Beti Bachao Beti Padhao Essay In Hindi
Beti Bachao Beti Padhao Essay In Points
1. बेटी बचाओ अभियान को सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के साथ-साथ बालिकाओं के विरुद्ध अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया है।
2. लडकियाँ प्राचीनकाल से भारत में बहुत प्रकार के अपराधों से पीड़ित हैं। सबसे बड़ा अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लडकियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है।
3. महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि महिलाओं के बिना मानव जाति की निरंतरता के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती क्योंकि महिलाएं ही मानव को जन्म देती हैं।
4. बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ होता है कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो। इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा 22 जनवरी, 2015 को कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।
5. इस अभियान को कुछ गतिविधियों जैसे – बड़ी रेलियों, दीवार लेखन, टीवी विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद आदि को आयोजित करके लोगों में फैलाया गया था।
6. बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना देश की बेटियों की आने वाली जिंदगी को सुधारने वाली मुहीम और हमारे देश की भविष्य लिखने वाली अहम कलम है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित वातावरण लाएंगी।
7. लडकियाँ अपने माता-पिता की और उनके कार्यों की अधिक परवाह करने वाली होती हैं।
8. इस मिशन का मूल उद्देश्य समाज में पनपते लिंग असंतुलन को नियंत्रित करना है।
Beti Bachao Beti Padhao Essay In Details
भूमिका : पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व, आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना संभव नहीं होता है। दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी देश के विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार है। महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि महिलाओं के बिना मानव जाति की निरंतरता के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं क्योंकि महिलाएं ही मानव को जन्म देती हैं।
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लडकियाँ प्राचीनकाल से भारत में बहुत प्रकार के अपराधों से पीड़ित हैं। सबसे बड़ा अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लडकियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी बचाओ अभियान को सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के साथ-साथ बालिकाओं के विरुद्ध अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया है।
भारतीय समाज में लडकियों की स्थिति बहुत समय से विवाद का विषय बनी हुई है। आमतौर पर प्राचीन समय से ही देखा जाता है कि लडकियों को खाना बनाने और गुड़ियों के साथ खेलने में शामिल होने की मान्यता होती है जबकि लडके शिक्षा और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। ऐसी पुरानी मान्यताओं की वजह से लोग महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने को आतुर हो जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप समाज में बालिकाओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात कमी पर प्रभाव : कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों में लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाने वाला एक बहुत ही भयानक अपराध है। यह भयानक कार्य भारत में लडकियों की अपेक्षा लडकों की अधिक चाह की वजह से उत्पन्न हुआ है। इस समस्या ने भारत में बहुत हद तक कन्या शिशु लिंग अनुपात में कमी की है।
यह समस्या देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी की वजह से ही संभव हो पाया है। इस समस्या ने समाज में भयानक दानव का रूप ले लिया है। भारत में महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रिय जनगणना के बाद देखी गई थी।
बाद में 2001 की राष्ट्रिय जनगणना के बाद इसे समाज की एक बिगडती हुई समस्या के रूप में घोषित किया गया था। महिलाओं की आबादी में 2011 तक कमी जारी रही थी। बाद में कन्या शिशु के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस प्रथा पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था।
