कोलेस्ट्रॉल क्या है:-
कोलेस्ट्रॉल एक तरल मोम जैसा पदार्थ होता है जोकि यकृत से उत्पन्न होता है | शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग २५ प्रतिशत उत्पादन यकृत के माध्यम से होता है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। हमारे शरीर में ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा होने पर हमें गंभीर बिमारियाँ भी हो सकती है जैसे की- आर्टरी ब्लोंकेज, स्टॉक्स, हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप आदि कई समस्या कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर होती है |
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार (Types Of Cholesterol):-
कोलेस्ट्रॉल मुख्यतः तीन प्रकार का होता है जो की इस प्रकार है
एल डी एल (कम घनत्व कोलेस्ट्रॉल) :- यह कोलेस्ट्रॉल बहुत ही ख़राब और नुकसानदायक होता है | क्यूंकि इसकी उत्पत्ति लीवर से होती है | जो वसा को लिवर से शरीर के अन्य भागों मांसपेशियों, ऊतकों, इंद्रियों और हृदय तक पहुंचाता है। यह बहुत आवश्यक है कि एल डी एल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहे, क्योंकि इससे यह पता चलता है कि रक्त के प्रवाह में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो गई है। ऐसे में यह रक्तनली की दीवारों पर यह जमना शुरू हो जाता है और कभी-कभी नली के छिद्र बंद हो जाते हैं।
वी एल डी एल :- वी एल डी एल का पूरा नाम वेरी लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स है इस कोलेस्ट्रॉल से ज्यादातर दिल की बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं | यह शरीर में लिवर से ऊतकों और इंद्रियों के बीच कोलेस्ट्रॉल को ले जाता है। इस वजह से वीएलडीएल को एलडीएल से अधिक नुक़सानदायक माना गया है
एच डी एल :- एच डी एल का पूरा नाम हाई डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स है इसकी उत्पत्ति यकृत से ही हुई है और इसको एक अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है | यह कोलेस्ट्रॉल और पित्त को ऊतकों और इंद्रियों से पुनष्चक्रित करने के बाद वापस लिवर में पहुंचाता है।एच डी एल का मुख्य स्त्रोत – अलसि(सुपर फुड), मछली का तेल, हरी ताज़ा सब्जियाँ और सोयाबीन के पदार्थ आदि है |
कोलेस्ट्रॉल के लक्षण :-
जब व्यक्ति के अन्दर कोलेस्ट्रॉल समस्या होती तो कुछ लक्षण समाने आते हैं जैसे –
B.P हाई होने लगता है | और सांस भी फूलने लगती है एक तरीके से अस्थमा की सिकायत बन जाती है |पैरों में दर्द रहने लगता है | शरीर में बहुत ज्यादा थकावट महसूस होती है | मधुमेह रोगी, शर्करा मात्रा अधिक रहने से उनका खून गाढ़ा होता है।
कॉलेस्ट्रॉल से बचने के लिए क्या करें :-
बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय रोगों को बुलावा देता है, ये धमनियों में एकत्र होने लगता है और इसका मार्ग संकरा कर देता है तंग धमनियों से उच्च रक्तचाप कि शिकायत हो जाती है इनसे रक्त के धक्के (ब्लड क्लोटिंग) होने से दिल का दौरा पड़ने कि सम्भावना बढ़ जाती है जो मृत्यु का कारण भी बन सकती है।
1. लौकी के रश से इलाज:- पूरे आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल को कम करने का सबसे अच्छा इलाज है लौकी का रस। अगर आप लौकी के रश का आप नियमित सेवन करते हैं तो आपका बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल 100 प्रतिसत कम हो जाएगा। और होने वाली हार्ट ब्लोकेज से भी आप छुटकारा पा सकते हैं इतनी ताकत होती है लौकी के रश में इसलिए लौकी का सेवन बहुत जरुरी होता है।
2. तेल का सही तरह से सेवन करें :- तेलों का सही बैलेंस जरूरी है। एक दिन में कुल तीन चम्मच तेल काफी है। तेल बदल-बदल कर और कॉम्बिनेशन में खाएं, मसलन सरसों, मूंगफली, नारियल, ऑलिव ऑइल और तिल का तेल बदल बदल कर इस्तेमाल करना चाहिए। रिफाइंड तेल बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। कॉम्बिनेशन और बदल-बदल कर तेल खाने से शरीर को सभी जरूरी फैट्स मिल जाते हैं।
