पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध-Environmental Pollution Essay In Hindi
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1 (100 शब्द)
प्रदूषण आज के समय का एक सबसे बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में सभी को पता होता है। पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। प्रदूषण की वजह से हमारा पर्यावरण बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण चाहे किसी भी तरह का हो लेकिन वह हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक होता है।
प्रदूषण से पृथ्वी दूषित होती है और उसका संतुलन भी बिगड़ जाता है। हम लोग एक प्रदूषित दुनिया में रह रहे हैं जहाँ पर वायु, जल, भोजन सभी चीजे दूषित हैं। मनुष्य प्रजाति प्रदूषण को उत्पन्न करने में सबसे अहम योगदान दे रही है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 2 (200 शब्द)
जलवायु परिवर्तन के कारण हरितगृह (ग्रीनहाउस) प्रभाव और वैश्विक ताप में वृध्दि, ओजोन परत का क्षय होना, अम्लीय वर्षा होना, भूस्खलन, मृदा का क्षरण आदि चीजें होती हैं, जिसे पर्यावरण का प्रदूषित होना कहते हैं। मनुष्य ने अपने और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की कीमत पर प्रकृति के धन का दोहन किया है। इसके अलावा, जो प्रभाव अब तेजी से उभर रहा है, वह सब सैकड़ों या हजारों वर्षों से मनुष्यों की गतिविधियों के कारण है।
इन सबसे ऊपर, अगर हम पृथ्वी पर जीवित रहना और अपना जीवन जारी रखना चाहते हैं, तो हमें उपाय करने होंगे। ये उपाय हमारी अगली पीढ़ी के भविष्य के साथ-साथ हमें सुरक्षित बनाने में मदद करेंगे।
पर्यावरणीय प्रदूषण को समझने से पूर्व यह समझना जरुरी है कि, पर्यावरण क्या है और हमें कैसे प्रभावित करता है। ‘‘हर्षकोविट्स’’ के शब्दों में- ‘‘पर्यावरण संपूर्ण वाह्य परिस्थितियों एवं प्रभावों का जीवधारियों पर पड़ने वाला सम्पूर्ण प्रभाव है जो उनके जीवन विकास एवं कार्य को प्रभावित करता है।’’
पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे ग्रह पर मानवता और अन्य जीवन रूपों का सामना करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रुप में परिभाषित किया जाता है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 3 (300 शब्द)
भूमिका : प्रदूषण आज के समय का एक सबसे बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में सभी को पता होता है। पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। प्रदूषण की वजह से हमारा पर्यावरण बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण चाहे किसी भी तरह का हो लेकिन वह हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक होता है।
प्रदूषण का कारण : मनुष्य जाति इस स्थिति के लिए खुद ही जिम्मेदार है। क्योंकि मनुष्य जाति ऐसी बहुत सी वस्तुओं का प्रयोग कर रही है जिसे बनाने के लिए बहुत हानिकारक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है और जब ये चीजें फालतू बच जाती हैं तो इन्हें फेंक दिया जाता है जिसकी वजह से हानिकारक कैमिकल्स आस-पास के वातावरण में फैलने लगते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित कर देते हैं।
प्रदूषण की समस्या को बड़े-बड़े शहरों में ज्यादा देखा जाता है क्योंकि वहाँ पर 24 घंटे कारखानों का और मोटर गाड़ियों का धुआँ बहुत ज्यादा मात्रा में फैल रहा होता है जिसकी वजह से लोगों को साँस लेने में बहुत समस्या होती है। मनुष्य अपनी प्रगति के लिए वृक्षों को अँधा-धुंध काटता जा रहा है जिसकी वजह से प्रदूषण की मात्रा बढती जा रही है।
मनुष्य प्रकृति से मिले इस अमूल्य धन को व्यर्थ ही नष्ट करता जा रहा है। पर्यावरण में कार्बन-डाई-आक्साइड की अधिक मात्रा हो गई है जिसकी वजह से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है। धरती के तापमान बढने की वजह से ओजोन परत को हानि हो रही है जिसके कारण सूर्य की किरण सीधी धरती पर पहुंचने लगी हैं और मनुष्य को अलग-अलग तरह की बीमारियाँ हो रही हैं।
