो बाहर की कोई शक्ति भारत में हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं कर सकती है इसलिए हमारे देश के नेताओं की ढुलमुल नीति ही हमें आतंकवाद का शिकार बना रही है।
आजकल हिंदू आतंकवाद भारत में एक नए सिरे से सिर उठा रहा है जिसे कुछ सिरफिरे नेता लोग हवा देकर भारत की एकता और अखण्डता को खतरा पैदा कर रहे है। कश्मीरी आतंकवादियों ने नेहरु जी की कमजोर एवं गलत नीति के कारण सहारा पाया, तो सिक्ख आंतकवादियों का जन्म भी इंदिरा जी की कुटिल नीति से हुआ। जो देशभक्त व निष्ठावान थे उन्हें आतंकवाद का शिकार होना पड़ता था। कुछ नेता और अधिकारी अंदर से आतंकवादियों से मिले रहते हैं और दिखावे के लिए उनका विरोध करते हैं।
आतंकवाद पर नियंत्रण : भारत सरकार को आतंकवादी गतिविधियों को खत्म करने के लिए कठोर कदमों को उठाना चाहिए। ऐसा करने के लिए सबसे पहले कानून व्यवस्था को सुदृढ बनाना चाहिए। जहाँ-जहाँ पर अंतर्राष्ट्रीय सीमा हमारे देश की सीमा को छू रही है, उन समस्त क्षेत्रों की नाकाबंदी की जानी चाहिए जिसकी वजह से आतंकवादी सीमा पार से हथियार, गोला-बारूद और प्रशिक्षण प्राप्त करने में असफल हो जाएँ।
जो युवक और युवतियां अपने रास्ते से भटक चुके हैं उन्हें समुचित प्रशिक्षण देकर उनके लिए रोजगार के बहुत से पर्याप्त अवसर ढूंढने चाहियें। अगर युवा वर्ग को व्यस्त रखने तथा उनकों उनकी योग्यता के अनुरूप कार्य दे दिए जाएँ तो वे कभी भी रास्ते से नहीं भटकेंगे। इसकी वजह से आतंकवादियों को अपने षड्यंत्रों को पूरा करने के लिए जन शक्ति नहीं मिल पायेगी और वे खुद ही समाप्त हो जायेंगे।
सांप्रदायिकता का जहर : सांप्रदायिकता आतंकवाद का एक प्रमुख कारण होता है। हमारे देश में कुछ ऐसे लोगों का वर्ग रहता है जो 61 साल की स्वतंत्रता के बाद भी संकीर्ण और कट्टर धार्मिक विचारधारा के शिकार बने हुए हैं। ऐसे लोग ही दूसरे धर्मों के प्रति असहज हो जाते हैं।
ये लोग पुन: धर्म और राजनीति को मिलाने की कोशिश करते हैं। ये सभी धर्म के नाम पर अलग राज्य बनाना चाहते हैं। जो लोग उनकी धार्मिक पद्धति में नहीं आते हैं उनके प्रति वे सभी नफरत की भावना को फैलाते हैं। इस तरह से सांप्रदायिकता की भावना ही आतंकवाद को जन्म देती है। जो लोग एक संप्रदाय के प्रति समर्पित होते हैं वे दूसरे संप्रदायों के लोगों से नफरत करते हैं।
जनता का सहयोग : जनता को भी सरकार को सहयोग देना चाहिए। कहीं-भी किसी भी संदिग्ध व्यक्ति अथवा वस्तु को देखते ही उसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए। बस अथवा रेलगाड़ी में बैठते समय यह देख लेना चाहिए कि आस-पास कोई लावारिस वस्तु तो नहीं पड़ी है अथवा रखी है।
जिन व्यक्तियों को आप न जानते हों उनसे कभी भी कोई उपहार नहीं लेना चाहिए। सार्वजनिक स्थल पर भी संदिग्ध आचरण वाले व्यक्ति से हमेशा बचकर रहना चाहिए। हम सभी जागरूक रहकर भी आतंकवादियों को आतंक फैलाने से रोक सकते हैं।
दूषित राजनीति : आज के समय में देश की असंख्य समस्याओं के लिए हमारी दूषित राजनीति जिम्मेदार होती है। हमारे देश के राजनीतिज्ञ और राजनीति पार्टियाँ देश में धर्म और जाति के नाम पर लोगों को भडकाते हैं और अपनी वोटों को पक्का कर लेते हैं। आज के समय में भी धर्म और जाति के नाम पर उम्मीदवारों को खड़ा किया जाता है।
कालांतर में जो लोग संकीर्ण और कट्टर बन जाते हैं वही लोग आतंकवादी बन जाते हैं। 11 सितम्बर, 2001 को आतंकवादियों ने न्यूयार्क में स्थित विश्व व्यापर संगठन कार्यालय के दो टावरों और अमेरिका में अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रमुख कार्यालय पेंटागन के कुछ क्षेत्रों को विमान द्वारा टक्कर मारकर ध्वस्त कर दिया था।
अमेरिका की यह सबसे बड़ी दुर्घटना मानी जाती है जिसमें हजारों बेगुनाह लोगों की हत्या हो गयी थी। अमेरिका सरकार इस दुर्घटना के लिए ओसामा बिन लादेन को दोषी मानती है। हमारे देश के 55 हजार लोग पिछले 20 सालों से आतंकवादियों के आतंकवाद के शिकार बन चुके हैं।