3. आंवला का सेवन करें :- आंवला ख़राब कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों में बहुत ही ज्यादा लाभदायक है इसलिए अगर आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है तो आप प्रतिदिन कम से कम 2-3 आंवलो का सेवन अवश्य करें।
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4. चुकंदर का सेवन करें :- चुकंदर भी ख़राब कोलेस्ट्रॉल के लिए बहुत लाभदायक है | इसलिए चुकंदर का सेवन सुबह-सुबह या फिर आप इसका सेवन सलाद के रूप में भी कर सकते हैं |
5. तेल का सही तरह से सेवन करें :- तेलों का सही बैलेंस जरूरी है। एक दिन में कुल तीन चम्मच तेल काफी है। तेल बदल-बदल कर और कॉम्बिनेशन में खाएं, मसलन सरसों, मूंगफली, नारियल, ऑलिव ऑइल और तिल का तेल बदल बदल कर इस्तेमाल करना चाहिए। रिफाइंड तेल बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। कॉम्बिनेशन और बदल-बदल कर तेल खाने से शरीर को सभी जरूरी फैट्स मिल जाते हैं।
6. अर्जुन की छाल के काढ़े का सेवन करें :- दवाओ में अर्जुन कि छाल का काढ़ा नियमित इस्तेमाल करें, चाहे आप अर्जुन का काढ़ा बनाये या फिर इसकी छाल को चाय कि तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इस चाय में चायपत्ती नहीं मिलानी, बाकी वैसे ही चाय बनाये, इस दवा को और कारगर बनाने के लिए आप इसमें चुटकी भर दालचीनी भी मिला कर काढ़ा या चाय बनाये।
7. फाइबर का सेवन करें :- ऐसी चीजें खाएं जिनमें फाइबर ज्यादा मात्रा में हो, जैसे कि गेहूं, ज्वार, बाजरा, जई (जौ) आदि। दलिया, स्प्राउट्स, ओट्स और दालों के फाइबर से कॉलेस्ट्रॉल कम होता है। आटे में चोकर मिलाकर इस्तेमाल करें। मेथी , लहसुन , प्याज , हल्दी , बादाम , सोयाबीन आदि खाएं। इनसे कॉलेस्ट्रॉल कम होता है। एक चम्मच मेथी के दानों को पानी में भिगो लें। सुबह उस पानी को पी लें। मेथी के बीजों को स्प्राउट्स में मिला लें, उसमें फाइबर होता है।
8. हरी सब्जियों का सेवन करें :- हरी सब्जियां, साग, शलजम, बीन्स, मटर, ओट्स, सनफ्लावर सीड्स, अलसी आदि खाएं। इनसे फॉलिक एसिड होता है, जो कॉलेस्ट्रॉल लेवल को मेंटेन करने में मदद करता है।
9. बादाम का सेवन करें :- एचडीएल यानी अच्छे कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए रोजाना 8-10 बादाम पानी में भिगो कर खाएं । इसके अलावा ओमेगा थ्री वाली चीजें अखरोट, फ्लैक्स सीड्स (अलसी के बीज) खाने चाहिए। नारियल पानी पीएं। शहद ले सकते हैं क्योंकि इससे इम्युनिटी बढ़ती है।
10. इन जूसों का सेवन करें :- कॉलेस्ट्रॉल लिवर के डिस्ऑर्डर से बढ़ता है। लिवर को डिटॉक्सिफाइ करने के लिए अलोवेरा जूस, आंवला जूस और वेजिटेबल जूस लें। इन तीनों को मिलाकर रोजाना एक गिलास जूस लें। कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा है तो दिन में दो गिलास भी पी सकते हैं।
आयुर्वेद से उपचार :-
1- आप कोलेस्ट्राल का इलाज आयुर्वेद से भी कर सकते हैं रात को 40-50 ग्राम काले चने, 10-12 किशमिश या मुनक्का और दो-तीन बादाम को भिगो दें अब सुबह खाली पेट इन्हें चबा चबा कर खा लें और यही पानी पी लें। इससे असामान्य रक्तचाप सामान्य हो जाता है तथा कोलेस्ट्रॉल भी सामान्य होकर हृदय शक्तिशाली हो जायेगा। यह प्रयोग लम्बे समय तक करते रहें, मधुमेह के रोगी ४ किशमिश ही लें।
ख़राब कोलेस्ट्रॉल में इन चीजो का सेवन न करें :-
तला-भुना खाना न खाएं। भाप में पकाकर खाना खाएं। देसी घी, डालडा, मियोनिज, बटर न लें। बिस्किट, कुकीज, मट्ठी मैदे की चीजों आदि में काफी ट्रांसफैट होता है, जो सीधा लिवर पर असर करता है। उससे बचें। प्रोसेस्ड और जंक फूड से बचें। पेस्ट्री, केक, आइसक्रीम, मीट भुजिया आदि से भी परहेज करें। फुल क्रीम दूध और उससे बना पनीर या खोया न खाएं। उड़द दाल, नमक, और चावल ज्यादा न खाएं। कॉफी भी ज्यादा न पिएं।
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