एड्स रोग :-
एड्स बहुत ही गंभीर बीमारी है | असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एड्स के जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस बीमारी का काफी देर बाद पता चलता है और मरीज भी hiv टेस्ट के प्रति सचेत नही रहते| एड्स हम शोर्ट फोर्र्म मैं बोल देते हैं | इसका पूरा नाम Acquired Immuno Deficiency Syndrome है | एड्स रोग HIV नामक विषाणु की वजह से होता है | HIV का पूरा नाम Human Immuno Deficiency Virus है | जब ये विषाणु हमारे शरीर मैं प्रवेश कर जाता है तो ये शरीर मैं रोग – प्रतिकार शक्ति को कम कर देता है | जिस कारण से रोगी एड्स नमक बिमारी से ग्रस्त हो जाता है | एड्स का आयुर्वेद मैं बहुत अच्छा उपचार है |
एड्स और HIV मैं अंतर :-
एच.आई.वी एक अतिसूक्ष्म विषाणु हैं जिसकी वजह से एड्स हो सकता है। यह मनुष्य की अन्य रोगों से लड़ने की नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं। प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर फुफ्फुस प्रदाह, टीबी, क्षय रोग, कर्क रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं और मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है की एड्स परीक्षण महत्वपूर्ण है। सिर्फ एड्स परीक्षण से ही निश्चित रूप से संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
एड्स के कारण :-
एड्स के मुख्यत: कारण है |
1. असुरक्षित यौन संबंध बनाने से |
2. किसी भी व्यक्ति को एड्स हुआ हो तो उस व्यक्ति से खून लेने पर |
3. जेनेटिक बिमारी भी हो सकती है |
4. एड्स एफ्फेक्टेड इंजेक्सन का प्रयोग करने से |
एड्स के लक्षण :-
1. बार-बार बुखार का आना |
2. रात को पसीना आना |
3. धीरे-धीरे यादास्त का कमजोर पड़ना |
4. पूरे शरीर मैं दर्द का रहना |
5. ज्यादा समय तक सूखी-खांसी का रहना |
6. 1/2 हप्ते तक पतले दस्तों से रोगी का ग्रस्त रहना |
7. शरीर मैं बजन (waight) का कम होना |
8. हर समय जुकाम का रहना |
9. सर मैं दर्द का रहना |
10. गले का पक जाना |
11. रोगी के जोड़ों में दर्द व सूजन का आना|
12. मांशपेशियों में खिचावं का होना |
13. मुहं मैं कभी-कभी घावों का हो जाना |
एड्स का आयुर्वेदिक उपचार :-
दालचीनी से उपचार :-
दालचीनी से उपचार कैसे करें :- दालचीनी एड्स के रोगियों के लिये बहुत ही लाभदायक होती है क्योंकि इससे खून में सफेद कणों की वृद्धि होती है, जबकि एड्स रोग में सफेद कणों का कम होना ही अनेक रोगों को आमन्त्रित करता है। इसके साथ ही दालचीनी पेट के कीड़ों को साफ करने, घाव को भरने आदि में लाभकारी होती है। लगभग आधा ग्राम दालचीनी का चूर्ण या तेल 1 से 3 बूंद की मात्रा में प्रतिदिन 3 बार सेवन करना चाहिए। दालचीनी के फायदे यहाँ से जाने – दालचीनी के फायदे
ब्राह्मी से उपचार :- ब्राह्मी का रस 5 से 10 मिलीलीटर अथवा चूर्ण 2 ग्राम से 5 ग्राम सुबह शाम लेना लाभकारी होता है क्योंकि यह गांठों को खत्म करता है और शरीर को गलने से रोकता है। इसे निर्धारित मात्रा से अधिक लेने से चक्कर आदि आ सकते हैं।
बचने के उपाय :-
1. योन संबंध ज्यादा नहीं बनाने चाहिए|
2. दाढ़ी हमेशा नये ब्लेड से ही बनायें|
3. इंजेक्सन लगवाते समय नई सिरिंज का प्रयोग करवाएं |
4. अगर किसी भी कारण वस् आपको blood चढ़ाया जा रहा है तो उस blood को पहले चेक करा लें की कही ये एड्स से ग्रस्त रक्त तो नहीं |
5. योन संबंध बनाते समय हमेसा कंडोम का प्रयोग करें |
6. समय-समय पर hiv टेस्ट कराते रहें|
7. सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और योग कराएँ जेसे आलोम-बिलोम , कपालभाती इन दोनों योगों को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी |
लेने योग्य आहार :-
1. फल और सब्जियों का सेवन करें|
2. साबुत अनाज। (दलिया बनाके आप इसका सेवन कर सकते हैं)
3. दालों का सेवन करें क्यूंकि इसमें प्रोटीन बहुत मात्रा मैं पायी जाती है|
4. कम वसा वाले आहार।
5. हल्का खाना|
इनसे परहेज करे:-
1. ज्यादा मीठी चीजें जैसे मिठाइयाँ इत्यादि का सेवन न करें| अगर करना है बहुत ही कम मात्रा मैं करें|
2. ठन्डे जल का बिलकुल भी सेवन न करें|
3. शराब का सेवन न करें|
4. सक्कर युक्त आहार भोजन मैं शामिल न करें|
5. तीखी,मसाले, वाली चीजों से बचें|
प्राणायाम करें :-
सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जेसे आलोम-बिलोम , कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी|
कपालभाती | अनुलोम – विलोम |