उपसंहार : अगर प्रदूषण को कम करना है तो सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। मीडिया को लोगों को इस विषय में संदेश देने चाहिएँ। प्रदूषण की समस्या को केवल वैश्विक या सामूहिक प्रयासों से ही नियंत्रित किया जा सकता है। प्रदूषण की वजह से आने वाली पीढ़ी को बहुत अधिक भुगतान करना पड़ेगा।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 4 (400 शब्द)
भूमिका : हम सभी जानते हैं कि पर्यावरण मानव के जीवन में एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखता है। क्योंकि पर्यावरण के द्वारा ही मानव अपनी मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करता है। पर्यावरण के ही कारण धरती पर जीवन संभव हो पाता है। उदाहरण के लिए जल, वायु, भोजन आदि।
लेकिन जिस तरह से पर्यावरण के संसाधनों का दिन प्रतिदिन दुरुपयोग हो रहा है, पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है। उससे पर्यावरण प्रदूषण काफी बढ़ गया है और पर्यावरण का पारिस्थितिक तंत्र पूरी तरह बिगड़ गया है।
पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव : निरंतर बढ़ रही जनसंख्या तीव्र गति से शहरों एवं उद्योगों का विस्तार, प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से दोहन, यातायात के साधनों का विस्तार तथा परमाणु गैसीय कणों के कारण धरती पर प्रदूषण फ़ैल रहा हैं।
आज पवित्र गंगा यमुना नदी भी प्रदूषित हो गई हैं। पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव भूमि, जल, वायु, खाद्यान्न आदि अनेक स्तरों पर दिखाई दे रहा हैं। इससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा हैं तथा अनेक नये रोग पनप रहे हैं।
पर्यावरण सुधार के उपाय : प्रदूषण की समस्या निपटाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन अनेक योजना बना रही है। सरकार हमारे देश में भी अनेक प्लानिंग कर रही हैं। जैसे-अधिक से अधिक पेड़-पौधों को उगाना, जल की सफाई करना, मल की सफाई करना, प्लाण्ट लगाना, नदियों- साफ़-सफाई रखना, हरित क्षेत्र बनाने की कोशिश, दूषित गैसों एवं रेडियो पर नियन्त्रण करवाना, खनिज दोहन पर प्रतिबन्ध लगाना आदि।
उपसंहार : लाखों-करोड़ों वर्षों से पृथ्वी पर ताजा वायु और स्वच्छ बहता पानी उपलब्ध है। हमारे दुरुपयोग की वजह से अब ये प्राकृतिक संसाधन दूषित हो रहे हैं। पर्यावरण का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक दूषित पानी और वायुमंडल को साफ करते हैं। पर्यावरण के समर्पित वैज्ञानिक हमें समझाते हैं कि किन सावधानियों से हम वातावरण की शुद्धता को बनाए रख सकते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 5 (500 शब्द)
भूमिका : प्रदूषण आज के समय का एक सबसे बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में सभी को पता होता है। पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। प्रदूषण की वजह से हमारा पर्यावरण बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है।
प्रदूषण से पृथ्वी दूषित होती है और उसका संतुलन भी बिगड़ जाता है। हम लोग एक प्रदूषित दुनिया में रह रहे हैं जहाँ पर वायु, जल, भोजन सभी चीजे दूषित हैं। मनुष्य प्रजाति प्रदूषण को उत्पन्न करने में सबसे अहम योगदान दे रही है।
प्रदूषण के प्रकार : कहा जाए तो मोटे तौर पर पर्यावरण के मुख्य तीन घटक होते हैं – अजैविक या निर्जीव, जैविक या सजीव और ऊर्जा घटक। अजैविक या निर्जीव घटक स्थलमण्डल हैं, जैविक या सजीव रहने वाले घटक पौधों, जानवरों और मनुष्य सहित प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और ऊर्जा घटक जैसे – सौर ऊर्जा, पनबिजली, परमाणु ऊर्जा आदि विभिन्न जीवों के रखरखाव हेतु बहुत जरूरी हैं। पर्यावरण प्रदूषण 6 तरह का होता है – 1. जल प्रदूषण, 2. ध्वनि प्रदूषण, 3. वायु प्रदूषण, 4. भूमि प्रदूषण, 5. प्रकाश प्रदूषण, 6. उष्मीय प्रदूषण।