सन् 2001 में मध्य प्रदेश में लडकियों/लडकों का अनुपात 932/1000 था और 2011 में यह अनुपात 912/1000 तक कम हो गया था। इसका अर्थ यह है कि यह समस्या आज तक जारी है और अगर इसी तरह भ्रूण हत्या होती रही तो आने वाले 2021 तक यह समस्या 900/1000 तक कम हो जाएगी।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ जागरूकता अभियान : बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ होता है कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो। इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा 22 जनवरी, 2015 को कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।
इस अभियान को कुछ गतिविधियों जैसे – बड़ी रेलियों, दीवार लेखन, टीवी विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद आदि को आयोजित करके लोगों में फैलाया गया था। इस अभियान को बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों द्वारा समर्थित किया गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना देश की बेटियों की आने वाली जिंदगी को सुधारने वाली मुहीम और हमारे देश की भविष्य लिखने वाली अहम कलम है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित वातावरण लाएंगी।
इस अभियान को समाज के हर वर्ग के लोगों ने बहुत ही प्रोत्साहित किया है। हमारे समाज में ऐसे बहुत से घर या परिवार हैं जहाँ पर लडकियों को बराबर नहीं समझा जाता है, लडके-लडकियों में भेदभाव किया जाता है। लडकियों को परिवार में वह दर्जा नहीं मिलता है जिसकी वे हकदार होती हैं।
लडकियों को अपने ही परिवार में अपने पक्ष को रखने का अधिकार भी नहीं दिया जाता है। लडकियों को वस्तु की तरह समझा जाता है जिन्हें स्नेह भावना, प्यार और ममता बस एक सपने के समान लगता है। इन सभी कुरीतियों को खत्म करने और समाज के मनोभाव को सुधारने के लिए ही बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान को चलाया गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के प्रभावशाली कदम : सरकार द्वारा लडकियों को बचाने और शिक्षित करने के लिए बहुत से कदम उठाए गये हैं। इस विषय में सबसे बड़ी पहल बेटी बचाओ बेटी पढाओ है जिसे बहुत ही सक्रिय रूप से सरकार, एनजीओ, कॉर्पोरेट समूहों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों ने आगे बढ़ाया है।
इसी दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरूआत की है जिसके तहत लड़कियों की पढाई और शादी के लिए सरकार पैसे मुहैया कराएगी। सन् 1961 से कन्या भ्रूण हत्या एक गैर कानूनी अपराध है और लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात कराना प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इन कदमों को समाज के लोगों को यह बताने के लिए लिया गया है कि लडकियाँ समाज में अपराध नहीं होती है अपितु भगवान का दिया हुआ एक बहुत ही खुबसुरत तोहफा होती हैं। कन्याओं को बचाने और उनके सम्मान को बनाने के लिए शिक्षा सबसे बड़ी क्रांति है। लडकी को सभी क्षेत्र में समान अवसर देने चाहिए।
सभी सार्वजनिक स्थानों पर लडकियों के लिए रक्षा और सुरक्षा आयोजित करनी चाहिए। विभिन्न सामाजिक संगठनो ने महिला स्कूलों में शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है। बालिकाओं और महिलाओं के विरुद्ध अपराध भारत में विकास के रास्ते में बहुत बड़ी बाधा है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की आवश्यकता : बेटी किसी भी क्षेत्र में लडकों की तुलना में कम सक्षम नहीं होती है और लडकियाँ लडकों की अपेक्षा अधिक आज्ञाकारी, कम हिंसक और अभिमानी साबित होती हैं। लडकियाँ अपने माता-पिता की और उनके कार्यों की अधिक परवाह करने वाली होती हैं। एक महिला अपने जीवन में माता, पत्नी, बेटी, बहन की भूमिका निभाती है।
प्रत्येक मनुष्य को यह सोचना चाहिए कि उसकी पत्नी किसी और आदमी की बेटी है और भविष्य में उसकी बेटी किसी और की पत्नी होगी। इसीलिए हर किसी को महिला के प्रत्येक रूप का सम्मान करना चाहिए। एक लडकी अपनी जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को भी बहुत ही वफादारी से निभाती है जो लडकियों को लडकों से अधिक विशेष बनाती है। लडकियाँ मानव जाति के अस्तित्व का परम कारण होती हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ का उद्देश्य : इस मिशन का मूल उद्देश्य समाज में पनपते लिंग असंतुलन को नियंत्रित करना है। हमारे समाज में कन्या भ्रूण हत्या बढती ही जा रही है जिसकी वजह से हमारे देश का भविष्य एक चिंताजनक विषय बन चुका है। इस अभियान के द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध आवाज उठाई गयी है।
