अस्थमा (दमा) का परिचय :-
अस्थमा की बीमारी बहुत ही गंभीर है | लेकिन अगर इसका आयुर्वेदिक इलाज किया जाए तो इस अस्थमा नाम की बीमारी को खत्म किया जा सकता है | इतने गुण पाए जाते हैं आयुर्वेद मैं | अस्थमा एक फफ्दों की बीमारी है | जब किसी भी व्यक्ति को अस्थमा हो जाता है तब उसको सांस लेने मैं कठनाई होती है | हमारे शरीर के अन्दर जो स्वांस नलिकाएं होती हैं उनमें कोई भी रूकावट आने के कारण हमको सांस लेने मैं तकलीफ होती है | अस्थमा का सीधा संम्बन्ध स्वांस नालिकयों से होता है | जब भी इसमें कोई रोग उत्पन्न हो जाता है | तो व्यक्ति का सांस जल्दी फूलने लगता है | बहुत खांसी भी होती है | इसी बीमारी को अस्थमा कहते हैं | और यह बीमारी किसी को भी हो सकती है कहने का तात्पर्य यह है की ये बीमारी सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि छोटे से बच्चों को भी हो सकती है | तो आइये भाइयो जानते हैं इसके कारण, लक्षण, उपचार, बचने के उपाय :-
अस्थमा ( दमा ) के प्रकार :-
अस्थमा दो प्रकार का होता है 1. स्पेसिफिक , 2. नॉन स्पेसिफिक
स्पेसिफिक :- इसमें एलर्जी के कारन व्यक्ति की सांस फूलने लग जाती है मतलब उसको सांस लेने मैं कठनाई होती है |
नॉन स्पेसिफिक :- इस मैं कोई भी हेल्थी काम करने पर व् मौसम के बदलाव के कारण व्यक्ति को कठनाई पैदा होती है |
अस्थमा के कारण :-
1. अस्थमा का सबसे मुख्य कारण है धुम्रपान करना जेसे बिंडी, सिगरेट, सिगार इत्यादि |
2. सांस की नलियों का सुकड़ जाना |
3. नजाला बीमारी से यह रोग बहुत उत्पन्न होता है |
4. वायु प्रदूषण के कारण |
5. गले मैं हुई एलर्जी के कारण |
6. आनुवांशिकता (heredity) के कारण भी हो सकता है |
7. कफ के सूख जाने के कारण |
8. मानसिक तनाव के कारण |
9. अधिक तीखे भोजन का सेवन करने से |
10. धुल,मट्टी, के कणों का अन्दर चला जाना |
11. हृदय, फेफड़े, गुर्दे, आंत इत्यादि के कमजोर होने के कारण |
12. जेनेटिक बीमारी के कारण ( जो पुरबजों से मिली हो )
13. गर्भावस्था के समय स्त्रियों में हार्मोन के बदलाव के कारण इत्यादि |
14. सड़े मेदे से बनी चीजो के कारण |
अस्थमा के लक्षण :-
1. खांसी होने के साथ-साथ साँस भी उखड़ता है |
2. साँस लेते समय या छोड़ते समय सांय-सांय की आवाज का सुनाई देना |
3. थोडा सा काम करके सांस का तेज फूलना |
4. बहुत ज्यादा घबराहट होती है |
5. साँस लेने मैं तकलीफ होती है |
6. शरीर के अन्दर खिचाव सा होता है |
7. जोर-जोर से साँस लेने के कारण थकावट का महसूस होना |
8. जब व्यक्ति का साँस तेजी से फूलने लगता है तो रोगी को पसीना भी आ जाता है |
9. साँस लेते समय छाती पर जोर पड़ना |
10. रोगी के शरीर में ऑक्सीजन के आभाव के कारण उनका चहेरे का रंग नीला हो जाता हैं|
अस्थमा (दमा) का आयुर्वेदिक उपचार :-
भाइयो आयुर्वेद मैं अस्थमा का बहुत अच्छा इलाज है | ऐसा इलाज जो आपकी अस्थमा को जड़ से खत्म कर देगा वो भी 3 महीनों मैं | भाइयो आयुर्वेद इलाज से थोडा समय लगता तो है परन्तु बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है | और आगे होने की सम्भावना भी नहीं रहती | जो आपको ये इलाज बताया जा रहा है ये इतना अच्छा है की अस्थमा को 3 महीने के अंदर जड़ से खत्म कर देगा | तो जिनको भी अस्थमा है वो इस आयुर्वेद औषधी का प्रयोग करें |
उपचार के लिए क्या चाहिए :-
दालचीनी पाउडर | सहद | गुड |
कैसे बनायें व् सेवन करें :-
जिनको भी अस्थमा है वो लोग दालचीनी पाउडर , सहद, और गुड को एक जगह मिला लें | अब इसका आपको सुबह-सुबह सेवन करना है | इसको लेने के 2 मिनट पश्चात थोडा-सा नारियल चबा-चबा कर खाएं | और फिर ऊपर से थोडा सा गौ मूत्र का सेवन करें मतलब आधा कफ आप गौ मूत्र ले सकते हैं | बस इसी औषधी का सेवन करने से अस्थमा नाम की बीमारी बिलकुल 3 माह मैं जड़ से खत्म हो जाएगी |
लेने का समय :- 3 महीने सुबह-सुबह खाली पेट |
बचाव के उपाय :-
1. अपनी जिन्दगी मैं कभी-भी सड़े मेदे से बनी चीजो का सेवन न करें |
2. धुम्रपान जेसे बिंडी, सिगरेट, सिगार, इत्यादि का सेवन बिलकुल न करें |
3. अपने आस-पास का वातावरण साफ़ बनायें रखें |
4. भैंस का दूध, घी, मछली, ठंडा पानी, उड़द, मैदा, भिण्डी, आलू, ठंडी चीजों से बचें।
5. गर्म भोजन का सेवन बिलकुल भी न करें |
6. 20 ग्राम सरसों तैल + 5 ग्राम नमक मिलाकर छाती की मालिश या गर्म पानी से स्नान करें |
7. तलें हुए पकवानों का सेवन न करें |
प्राणायाम करें :-
सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जेसे आलोम-बिलोम , कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी|
कपालभाती | अनुलोम – विलोम |