प्रभाव और समस्या : मीलों, कारखानों, मोटर वाहनों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के द्वारा जो कार्बन-मोनो-आक्साइड गैस से जो अपशिष्ट और धुआँ निकलता है उसे कृषि में उपयोग किया जाता है, नालियों का दूषित जल और वनों की कटाई की वजह से भी पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढती जा रही है।
आज के समय में पर्यावरण प्रदूषण देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। यह केवल राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। वर्तमान समय में हम इस समस्या की वजह से सुखी और शांति पूर्ण जीवन व्यतीत नहीं कर पाएंगे। जब भी हम एक समाचार पत्र पढ़ते हैं उस समाचार पत्र में पर्यावरण प्रदूषण के पक्षों को देखा जा सकता है।
प्रदूषण का समाधान : प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने के लिए जल्द नियंत्रण की जरूरत है। वनीकरण की तरफ अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। हो सके तो पेड़ों की कम-से-कम कटाई की जानी चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण के लिए सरकार को उचित कदम उठाने होंगे और इसके विरुद्ध नए कानून जारी करने होंगे।
केवल सरकार ही नहीं बल्कि राजनेताओं, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और भारत के प्रत्येक मनुष्य को इसे दूर करने के बारे में अधिक जागरूक होना होगा। जागरूकता लाने के लिए विकास की बहुत आवश्यकता है। आधुनिक युग के वैज्ञानिकों में प्रदूषण को खत्म करने के लिए बहुत से पयत्न किये जा रहे हैं।
उपसंहार : अगर प्रदूषण को कम करना है तो सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। मीडिया को लोगों को इस विषय में संदेश देने चाहिएँ। प्रदूषण की समस्या को केवल वैश्विक या सामूहिक प्रयासों से ही नियंत्रित किया जा सकता है। प्रदूषण की वजह से आने वाली पीढ़ी को बहुत अधिक भुगतान करना पड़ेगा।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 6 (700 शब्द)
भूमिका : सृष्टि की शुरुआत से ही कुदरत के अद्भुत संतुलन की बदौलत धरती पर जीवन कायम है। आधुनिक युग में नई तकनीकी की वजह से यह खतरे में है। हवा, पानी और धरती- ये सब धीरे-धीरे प्रदूषित होते जा रहे हैं।
इस प्रदूषण को कम करने, इसे धीरे-धीरे दूर करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। इन उपायों को हम चार हिस्सों में बांट सकते हैं- प्रकृति के चक्र को समझना, प्रदूषण के नतीजों के प्रति जागरूकता फैलाना, प्रकृति की सुंदरता को बनाए रखना और ऐसे तरीके अपनाना जिनसे पृथ्वी पर वातावरण साफ और शुद्ध बना रहे।
प्रदूषण के कारण : पृथ्वी पर आसानी से जीवित रहना हमारे लिए संभव नहीं होगा। पर्यावरण के प्रदूषित होने के पीछे अनेक कारण हैं, उन्हीं में से कुछ कारण निम्नलिखित हैं-
- औद्योगिक गतिविधि
- वाहन
- तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण
- जनसंख्या अतिवृद्धि
- जीवाश्म ईधन दहन
- कृषि अपशिष्ट
- कल-कारखाने
मानव जीवन पर प्रभाव : पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर कई तरह से प्रभाव पड़ रहा है। यह बताना ज़रूरी नहीं है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों, पक्षियों, पेड़-पौधों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।
पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम: कभी अधिक बरसात का होना, कभी बरसात का नहीं होना, ओजोन परत में लगातार बढ़ते ‘छिद्र’ पर्यावरण प्रदूषण का ही परिणाम है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण ही वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
विकास की अंधी दौड़, आधुनिक युग में हमने जिस तरह हमने पर्यावरण में पेड़-पौधों की कटाई की, जल को दूषित किया, वायुमंडल में ज़हरीली गैसें छोड़ी, ध्वनि प्रदूषण किया और पर्यावरण के पारिस्थितिक तंत्र को पूरी तरह नष्ट करने का काम किया हैं, आज उसी का भयंकर परिणाम है पर्यावरण प्रदूषण।