यह अभियान हमारे घर की बहु-बेटियों पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध एक संघर्ष है। इस अभियान के द्वारा समाज में लडकियों को समान अधिकार दिलाए जा सकते हैं। आज के समय में हमारे समाज में लडकियों के साथ अनेक प्रकार के अत्याचार किये जा रहे हैं जिनमें से दहेज प्रथा भी एक है। लडकियों को समाज में कन्या भ्रूण हत्या का सामना करना पड़ता है।
लेकिन अगर कोई लडकी पैदा भी हो जाती है तो जन्म के बाद बहुत सारे सामाजिक अत्याचारों का सामना करना पड़ता है जैसे – लडकियों को शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रखना, उन्हें समाज में अपने सही अधिकारों से वंचित रखना आदि। इन सभी आत्याचारों को खत्म करने के लिए यह अभियान बहुत हद तक सफल रहा है। बेटियों को पढ़ाकर हम अपने समाज की प्रगति को एक गति प्रदान कर सकते हैं।
हम अपनी बेटियों को पढ़-लिखकर अपने सपनों को हासिल करने का मौका दे सकते हैं जो भविष्य में कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा को ना कहने की हिम्मत देगा। बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा चलाया गया एक मुख्य अभियान है। भारत का यह सपना है कि लडकियों को उनका अधिकार मिलना चाहिए और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना चाहिए।
उपसंहार : भारत के प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए प्रयास करना चाहिए। लडकियों को उनके माता-पिता द्वारा लडकों के समान समझा जाना चाहिए और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिए।
बेटी बचाओं अभियान को लोगों द्वारा एक विषय के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए ये एक सामाजिक जागरूकता का मुद्दा है जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। लडकियाँ पूरे संसार के निर्माण की शक्ति रखती हैं। लडकियाँ भी देश के विकास और वृद्धि के लिए समान रूप से आवश्यक होती है। लडकियाँ लडकों की तरह देश के विकास में समान रूप से भागीदार है। समाज और देश की भलाई के लिए उसे सम्मानित और प्यार किया जाना चाहिए।
Beti Bachao Beti Padhao Essay In English
Bhumika : Prathvi par manav jaati ka astitva, aadmi or aurat donon ki saman bhagidari ke bina sanbhav nhin hota hai. Donon hi prathvi par manav jaati ke astitva ke sath-sath kisi bhi desh ke vikas ke liye saman rup se jimmedar hai. Mahilayen purushon se adhik mahtvapurn hoti hain kyonki mahilaon ke bina manav jaati ki nirantarta ke bare me kalpna bhi nhin ki ja sakti hai kyonki mahilayen hi manav ko janam deti hain.
Ladkiyan prachinkaal se Bharat me bahut prakar ke apradhon se pidit hain. Sabse bada apradh Kanya Bhrun Hatya hai jismen ultrasound ke madhyam se ling parikshan ke baad ladkiyon ko maa ke garbh me hi maar diya jata hai. Beti Bachao Abhiyan ko sarkar dvara Kanya Bhrun Hatya ke sath-sath balikaon ke viruddh anya apradhon ko samapt karne ke liye shuru kiya gaya hai.
Bhartiya samaj me ladkiyon ki sthiti bahut samay se vivad ka vishaya bani huyi hai. Aamtaur par prachin samay se hi dekha jata hai ki ladkiyon ko khana banane or gudiyon ke sath khelne me shamil hone ki manyata hoti hai jabki ladke shiksha or anya sharirik gatividhiyon me shamil hote hain. Aesi purani manyataon ki vajah se log mahilaon ke khilaf hinsa karne ko aatur ho jate hain. Iske parinam svarup samaj me balikaon ki sankhya lagatar kam hoti ja rahi hai.
Kanya Bhrun Hatya ka Kanya Shishu Anupaat kami par prabhav : Kanya Bhrun Hatya aspatalon me ling parikshan ke baad garbhpaat ke madhyam se kiya jane vala ek bahut hi bhayanak apradh hai. Yah bhayanak karya Bharat me ladkiyon ki apeksha ladkon ki adhik chhah ki vajah se utpann huaa hai. Is samasya ne Bharat me bahut had tak Kanya Shishu ling anupaat me kami ki hai.
Yah samsya desh me ultrasound takniki ki vajah se hi sanbhav ho paya hai. Is samasya ne samaj me bhayanak danav ka rup le liya hai. Bharat me mahila ling anupaat m bhaari kami 1991 ki rashtriya janganna ke baad dekhi gayi thi.
