उत्तान कूर्मासन क्या है :-
यह एक योगासन है जिसमें कुर्म का अर्थ होता है कछुआ। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की आकृति कछुए के समान बन जाती है इसीलिए इसे कुर्मासन कहते हैं। अगर इस असं को प्रितिदीन किया जाए तो पीठ मजबूत बनती है। मन शांत होता है और शरीर में लचीलापन आता है। अगर आपको मधुमेह की बीमारी है और लंबे समय से कंट्रोल नहीं हो रही है तो नियमित रूप से कुर्मासन करें। आइये जानते हैं की कुर्मासन की विधि और इसके लाभ और सावधानियां :-
उत्तान कूर्मासन की विधि :-
पहली स्थिति :- सबसे पहले सपाट या समतल जमीन पर दरी बिछा लें |
दूसरी स्थिति :- फिर आप वज्रासन में बैठ जाएं।
तीसरी स्थिति :- फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर नितम्ब के नीचे रख लें |
चौथी स्थिति :- अब पंजो को मिलाकर एडियों को थोडा अलग रखें|
पांचवी स्थिति :- अब अपने पूरे सरीर का भार मतलब waight एडी व् पंजों पर डालकर बैठ जाएँ |
छटवी स्थिति :- अब अपने दोनों हाथों को कमर के नीचे जमीन पर रखें |
सातवीं स्थिति :- अब अपने शरीर का संतुलन बनाते हुए धीरे-धीरे पीछे की और झुकते हुए शारीर को जमीन पर टिका दें |
आठवी स्थिति :- अब आपको अपने दोनों हाथ अपनी जाघों पर रखना है |
नौवीं स्थिति :- इस दौरान दृष्टि सामने रखें और कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद श्वास लेते हुए वापस आएं।
उत्तान कूर्मासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।| इस आसन को नियमित कम से कम 10-12 बार करे|
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उत्तान कूर्मासन के लाभ :-
1. सभी नाड़ियाँ सुद्ध होती हैं :- इस आसन को करने से शरीर की सभी नाड़ियों की शुद्धि होती है । यह आसन शरीर की सभी 72 हज़ार नाड़ियों में प्राण का संचार कराने में सहायक है, जो नर्वस सिस्टम को ताकत देकर उसकी कमजोरी से होने वाले रोगों में लाभ पहुंचाता है।
2. शुगर में फायदेमंद:- शुगर के रोगियों के लिए यह आसन बहुत ही लाभदायक है। डायबिटीज या मधुमेह उस चयापचय बीमारी को कहा जाता है, जहाँ व्यक्ति जिसमे व्यक्ति के खून में शुगर (रक्त शर्करा) की मात्रा जरुरत से ज्यादा हो जाती है। – Sugar Ka Ilaj
3. उदर रोगों में फायदेमंद:- यह आसन उदर के रोगों में फायदेमंद होता है। शरीर का वह भाग जो ह्रदय और पेडू के बीच में स्थित है तथा जिसमें खाई हुई वस्तुएँ पहुँचती है।
4.पीठ दर्द में लाभ:- इस आसन के अभ्यास पीठ दर्द में बहुत जल्द लाभ मिलता है| पीठ दर्द (“डोर्सलाजिया ” के नाम से भी जाना जाता है) पीठ में होनेवाला वह दर्द है, जो आम तौर पर मांसपेशियों, तंत्रिका, हड्डियों, जोड़ों या रीढ़ की अन्य संरचनाओं में महसूस किया जाता है।
5. नाभि केन्द्र ठीक रहता है:– इस आसन के अभ्यास से नाभि केन्द्र ठीक रहता है। नाभि (चिकित्सकीय भाषा में अम्बिलीकस के रूप में ज्ञात और बेली बटन के नाम से भी जानी जाती है) पेट पर एक गहरा निशान होती है, जो नवजात शिशु से गर्भनाल को अलग करने के कारण बनती है। सभी अपरा संबंधी स्तनपाइयों में नाभि होती है। यह मानव में काफी स्पष्ट होती है।
उत्तान कूर्मासन के अन्य फायदे :-
1. यह आसन डायबिटीज से मुक्ति दिलाता है क्योंकि इससे पेन्क्रियाज को सक्रिय करने में मदद मिलती है।
2. यह आसन नृत्य कलाकारों के लिए उतम है। क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
3. पेट के मोटापे को कम करता है। कमर पतली, लचीली, सुन्दर और मनोहर लगने लगती है।
4. यह आसन श्वास संबंधी तथा गले के सभी रोगों को दूर करता है।
5. यह आसन पेट, गले, घुटनों आदि के लिए अधिक उपयोगी है।
उत्तान कूर्मासन करते समय सावधानियां :-
1. अल्सर के रोगी इस योगासन को न करें |
2. जिनको हाई ब्लड प्रेशर है वो इसको न करें |
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