Arthritis(गठिया) क्या है :-
गठिया के रोगी के लिए खड़े होकर पानी पीना वर्जित है !
Arthritis को हिंदी में गठिया कहते हैं जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं। गठिया रोग से सबसे ज्यादा परेशानी हमारे हड्डी के जोड़ों में होती है।
Arthritis के प्रकार :- यह मुख्यत तीन प्रकार का होता है वैसे तो यह कई प्रकार का होता है लेकिन ये तीन प्रकार मुख्य हैं – 1. Osteoarthriti जिसे हिंदी में अस्थिसंधिशोथ के नाम से जाना जाता है। 2. Rheumatoid Arthritis इसे हिंदी में आमवातिक संधिशोथ या ‘रुमेटी संधिशोथ के नाम से जाना जाता है। 3. Psoriatic Arthritis इसे हिंदी में सोरियासिस संधिशोथ कहते हैं।
Arthritis(गठिया) किसको और क्यों होता है :-
प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता है। यह रोग पुरुषों में 75 साल के बाद होता है और ज्यादातर महिलायों में यह रोग मनोपाज के बाद होता है। और जिस व्यक्ति की किडनी अच्छे से कार्य नही करती है उसको भी Arthritis रोग हो जाता है।
Arthritis(गठिया) के लक्षण :-
जब व्यक्ति को गठिया रोग हो जाता है तो ये सब लक्षण समाने उभर के आते हैं जैसे-
1. रोगी के जोड़ों में लचीलेपन में कमी होती है।
2. रोगी का वजन घटता जाता है।
3. शरीर में बहुत ज्यादा थकान रहती है।
4. चलने पर संधि शोथ वाले जोड़ों की आवाज आना इसका एक प्रमुख लक्षण है।
5. चलने फिरने में जोड़ों में दर्द होना, एक जगह काफी देर बैठने के बाद उठने में जोड़ों मैं बहुत दर्द होता है।
6. जब रोगी के शरीर के जोड़ों को कोई छूता है तो रोगी को बहुत पीड़ा होती है।
7. प्रभावित जोड़ के ऊपर त्वचा में गर्माहट और लालिमा का होना।
7. कभी-कभी जोड़ो पर सूजन, जकड़न और दर्द होता है ये तब होता है जब जोड़ों में यूरिक एसिड जमा हो जाता है इत्यादि।
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Arthritis(गठिया) के कारण :-
वैसे तो गठिया रोग जोड़ों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा होने के कारण होता है लेकिन कुछ कारण ऐसे भी होते हैं जिनकी वजह से जोड़ों में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है वो कारण कुछ इस प्रकार हैं-
1. बैक्टीरियल अथवा वायरल से फैलने वाले रोग के कारण Arthritis रोग हो जाता है।
2. अनुवांशिक के कारण भी Arthritis हो जाता है।
3. शरीर में अत्यधिक मोटापे व् वजन के कारण Arthritis हो जाता है।
4. महिलायों में रजोनिवर्त्ति के बाद Arthritis होने का खतरा अधिक रहता है।
5. ज्यादा शराब पीना, हाई ब्लड प्रेशर और पोषण की कमी के कारण भी Arthritis रोग हो जाता है।
6. वसायुक्त भोजन अधिक मात्रा में खाने से भी गठिया रोग हो सकता है।
7. उच्च रक्त-चाप, मधुमेह, रक्त में बढे कोलेस्ट्रोल की मात्रा के कारण Arthritis रोग हो जाता है।
8. अधिक पेसाब आना भी Arthritis का ही एक कारण है।
9. गठिया रोग में हाथ-पांवों में छोटी-छोटी गांठें बन जाती है
Arthritis(गठिया) का आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेदिक में गठिया के सभी प्रकारों जैसे – रूमेटायड आर्थराइटिस, ऑस्टियो आर्थराइटिस, और ऐंकलूजिंग स्पोंडीलोसिस, गाउट, जुवेनाइल आर्थराइटिस आदि का सफल उपचार है।
इन तीन इलाजों मैं से आप कोइसा भी एक इलाज कर सकते हो सारे इलाज एक साथ नही करने हैं।
चुने से इलाज :- इसका सबसे अच्छा इलाज है चुना ! वही चुना जिसे पान में लगाकर खाया जाता है। अब चुने में से गेहूं के दाने के बराबर चुना आपको एक कफ दही में मिलाकर खाना है अगर आपके पास दही उपलब्ध नही तो इसे आप एक कटोरी डाल में मिला कर भी खा सकते हो। अगर आपके घर में डाल भी प्रतिदिन नही बनती हो तो आप इसे एक गिलास ताजा पानी में मिलाकर ले सकते हो पर ध्यान रहे ये पानी आपको बैठ कर पीना है खड़े होक नहीं। इस दवा का सेवन आपको 3 महीने तक करना है देखना एक दम ठीक हो जाओगे।
नोट :- अगर आपको पथरी की समस्या है तो आप चुना न लें क्यूंकि अगर आप चुना लेंगे तो पथरी निकलने में परेशानी हो सकती है इस लिए पथरी की समयसा वाले व्यक्ति को चूने का सेवन बिलकुल भी नही करना चाहिये। और जब भी आप पानी पियो तो हमेशा बैठ कर पियो क्यूंकि यह भी Arthritis होने का कारण है अगर आप खड़े होकर पानी पियोगे तो ये सभी दवाई कम असर करेंगी।
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40 साल पुरानी Arthritis का अच्छा इलाज :- अगर किसी को 40 साल से ज्यादा पुरानी Arthritis है तो आप इस दवा का सेवन करें इस दवा से पुराने से पुराना Arthritis एक दम ठीक हो जाता है| एक पेड़ है जिसका नाम होता है हारसिंगार! इसका अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नाम है जैसे इसे हिंदी में हारसिंगार, संस्कृत पे पारिजात, बंगला में शिउली के नाम से जाना जाता है| इस पेड़ की पहचान ये है कि इस पर से पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है। अब इस पेड़ से 8-10 पत्ते तोड़ लें अब इनको सिलबाट पर अच्छी तरह से पीस लें तब तक पीसें तब तक की ये चटनी के रूप में ना आ जाये अब इसे एक गिलास पानी मैं उबालें जब तक उबालें तब तक की दवाई एक गिलास की जगह आधा गिलास न रह जाए इब इसको ठंडा करके रोगी को सुबह-सुबह खाली पेट पिलाना है देखना 20-25 दिन मैं कितना अच्छा result आता है| ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा।
मेथी के दाना से इलाज :- आप मेथी दाने से दोनों तरह के आर्थराइटिस का अच्छा इलाज कर सकते हो। मेथी दाना आपके रसोई घर में आसानी से उपलब्ध होता है करना क्या है कि एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच के गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डाल दो फिर उसको रात भर भिगोके रखना। सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना। तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है।
Arthritis(गठिया) में परहेज व् इससे बचने के उपाय :-
1. सबसे पहले आपको अपने शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखना होगा।
2. कपालभाती, अनुलोम विलोम प्राणायाम जरूर करें।
3. सप्ताह में कम से कम 3 बार मांसपेशियों का व्यायाम जरूरी है।
4. संतुलित और सुपाच्य आहार लें चोकर युक्त आटे की रोटी तथा छिलके वाली मूंग की दाल खाएं।
5. दूध व् पनीर का सेवन न करें।
6. जितना हो सके पानी(जल) अधिक मात्रा में लें।
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