Baad me 2001 ki rashtriya janganna ke baad ise samaj ki ek bigadti huyi samasya ke rup me ghoshit kiya gaya tha. Mahilaon ki aabadi me 2011 tak kami jaari rahi thi. Baad me kanya shishu ke anupaat ko niyantrit karne ke liye sarkar dvara is pratha par sakhti se pratibandh lagaya gaya tha.
Sann 2001 me Madhya Pradesh me ladkiyon/ladkon ka anupaat 932/1000 tha or 2011 me yah anupaat 912/1000 tak kam ho gaya tha. Iska arth yah hai ki yah samasya aaj tak jaari hai or agar isi tarah bhrun hatya hoti rahi to aane vale 2021 tak yah samsya 900/1000 tak kam ho jayegi.
Beti Bachao Beti Padhao Jagrukta Abhiyan : Beti Bachao Beti Padhao ek aesi yojna hai jiska arth hota hai kanya shishu ko bachao or inhen shikshahit karo. Is yojna ko Bhartiya sarkar ke dvara 22 January, 2015 ko kanya shishu ke liye jagrukta ka nirman karne ke liye or mahila kalyan me sudhar karne ke liye shuru kiya gaya tha.
Is abhiyan ko kuch gatividhiyon jaise – badi railyon, deewar lekhan, TV vigyapanon, hording, laghu aenimeshan, vedio filmon, nibandh lekhan, vaad-vivad aadi ko aayojit karke logon me failaya gaya tha. Is abhiyan ko bahut se sarkari or gair sarkari sansthanon dvara samarthit kiya gaya hai.
Beti Bachao Beti Padhao yojna desh ki betiyon ki aane vali zindgi ko sudharne vali muhim or hamare desh ki bhavishya likhne vali aham kalam hai jo aane vali pidhiyon ke liye ek bahut hi surakshit vatavaran layengi.
Is abhiyan ko samaj ke har varg ke logon ne bahut hi protsahit kiya hai. Hamare samaj me aese bahut se ghar ya parivar hain jahan par ladkiyon ko barabar nhin samajha jata hai, ladke-ladkiyon me bhedbhav kiya jata hai. Ladkiyon ko parivar me vah darja nhin milta hai jiski ve hakdar hoti hain.
Ladkiyon ko apne hi parivar me apne paksha ko rakhne ka adhikar bhi nhin diya jata hai. ladkiyon ko vastu ki tarah samjha jata hai jinhen sneh bhavna, pyar or mamta bas ek sapne ke saman lagta hai, In sabhi kuritiyon ko khatm karne or samaj ke manobhav ko sudharne ke liye hi Beti Bachao Beti Padhao Abhiyan ko chalaya gaya hai.
Beti Bachao Beti Padhao Abhiyan ke prabhavshali kadam : Sarkar dvara ladkiyon ko bachane or shikshit karne ke liye bahut se kadam uthaye gaye hain. Is vishay me sabse badi pahal Beti Bachao Beti Padhao hai jise bahut hi sakriya rup se sarkar, EGO, corporet samuhon or manav adhikar karyakartaon or gair sarkari sangathanon ne aage badhaya hai.
Isi disha me aage kadam badhate huye sarkar ne Sukanya Samraddhi yojna ki shuruaat ki hai jiske tahat ladkiyon ki padhayi or shadi ke liye sarkar paise muhaiya karayegi. Sann 1961 se Kanya Bhrun Hatya ek gair kanuni apradh hai or ling parikshan ke baad garbhpaat karana pratibandhit kar diya gaya hai.
In kadamon ko samaj ke logon ko yah batane ke liye liya gaya hai ki ladkiyan samaj me apradh nhin hoti hai apitu bhagvan ka diya huaa ek bahut hi khubsurat tohfa hoti hai. Kanyaon ko bachane or unke samman ko banane ke liye shiksha sabse badi kranti hai. Ladki ko sabhi kshetr me saman avsar dene chahiye.
