कल्पना चावला पर निबंध :
भूमिका : भारत को महान पुरुषों और महिलाओं की भूमि कहा जाता है। भारत में अनेक विभूतियों ने जन्म लेकर संसार में भारत के नाम को उज्ज्वल किया है। कल्पना चावला उन्हीं में से एक थी। आज के वैज्ञानिक इतिहास में उनका नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा। वे पूरे भारत की पहली अंतरिक्ष महिला थीं। उनका नाम पूरे भारत में सम्मान से लिया जाता है।
छोटी-सी उम्र से ही वे तारों के पास जाने की इच्छा रखती थीं। स्कूल में पढ़ते समय वे अंतरिक्ष और चाँद-सितारों के चित्र बहुत ही शोक से बनाया करती थीं। उनका सपना सच्च हुआ उन्होंने दो बार अंतरिक्ष की यात्रा की थी। अंतरिक्ष में जाना कल्पना चावला का एकमात्र लक्ष्य था लेकिन उन्हें शास्त्रीय संगीत से बहुत ही गहरा लगाव था।
जन्म एवं शिक्षा : कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल नगर में हुआ था। उनका जन्म 17 मार्च, 1962 को हुआ था। इनके पिता का नाम बनारसीदास चावला था और माता का नाम श्रीमती संयोगिता देवी चावला था। इनका पूरा नाम कल्पना जीन पियरे हैरिसन था। कल्पना चावला की दो बहने और एक भाई था।
वे अपने परिवार की सबसे छोटी सदस्य थीं। उन्होंने अपनी बाल शिक्षा को करनाल के टैगोर बाल निकेतन स्थानीय विश्व विद्यालय से प्राप्त की थी। जब उन्होंने दसवी की परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया तब उन्होंने प्री-इंजीनियरिंग को दयाल सिंह नामक स्थानीय कॉलेज से प्राप्त की थी। उन्होंने वैमानिक इंजीनियरिंग की परीक्षा पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से की थी।
कल्पना चावला ने एम० एस-सी० की परीक्षा को उत्तीर्ण करने के उद्देश्य से अमेरिका में टेक्सास विश्व विद्यालय में दाखिला लिया था। उनका विवाह 2 दिसंबर, 1983 को ज्यां पियरे हैरिस से हुआ था। अपने दोस्तों और पति से प्रेरणा लेकर उनकी रूचि अंतरिक्ष में और अधिक बढने लगी।
अंतरिक्ष विज्ञान की शिक्षा : कल्पना चावला को बचपन से ही अंतरिक्ष के मॉडल और चित्र बनाना बहुत पसंद था। उनके मन में बचपन से ही अंतरिक्ष में जाने का संकल्प था। कल्पना चावला ने लाईसेंस बनवाने के बाद कलाबाजी उडान भी सीखी थी। कल्पना चावला के कैरियर की शुरुआत नासा एमेस शोध के केंद्र से हुई थी। वहाँ पर उन्होंने शोध वैज्ञानिक के रूप में काम किया था। वहाँ पर एक वर्ष तक कड़ा परिश्रम करने के बाद उन्हें अंतरिक्ष की उड़न के लिए चुना गया था।
प्रथम सफल अंतरिक्ष उड़ान : कल्पना चावला को 15वें उम्मीदवार के रूप में जॉनसन स्पेस सैंटर भेजा गया था। उसके बाद उन्होंने अपने कदमों को पीछे नहीं हटने दिया। उन्होंने 1996 में बहुत उन्नति प्राप्त की और मिशन विशेषज्ञ का दर्जा प्राप्त किया। आखिर में 19 नवम्बर, 1997 में उन्होंने कोलम्बिया अंतरिक्ष यान से अपनी पहली उडान को शुरू किया था। जब उन्होंने अपनी पहली उडान को सफल कर लिया था तब उनके चेहरे पर सफलता की खुशी झलक रही थी। इसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन अंतरिक्ष को सौंप दिया था।
दूसरी और अंतिम उडान : दूसरी बार कल्पना चावला को कोलंबिया की शुद्ध उडान के लिए चुना गया। इस उडान में उनके साथ और छ: वैज्ञानिक यात्री भी थे। वे अंतरिक्ष में 16 जनवरी, 2003 को गयीं थीं। जब वे 1 फरवरी, 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौट रहीं थीं तो उनका विमान कोलंबिया किसी वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
विस्फोट के समय कल्पना चावला और उनके छ: साथी उनके साथ भगवान को प्रिय हो गये थे। कल्पना ने इस उडान में 760 घंटे अंतरिक्ष में बिताये थे और पृथ्वी के 252 चक्कर भी काटे थे। उनकी मृत्यु एक वीर नायिका की भांति हुई थी इसी कारण से भारत में उन्हें राष्ट्रीय नायिका की उपाधि मिली थी।
उपसंहार : उन्हें अमेरिका की नागरिकता की प्राप्ति होने के बाद भी वे अपने देश से अत्यधिक प्रेम करती थीं। उन्हें टैगोर बाल निकेतन विद्यालय से बहुत प्रेम था। इसी वजह से हर साल इस विद्यालय से दो विद्यार्थी नासा के लिए आमंत्रित किये जाते हैं।
बच्चों को संदेश देते हुए कल्पना चावला ने कहा था कि भौतिक लाभों को ही प्रेरणा के स्त्रोत नहीं मानना चाहिए। इन्हें तो आप आगे भी हासिल कर सकते हैं। मंजिल तक पहुंचने का रास्ता खोजना चाहिए। यह जरूरी नहीं होता कि सबसे छोटा रास्ता सबसे अच्छा हो। मंजिल तक पहुंचने का सफर भी बहुत अहमियत रखता है।