हलासन क्या है :-
हलासन एक योगासन है | यह शब्द हला और आसन से मिलकर बना है | इसलिए इस योग को हलासन कहा जाता है | दूसरा कारण इस योग से व्यक्ति के शरीर का आकार हल जैसा हो जाता है इसलिए भी इसे हलासन योग कहा जाता है | यह शब्द संस्क्रत से लिया गया है | और इसका अंग्रेजी मैं नाम Plow Pose है | यह आसन कई बीमारियां दूर करता है। साथ ही साथ यह आसन गर्दन को सीधा व लचीला और वजन को घटाने के लिए महत्वपूर्ण योगासन है। तो आएये जानते इसे कैसे करें और इसके क्या क्या लाभ हैं |
हलासन करने की विधि :-
पहली स्थिति :- सबसे पहले किसी साफ व समतल स्थान पर जमीन पर चटाई को बिछा लीजिए।
दूसरी स्थिति :- अब चटाई पर पीठ के बल लेट जाएँ |
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को एक दुसरे से मिला लें |
चौथी स्थिति :- अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर अपनी कमर के पास लगा लें | मुंह उपर आसमान की तरफ और आखें बंद करें।
पांचवी स्थिति :- अब दोनों पैरों को धीरे धीरे उपर की ओर उठाएं। इस क्रिया को करते समय पेट को सिकोड़ें और सांस को अंदर लें।
छटवी स्थिति :- दोनों पैरों को सिर के पीछे लगाने कि कोशिश करें जैसा कि ऊपर चित्र में दिखाया गया है।
सातवीं स्थिति :- हलासन की पूरी स्थिति बन जाने के बाद 10 से 12 सैकेंड तक इसी स्थिति में रहें और श्वास स्वाभाविक रूप से लेते व छोड़ते रहें।
आठवी स्थिति :- फिर वापिस सामान्य स्थिति में आने के लिए घुटनों को बिना मोड़े ही गर्दन व कंधों पर जोर देकर धीरे-धीरे पैरों को पुन: अपनी जगह पर लाएं।
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हलासन योग करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।| इस आसन को नियमित कम से कम 10-15 बार करे|
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हलासन के लाभ :-
1. सिर दर्द में लाभ:- इस आसन के नियमित अभ्यास से सिर दर्द में काफी लाभ पहुँचता है| सिरदर्द या शिरपीड़ा (शिरपीड़ा (Headache) सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था है। यह सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है, जो कुछ व्यक्तियों में बार बार होता है। सिरदर्द की आमतौर पर कोई गंभीर वजह नहीं होती, इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव और रिलैक्सेशन के तरीके सीखकर इसे दूर किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी होते हैं, जिन्हें अपनाकर सिरदर्द से राहत मिल सकती है।
2. अस्थमा में फायदेमंद:- यह आसन अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है इसका अभ्यास करने से दमा रोग में लाभ पहुँचता है| अस्थमा (दमा) श्वसन मार्ग का एक आम जीर्ण सूजन disease वाला रोग है जिसे चर व आवर्ती लक्षणों, प्रतिवर्ती श्वसन बाधा और श्वसनी-आकर्षसे पहचाना जाता है।आम लक्षणों में घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और श्वसन में समस्याशामिल हैं। – asthma treatment in hindi
3. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है | home remedies for constipation
4. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।
5. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :- थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है । हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है. भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं|
6. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|
7. सुगर की बीमारी में फायदेमंद :- सुगर के रोगियों के लिए यह आसन बहुत ही लाभदायक है ।डायबिटीज या मधुमेह उस चयापचय बीमारी को कहा जाता है, जहाँ व्यक्ति जिसमे व्यक्ति के खून में शुगर (रक्त शर्करा) की मात्रा जरुरत से ज्यादा हो जाती है |
8. पेट की चर्बी को करता है कम :- यह आसन पेट की चर्बी को कम करने में हमारी मदद करता है ।पेट की चर्बी या शरीर के अन्य भागों की चर्बी, वसा की एक विशेष रूप से हानिकारक प्रकार है जो आपके अंगों के आसपास जमा होती है।
हलासन के अन्य फायदे :-
1. इस योग को करने से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है।
2. नाड़ीतंत्र शुद्ध बनता है।
3. आलस खत्म हो जाता है |
4. आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मदद करता है।
5. ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त होता है
6. कमर के स्नायु मजबूत बनता हैं।
7. थायरॉयड के विकार में यह आसन करने से लाभ मिलता हैं।
हलासन करते समय क्या – क्या सावधानिय बरतें :-
1. हलासन करते समय घुटनें मोड़ने नहीं चाहिए।
2. यह योग कमर दर्द , गर्दन के दर्द वालों को नहीं करना चाहिए।
3. गर्भवती महिलाओं और मासिक धर्म में यह आसन नहीं करना चाहिए।
4. दिल के रोगी को यह योग बिलकुल नहीं करना चाहिए।
5. इस आसन को सुबह खाली पेट में करें।
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