Sabhi sarvjanik sthanon par ladkiyon ke liye raksha or suraksha aayojit karni chahiye. Vibhinn samajik sangathanon ne mahila schoolon me shauchalya ke nirman se abhiyan me madad ki hai. Balikaon or mahilaon ke viruddh apradh Bharat me vikas ke raste me bahut badi badha hai.
Beti Bachao Beti Padhao Abhiyan ki aavshyakta : Beti kisi bhi kshetra me ladkon ki tulna me kam saksham nhin hoti hai or ladkiyan ladkon ki apeksha adhik aagyakari, kam hinsak or abhimani sabit hoti hain. Ladkiyan apne mata-pita ki or aunke karyon ki adhik parvah karne vali hoti hain. Ek mahila apne jivan me mata, patni, beti, bahan ki bhumika nibhati hai.
Pratyek manushya ko yah sochna chahiye ki uski patni kisi or aadmi ki beti hai or bhavishya me uski beti kisi or ki patni hogi. Isliye har kisi ko mahila ke pratyek rup ka samman karna chahiye. Ek ladki apni jimmedariyon ke sath-sath apni peshevar jimmedariyon ko bhi bahut hi vafadari se nibhati hai jo ladkiyon ko ladko se adhik vishesh banati hai. Ladkiyan manav jaati ke astitva ka param kaara hoti hain.
Beti Bachao Beti Padhao ka uddeshya : Is mishan ka mool uddeshya samaj me panapte ling asantulan ko niyantrit karna hai. Hamare samaj me Kanya Bhrun Hatya badhti hi ja rahi hai jiski vajah se hamare desh ka bhavishya ek chintajanak vishaya ban chiuka hai. Is abhiyan ke dvara Kanya Bhrun Hatya ke viruddh aavaj uthayi gayi hai.
Yah abhiyan hamare ghar ki bahu-betiyon par hone vale atyachar ke viruddh ek sangharsh hai. Is abhiyan ke dvara samaj me ladkiyon ko saman adhikar dilaye ja sakte hain. Aaj ke samay me hamare samaj me ladkiyon ke sath anek prakar ke atyachar kiye ja rahe hain jinmen se dahej pratha bhi ek hai. Ladkiyon ko samaj me Kanya Bhrun Hatya ka samana karna padta hai.
Lekin agar koyi ladki paida bhi ho jati hai to janam ke baad bahut sare samajik atyacharon ka samna karna padta hai jaise – ladkiyon ko shiksha prapt karne se vanchit rakhna, unhen samaj me apne sahi adhikaron se vanchit rakhna aadi. In sabhi atyacharon ko khatam karne ke liye yah abhiyan bahut had tak safal raha hai. Betiyon ko padhakar ham apne samaj ki pragati ko ek gati pradan kar sakte hain.
Ham apni betiyon ko padh-likhkar apne sapnon ko hasil karne ka mauka de sakte hain jo bhavishya me Kanya Bhrun Hatya or dahej pratha ko na kahne ki himmat dega. Beti Bachao Beti Padhao Abhiyan hamare desh ke pradhanmantri dvara chalaya gaya ek mukhya abhiyan hai. Bharat ka yah sapna hai ki ladkiyon ko unka adhikar milna chahiye or ek svasth samaj ka nirman karna chahiye.
Upsanhar : Bharat ke pratyek nagrik ko Kanya Shishu Bachao ke sath-sath inka samaj me star sudharne ke liye prayas karna chahiye. Ladkiyon ko unke mata-pita dvara ladkon ke saman samjha jana chahiye or unhen sabhi karyakshetrin me saman avsar pradan karne chahiye.
Beti Bachao Abhiyan ko logon dvara ek vishay ke rup me nhin liya jana chahiye ye ek samajik jagrukta ka mudda hai jise ganbhirta se lene ki jarurat hai. Ladkiyan pure sansar ke nirman ki shakti rakhti hain. Ladkiyan bhi desh ke vikas or vraddi ke liye saman rup se aavshyak hoti hai. Ladkiyan ladkon ki tarah desh ke vikas me saman rup se bhagidar hai. Samaj or desh ki bhalayi ke liye use sammanit or pyar kiya jana chahiye. <!– hmcommentpost([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(‘