सरकार के कदम : कोई भी धर्म किसी की भी निर्मम हत्या की आज्ञा नहीं देता है। हर धर्म मानव से ही नहीं बल्कि प्राणी मात्र से भी प्यार करना सिखाता है। अत: जो लोग धर्मिक संकीर्णता से ग्रस्त होते हैं उन व्यक्तियों का समाज से बहिष्कार किया जाना चाहिए और धार्मिक स्थानों की पवित्रता को अपने स्वार्थ के लिए नष्ट करने वाले लोगों के विरुद्ध सभी धर्माविलंबियों को एक साथ मिलकर प्रयास करना चाहिए। इसकी वजह से धर्म की ओट में आतंकवाद फैलाने वाले लोगों पर अंकुश लग सकेगा। सरकार को भी धार्मिक स्थलों के राजनीतिक उपयोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
विषयों की गंभीरता : अगर आतंकवाद की समस्या को गंभीरता से समाप्त नहीं किया गया तो देश का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। इस प्रकार से लड़कर सभी समाप्त हो जायेंगे। जिस आजादी को प्राप्त करने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों को भी न्योछावर कर दिया था हम उस आजादी को आपसी वैर भाव की वजह से समाप्त करके अपने ही पैरों पर कुलाढ़ी मार लेंगे। देश फिर से परतंत्रता के बंधन में बंध जायेगा। आतंकवादी हिंसा के बल से हमारा मनोबल तोड़ रहे हैं।
युवकों में बेरोजगारी : जितने भी लोग आतंकवादी बनते हैं वे सभी या तो बेरोजगार होते हैं या फिर आधे पढ़े-लिखे होते हैं। जो लोग आतंकवाद की नीति चलाते हैं वे इन बेरोजगार युवकों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। जब भी कोई युवक अपराधी बन जाता है तो उसका आतंकवाद से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
युवकों का मन और मस्तिष्क अपरिपक्व होते हैं उन्हें किसी भी सांझे में ढाला जा सकता है। युवक जिस प्रकार के लोगों के पास रहते हैं वे खुद भी वैसे ही बन जाते है। पंजाब में जितने भी आतंकवादियों को पकड़ा गया था उन्होंने बेरोजगारी से परेशान होकर इस रास्ते को अपनाया था।
आतंकवाद रोकने के उपाय : आतंकवाद मानवता के नाम पर एक कलंक होता है। आतंकवाद किसी के लिए भी लाभकारी नहीं होता है खुद आतंकवादियों के लिए भी नहीं। आतंकवाद से मानवता को बहुत हानि हो चुकी है। आतंकवाद ने पता नहीं कितने बच्चों को अनाथ बना दिया, कितनी औरतों को विधवा कर दिया और कितने ही लोगों को बेसहारा बना दिया।
सबसे पहले सरकार को आतंकवादियों के साथ बहुत कठोरता से कार्यवाई करनी चाहिए। देश की सीमा पर बहुत ही कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है। जों युवक आतंकवाद के जाल में फंस गये हैं उन्हें सही रास्ते पर लाकर किसी रोजगार में लगा देना चाहिए। इसी तरह से लोगों में देशभक्ति की भावना को उत्पन्न करना चाहिए।
स्कूलों और कॉलेजों में भी राष्ट्रिय एकता की भावना को उत्पन्न करने की शिक्षा दी जानी चाहिए। देश की बढती हुई आर्थिक विषमता को भी समाप्त करना चाहिए। देश में आतंकवादियों के अड्डे सफेदपोश धूर्त नेताओं के संरक्षण में सुरक्षित होते हैं उनको भी समाप्त किया जाना चाहिए। जब तक इन धूर्त सफेदपोशों का देश से नाश नहीं होता तब तक देशों की कोई भी समस्या नहीं सुलझ सकती। बिना उनके संरक्षण व संकेतों के कोई भी देश के अंदर गलत कदम नहीं बढ़ा सकता है।
उपसंहार : हमारा देश शांति और अहिंसा की जन्म भूमि है। इस देश में महात्मा गाँधी जी जैसे मानवता प्रेमियों का जन्म हुआ था। हमें महान संतों, ऋषियों, मुनियों, गुरुओं की वाणी का पूरे देश में प्रचार करना चाहिए। हमें संगठित होकर ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए।
जिससे उनका मनोबल समाप्त हो जाए तथा वे जान सके कि उन्होंने अपना पैर गलत मार्ग पर रख दिया है। जब वे आत्मग्लानी से वशीभूत होकर अपने किए का पश्चाताप करेंगें तभी उन सभी को देश की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जा सकेगा। हमें आतंकवादी समस्या का समाधान जनता और सरकार दोनों के मिले-जुले प्रयासों से ही संभव हो सकता है।
हिन्दू, सिख, मुसलमान, ईसाई सब भारत के सपूत हैं। इन सभी को आतंकवाद को खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए। भारत देश सभी संप्रदायों की अमूल्य निधि है। जिस प्रकार से आतंकवाद का विस्तार हो रहा है उसको समय रहते नहीं रोका गया तो यह भारत और अन्य देशों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन जायेगा।