पर्यावरण का अर्थ : पर्यावरणीय प्रदूषण को समझने से पूर्व यह समझना जरुरी है कि, पर्यावरण क्या है और हमें कैसे प्रभावित करता है। ‘‘हर्षकोविट्स’’ के शब्दों में-‘‘पर्यावरण संपूर्ण वाह्य परिस्थितियों एवं प्रभावों का जीवधारियों पर पड़ने वाला सम्पूर्ण प्रभाव है जो उनके जीवन विकास एवं कार्य को प्रभावित करता है।’’
पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे ग्रह पर मानवता और अन्य जीवन रूपों का सामना करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रुप में परिभाषित किया जाता है।
सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती हैं। प्रदूषक प्राकृतिक रूप से पदार्थ या ऊर्जा हो सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर उन्हें दूषित माना जाता है। प्राकृतिक संसाधनों की किसी भी दर का उपयोग प्रकृति द्वारा स्वयं को पुनर्स्थापित करने की क्षमता से अधिक होने पर वायु, जल और भूमि के प्रदूषण का परिणाम हो सकता है।
समस्या और समाधान : पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, जिसके जिम्मेदार केवल और केवल हम मनुष्य ही हैं। इसलिए अब ये जिम्मेदारी भी हमारी ही बनती है कि इस समस्या का समाधान निकालें।
मीलों, कारखानों, मोटर वाहनों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के द्वारा कार्बन-मोनो-आक्साइड गैस से जो अपशिष्ट और धुआँ निकलता है उसे कृषि में उपयोग किया जाता है। नालियों का दूषित जल और वनों की कटाई की वजह से भी पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में हम इस समस्या की वजह से सुखी और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत नहीं कर पाएंगे।
उपसंहार : पर्यावरण वह परिवेश है जिसमें हम रहतें हैं। लेकिन प्रदूषकों द्वारा हमारे पर्यावरण का प्रदूषित होना पर्यावरण प्रदूषण है। पृथ्वी का वर्तमान चरण जो हम देख रहे हैं, वह पृथ्वी और उसके संसाधनों के सदियों के शोषण का परिणाम है।
इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण के कारण पृथ्वी अपना संतुलन खो सकती है। मानव बल ने पृथ्वी पर जीवन का निर्माण और विनाश किया है। मानव पर्यावरण के क्षरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 7 (1000+ शब्द)
भूमिका : प्रदूषण आज के समय का एक सबसे बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में सभी को पता होता है। पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। प्रदूषण की वजह से हमारा पर्यावरण बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण चाहे किसी भी तरह का हो लेकिन वह हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक होता है।
प्रदूषण से पृथ्वी दूषित होती है और उसका संतुलन भी बिगड़ जाता है। हम लोग एक प्रदूषित दुनिया में रह रहे हैं जहाँ पर वायु, जल, भोजन सभी चीजे दूषित हैं। मनुष्य प्रजाति प्रदूषण को उत्पन्न करने में सबसे अहम योगदान दे रही है।
लोग पॉलीथीन और पेट्रोलियम जैसी चीजों का प्रयोग अधिक करते जा रहे हैं जिसकी वजह से पर्यावरण को बहुत हानि हो रही है। वैज्ञानिकों द्वारा भी पर्यावरण प्रदूषण को सूचीबद्ध किया गया है और हमारी सरकार भी इस विषय में बहुत चिंतित है।
प्रदूषण का अर्थ : पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश अथार्त ऐसे माध्यम जिनसे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है। हमारे पर्यावरण प्रकृति और मानव की निर्मित चीजों के द्वारा गठित हैं। लेकिन हमारे ये पर्यावरण कुछ माइनों में प्रदूषित हो रहे हैं।
प्रदूषण के प्रकार : कहा जाए तो मोटे तौर पर पर्यावरण के मुख्य तीन घटक होते हैं – अजैविक या निर्जीव, जैविक या सजीव और ऊर्जा घटक। अजैविक या निर्जीव घटक स्थलमण्डल हैं, जैविक या सजीव रहने वाले घटक पौधों, जानवरों और मनुष्य सहित प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और ऊर्जा घटक जैसे – सौर ऊर्जा, पनबिजली, परमाणु ऊर्जा आदि विभिन्न जीवों के रखरखाव हेतु बहुत जरूरी हैं। पर्यावरण प्रदूषण 6 तरह का होता है – 1. जल प्रदूषण, 2. ध्वनि प्रदूषण, 3. वायु प्रदूषण, 4. भूमि प्रदूषण, 5. प्रकाश प्रदूषण, 6. उष्मीय प्रदूषण।
