उज्जायी प्राणायाम-Ujjayi Pranayama In Hindi
उज्जयी का शाब्दिक अर्थ होता विजयी या जीतने वाला। अथार्त इस प्राणायाम के अभ्यास से हम वायु पर अपनी जीत हासिल कर सकते हैं। और अगर हम वायु की बात करें तो यहाँ पर वायु का अर्थ है स्वास अथार्त इस प्राणायाम का अभ्यास करने से हम अपनी स्वासों पर विजयी प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए इस प्राणायाम को अंग्रेजी में Victorious breath कहा जाता हैं।
उज्जयी प्राणायाम करते समय समंदर की आवाज के समान ध्वनि आती हैं इसलिए इसे ओशियन ब्रेथ (Ocean Breath) भी कहा जाता है। जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शशरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है। इस प्रणायाम का अभ्यास शर्दी को दूर करने के लिए किया जाता है । इसका अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है- खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर।
उज्जायी प्राणायाम करने की विधि-Steps of Ujjayi Pranayama In Hindi
उज्जयी प्राणायाम को तीन तरीके से किया जा सकता है और वो तीन तरीके आपको पूरे steps के साथ नीचे बताये गयें हैं :
1. उज्जयी प्राणायाम को बैठकर कैसे करें
- सबसे पहले आप किसी समतल और स्वस्छ जमीन पर चटाई या आसन बिछाकर उस पर पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं।
- अब अपनी दोनों नासिका छिद्रों से साँस को अंदर की ओर खीचें इतना खींचे की हवा फेफड़ों में भर जाये सांस को धीरे-धीरे खीचें एक साथ स्वास कभी नहीं खीचना चाहिए।
- फिर वायु को जितना हो सके अपने फेफड़ों के अंदर रोके।
- अब अपनी नाक के दायें छिद्र को बंद करके फिर नासिका के बायें छिद्र से साँस को बहार निकाले।
- अब वायु को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते समय कंठ को संकुचित करते हुए ध्वनि करेंगे, जैसे हलके घर्राटों की तरह या समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है।
- अब इसी क्रिया को आप 10-12 मिनट तक दोहरायें
2. उज्जयी प्राणायाम को खड़े होकर कैसे करें
- सबसे पहले आप सावधान कि अवस्था में खड़े हो जाएँ। ध्यान रहे कि आपकी दोनों एड़ी आपस में मिली हो और दोनों पंजे फैले हुए हों।
- अब अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होटों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें।
- अब बाहर नीकली हुई जीभ से अन्दर की वायु को धीरे-धीरे बहार निकालें।
- अब अपनी दोनों नासिकायों से धीरे- धीरे गहरी स्वास लें।
- अब यहाँ पर आपको कुम्बक करना है कुम्भक का अर्थ होता है की स्वांस को जितना हो सके अंदर रोकें।
- फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर स्वांस को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।
- अब इसी क्रिया को आप 10-12 बार करें।
3. उज्जयी प्राणायाम को लेटकर कैसे करें
- सबसे पहले किसी समतल जमीन पर दरी बिछाकर उस पर सीधे लेट जाए।
- अपने दोनों पैरों को सटाकर रखें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
- अब धीरे–धीरे लम्बी व् गहरी स्वांस लें।
- अब स्वांस को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें अथार्त कुंभक करें।
- फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर स्वांस को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।
- अब इसी क्रिया को आप 15-20 बार करें।
उज्जायी प्राणायाम करने की समय व् अविधि-Times of Ujjayi Pranayama In Hindi
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। सांस अंदर लेने का समय करीब 5-7 सेकंड तक का होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 15-20 सेकंड तक का होना चाहिए।
उज्जायी प्राणायाम से होने वाले लाभ-Benefits of Ujjayi Pranayama In Hindi
1. रोगों में फायदेमंद : इस प्रणायाम के नियमित अभ्यास से कफ रोग, अजीर्ण, गैस की समस्या दूर होती है।
2. ह्रदय रोगों में : उज्जायी प्राणायाम के अभ्यास से हम ह्रदय के ज्यादातर सभी रोगों को नष्ट कर सकते हैं।
3. स्वास व् साइनस रोग में : उज्जायी प्राणायाम श्वास रोग और साइनस में लाभदायक होता है।
4. कुण्डलिनी शक्ति : उज्जायी प्राणायाम कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने में सहयोग करता है।
5. Hypothyroidism में : Hypothyroidism से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए उज्जायी प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है।
6. खर्राटे में : उज्जायी प्राणायाम के नियमित अभ्यास सेखर्राटो की समस्या में लाभ मिलता है।
7. दमा और TB में फायदेमंद :उज्जायी प्राणायाम करने से दमा और TB से पीड़ित व्यक्तिओ को लाभ मिलता है।
8-दूषित पधार्तों : उज्जयी प्राणायाम से शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं और इस लिए यह मुंहासो से पीड़ित व्यक्तिओ में लाभकर हैं।
9. पेट की चर्बी : उज्जायी प्राणायाम पेट की चर्बी को कम करने में हमारी मदद करता है।
10.पीठदर्द में : पीठदर्द से परेशान व्यक्तिओ के लिए ये प्राणयाम बहुत ही मददगार हैं।
11. मन व् दिमाग को करे शांत : उज्जायी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होकर मन शांत होता है।
12. फेफड़ों को मजबूत : इसका सबसे अच्छा फायदा ये है की ये हमारे फेफड़ों को मजबूत बनता है।
13. खून का संचार : उज्जयी प्राणायाम को करने से खून का संचार ठीक से होता है।
14. पाचन क्रिया : उज्जयी प्राणायाम से पाचन क्रिया अच्छी बनी रहती है और उज्जयी प्राणायाम श्वसन प्रणाली को भी सेहतमंद बनाये रखता है।
15. थायरॉईड ग्रंथि में : यह प्राणायाम थायरॉईड ग्रंथि के रोग को भी यह दूर करता है और उसको स्वस्थ बनाए रखता है।
16. नाड़ी सम्बंधित विकार : यह नाड़ी से सम्बंधित विकार को दूर करता है और ऊर्जा के प्रवाह में मदद करता है। और साथ ही गर्दन में मौजूद पैराथाइरॉइड को भी स्वस्थ रखता है।
17. मस्तिष्क से गर्मी : उज्जयी प्राणायाम मस्तिष्क से गर्मी दूर कर इसे ठंड पहुंचाता है।
उज्जयी प्राणायाम करते समय सावधानियां-Precaution of Ujjayi Pranayama In Hindi
- यह प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए।
- इस प्राणयाम की अविधि एक साथ नहीं बढानी चाहिए।
- इस प्राणायाम में साँसे गले की नली को छुकर जानि चाहिये।
- सर दर्द व् चक्कर आने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- ज्यादा जोर लगाकर आवाज़ न करें, अन्यथा गले में खराश हो जाएगी।
- इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर करें।