प्रदूषण का कारण : मनुष्य जाति इस स्थिति के लिए खुद ही जिम्मेदार है। क्योंकि मनुष्य जाति ऐसी बहुत सी वस्तुओं का प्रयोग कर रही है जिसे बनाने के लिए बहुत हानिकारक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है और जब ये चीजें फालतू बच जाती हैं तो इन्हें फेंक दिया जाता है जिसकी वजह से हानिकारक कैमिकल्स आस-पास के वातावरण में फैलने लगते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित कर देते हैं।
प्रदूषण की समस्या को बड़े-बड़े शहरों में ज्यादा देखा जाता है क्योंकि वहाँ पर 24 घंटे कारखानों का और मोटर गाड़ियों का धुआँ बहुत ज्यादा मात्रा में फैल रहा होता है जिसकी वजह से लोगों को साँस लेने में बहुत समस्या होती है। मनुष्य अपनी प्रगति के लिए वृक्षों को अँधा-धुंध काटता जा रहा है जिसकी वजह से प्रदूषण की मात्रा बढती जा रही है।
मनुष्य प्रकृति से मिले इस अमूल्य धन को व्यर्थ ही नष्ट करता जा रहा है। पर्यावरण में कार्बन-डाई-आक्साइड की अधिक मात्रा हो गई है जिसकी वजह से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है। धरती के तापमान बढने की वजह से ओजोन परत को हानि हो रही है जिसके कारण सूर्य की किरण सीधी धरती पर पहुंचने लगी हैं और मनुष्य को अलग-अलग तरह की बीमारियाँ हो रही हैं।
पर्यावरण प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। यह ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि का एक कारण होता है। पिछले दशक से पर्यावरण बहुत अधिक बढ़ गया है। लेखकों ने भी पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेखन का काम शुरू कर दिया है।
प्रदूषण सभी तरह से पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है और जीवन की परिस्थिति को भी प्रभावित कर रहा है। मनुष्य की मूर्खता की वजह से पृथ्वी का प्राकृतिक सौंदर्य दिन-प्रतिदिन खराब होता जा रहा है।
प्रभाव और समस्या : मीलों, कारखानों, मोटर वाहनों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के द्वारा जो कार्बन-मोनो-आक्साइड गैस से जो अपशिष्ट और धुआँ निकलता है उसे कृषि में उपयोग किया जाता है, नालियों का दूषित जल और वनों की कटाई की वजह से भी पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढती जा रही है।
आज के समय में पर्यावरण प्रदूषण देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। यह केवल राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। वर्तमान समय में हम इस समस्या की वजह से सुखी और शांति पूर्ण जीवन व्यतीत नहीं कर पाएंगे। जब भी हम एक समाचार पत्र पढ़ते हैं उस समाचार पत्र में पर्यावरण प्रदूषण के पक्षों को देखा जा सकता है।
यह केवल एक मनुष्य को नहीं बल्कि पूरे देश को नुकसान पहुंचता है और अगर यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढती गई तो भारत को एक बहुत ही गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा। जो देश विकसित होता है वहाँ पर इस तरह की समस्या बहुत ही दुर्लभ होती है।
हमारे देश का प्रत्येक मनुष्य इस समस्या को महसूस करता है लेकिन कोई भी इसे हटाने के लिए कोशिश नहीं करता है। पर्यावरण प्रदूषण के खराब प्रभाव बहुत ही हानिकारक होते हैं। पर्यावरण प्रदूषण से हमारी सामाजिक स्थिति खंडित हो जाती है। दुनिया में प्राकृतिक गैसों का संतुलन बना रहना बहुत जरूरी होता है लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों की अँधा-धुंध कटाई कर रहे हैं।
अगर यहाँ पर कोई पेड़ ही नहीं रहेगा तो पेड़ कार्बन-डाई-आक्साइड को ग्रहण नहीं कर पाएंगे और ऑक्सीजन को छोड़ नहीं पाएंगे। ऐसे में पेड़ों के प्रतिशत की बहुत अधिक मात्रा में खपत हो जाएगी। कार्बन-डाई-आक्साइड की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या अधिक बढ़ जाएगी।
अगर प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ की जाती है तो वह प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनती है। हम लोग औद्योगिक विकास की वजह से अपने स्वभाव को भूल गये हैं जिसकी वजह से आज हमें विभिन्न प्रकार के रोगों ने घेर लिया है जागरूकता लाने के लिए विकास की बहुत आवश्यकता है।
अस्तित्व प्रणाली भी जीवन के लिए एक खतरनाक प्रणाली बनती जा रही है। इसी वजह से बहुत सी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती जा रही हैं। वायु प्रदूषण की वजह से साँस लेने से फेफड़ों और श्वसन के रोग उत्पन्न होते जा रहे हैं। जल प्रदूषण की वजह से पेट की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
जल प्रदूषण की वजह से गंदा पानी पी रहे जानवरों की भी मृत्यु हो रही है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से मानसिक तनाव, बहरापन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है चारों तरफ चिंता और अशांति छा जाती है।
प्रदूषण का समाधान : प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने के लिए जल्द नियंत्रण की जरूरत है। वनीकरण की तरफ अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। हो सके तो पेड़ों की कम-से-कम कटाई की जानी चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण के लिए सरकार को उचित कदम उठाने होंगे और इसके विरुद्ध नए कानून जारी करने होंगे।
केवल सरकार ही नहीं बल्कि राजनेताओं, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और भारत के प्रत्येक मनुष्य को इसे दूर करने के बारे में अधिक जागरूक होना होगा। जागरूकता लाने के लिए विकास की बहुत आवश्यकता है। आधुनिक युग के वैज्ञानिकों में प्रदूषण को खत्म करने के लिए बहुत से पयत्न किये जा रहे हैं।
हर मनुष्य को सोचना चाहिए कि कूड़े के ढेर और गंदगी के आस-पास जल स्त्रोत या जलाशय न हों। मनुष्य को कोयला और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों का बहुत कम प्रयोग करना चाहिए और जितना हो सके प्रदूषण से रहित विकल्पों को अपनाना चाहिए। मनुष्य को सौर ऊर्जा, सीएनजी, वायु ऊर्जा, बायोगैस, रसोई गैस, पनबिजली का अधिक प्रयोग करना चाहिए ऐसा करने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को कम करने में बहुत सहायता मिलती है।
जो कारखाने पहले ही बन चुके हैं उन्हें तो हटाया नहीं जा सकता है लेकिन सरकार को आगे बनाने वाले कारखानों को शहर से दूर बनाना चाहिए। ऐसे यातायात साधनों को प्रयोग में लाना चाहिए जिससे धुआं कम निकले और वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिल सके। पेड़-पौधों और जंगलों की कटाई पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
नदियों के जल को कचरे से बचाना चाहिए और पानी को रिसाइक्लिंग की सहायता से पीने योग्य बनाना चाहिए। प्लास्टिक के बैगों का कम प्रयोग करना चाहिए और जिन्हें रिसाइकल किया जा सकें उनका प्रयोग अधिक करना चाहिए। प्रदूषण को खत्म करने के लिए कानूनों का पालन करना चाहिए।
प्रदूषण की रोकथाम : अगर मनुष्य पृथ्वी पर जीवित रहना चाहता है तो पर्यावरण को प्रदूषित न होने दे और अपने आस-पास के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखने की हर मुमकिन कोशिश करे। पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भाव पैदा करना चाहिए। मनुष्य को जितना हो सके अधिक-से-अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिएँ। वैज्ञानिकों द्वारा धुम्रपान को कम करने के उपाय को खोजा जा रहा है। संसार के सभी लोगों को मिलकर पर्यावरण प्रदूषण को रोकने की कोशिश करनी चाहिए।
उपसंहार : अगर प्रदूषण को कम करना है तो सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। मीडिया को लोगों को इस विषय में संदेश देने चाहिएँ। प्रदूषण की समस्या को केवल वैश्विक या सामूहिक प्रयासों से ही नियंत्रित किया जा सकता है। प्रदूषण की वजह से आने वाली पीढ़ी को बहुत अधिक भुगतान करना पड़ेगा। <!– hmcommentpost([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(‘