मलेरिया क्या है :-
मलेरिया एक प्रकार का सक्रामक रोग है | यह रोज बहुत तेजी से फ़ैल रहा है | बहुत लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं | यह बीमारी कई प्रकार के परजीवी के कारण होती है परजीवी भी कई प्रकार के होते हैं जो कि इस प्रकार है |
1. प्लास्मोडियम – ( plasmodium )
2. प्लास्मोडियम ओवेल – ( plasmodium Ovale )
3. प्लास्मोडियम फैल्सिपैरम – ( plasmodium Falciparum )
4. प्लास्मोडियम विवैक्स – ( Plasmodium Vivax )
ये सभी परजीवी मादा एनोफलीज मच्छर में पाए जाते है | जब ये मच्छर व्यक्ति को काटता है तो जो मलेरिया के परजीवी होतें है | तो वो हमारे लाल रक्त कोसिकायों में चलें जाते हैं | जिससे की यह बीमारी उत्पन्न हो जाती है |
और यह वर्षा ऋतु में अत्यधिक फेलने वाला रोग है | इसका आयुर्वेद में बहुत अच्छा इलाज है | जो की आपको नीचे बताया गया है |
मलेरिया के प्रकार :-
(१) वाईवेक्स
(२) फ़ेल्सीपेरम
(३) मेलेरी
1. प्रतिदिन निश्चित समय पर चढने वाला ज्वर।
2. एक दिन छोडकर आने वाला ज्वर। इसे एकांतरा भी कहते हैं।
3. दो दिन विराम देकर आने वाला मलेरिया ज्वर।
मलेरिया के कारण :-
मलेरिया एक सक्रामक रोग है | ये मादा एनोफलीज मच्छर के काटने से फेलात है | ये रोग बारिस में ज्यादा फेलता है क्युकी वर्षा के कारण ही ये मच्छर ज्यादा पैदा होते हैं | जब ये मच्छर व्यक्ति को काटता है तो जो मलेरिया के परजीवी होतें है | तो वो हमारे लाल रक्त कोसिकायों में चलें जाते हैं | जिससे की यह बीमारी उत्पन्न हो जाती है | ये मच्छर पानी के नालियों गड्ढों में रुके हुए गंदे पानी से ज्यादा मच्छर पैदा होते हैं | ये रोग किसी के सम्पर्क में आने से भी फ़ैल जाता है | मलेरिया तब फैलता है जब एक संक्रमित एनोफिलीस मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है। मच्छर का केवल यही प्रकार ऐसा है जो मलेरिया फैला सकता है। जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो निकले खून में परजीवी होते हैं जिनसे मच्छर संक्रमित हो जाता है। जब ये मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है।
यह भी पढ़ें :– पीलिया का इलाज , बुखार की दवा
मलेरिया के लक्षण :-
आमतौर पर आपको किस परजीवी ने काटा है, उसके आधार पर संक्रमण होने से लक्षण शुरू होने के बीच का समय 7 से 18 दिन होता है।
1. ठण्ड लगने से बुखार :- मलेरिया से पीड़ित रोगी को जब ठंड लगती है तब रोगी को बुखार चढ़ जाता है या रोगी बुखार से ग्रस्त हो जाता है|
2. पैरों में दर्द :- मलेरिया से पीड़ित रोगी के पैरों में बहुत दर्द रहता है दर्द के साथ पैरों में भडकावन भी रहती है|
3. पसीने से बुखार उतरना :- जब व्यक्ति को बुखार होता है कुछ समय पश्चात उसको पसीना आकर बुखार उतर जाता है और फिर दुबारा से चढ़ जाता है यही इसका मुख्य लक्षण है |
4. सिर में दर्द :- मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को सिर में बहुत दर्द रहता है और साथ ही चक्कर भी आते हैं अगर आप कुछ देर बैठकर उठते है तो चक्कर आते हैं|
5. उल्टियों का होना :- जब व्यक्ति को मलेरिया रोग होता है तो रोगी को उल्टियाँ होती हैं साथ ही जी भी मिचलाता है कुछ खाने का मन नहीं करता|
6. जोड़ो में दर्द :- मलेरिया से पीड़ित रोगी के जोड़ों मैं बहुत दर्द रहता है जोड़ों में जकडन रहती है अगर एक बार कही बैठ गये तो उठते समय जोड़ों में बहुत दर्द होता है|
7. तीन दिन बाद बुखार का आना :– मलेरिया से पीड़ित रोगों को हर तीसरे दिन बाद बुखार चढ़ जाता है जिसे हम तैहिया बुखार कहते हैं वैसे इस रोग का बुखार जीवाणुओं के प्रकार पर निर्भर करता है|
8. खून की कमी :- मलेरिया से ग्रस्त रोगी के शरीर में खून की कमी हो जाती है जब ये रोग लगता है तब ब्लड में जीवाणुओं की कमी हो जाती है जिसकी वजह से खों की कमी हो जाती है |
9. कमजोरी आना :- वैसे तो हर रोग में कमजोरी आ जाती है पर जब मलेरिया रोग होता है तब पूरे शरीर में बहुत कमजोरी आ जाती है क्यूंकि इस रोग से खून की कमी हो जाती है जिसकी वजह से शरीर कमजोर पड़ जाता है|
10. भूक कम लगना :- मलेरिया से पीड़ित रोगी को भूक बिलकुल भी नहीं लगती हर खाने की चीज से मन हट जाता है कुछ भी खाने के मन नहीं करता|
11. आँखों का लाल होना :- कभी कभी इस रोग में पीड़ित रोगी की आँखें लाल हो जाती है आखों में खून सा आने लगता है|
12. जिगर तिल्ली का बढ़ना :- इस रोग में व्यक्ति का जिगर और तिल्ली दोनों बढ़ जाते हैं जिससे रोगी को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है|
13. मस्तिष्क को क्षति :- मलेरिया युवा बच्चों के विकासशील मस्तिष्क को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है। बच्चों में दिमागी मलेरिया होने की संभावना अधिक रहती है|
14. त्वचा पर लाल चट्टे :- मलेरिया रोग से ग्रस्त रोगी के खून में प्लेट्स की कमी हो जाती है जिसके कारण त्वचा पर लाल चट्टे पड़ जातें हैं|
मलेरिया के घरेलू उपाय :-
मलेरिया, टाइफाईड, चिकुनगुनिया, डेंगू, स्वाइन फ्लू, इन्सेफेलाइटिस, माता इन सभी का सबसे अच्छा इलाज है ये दवाई | जो की आपको नीचे बताई जा रही है|तुलसी के पत्ते, सौंठ, छोटी पीपर, नीम की गिलोय !
नीम गिलोय का चित्र | सोंठ का चित्र | तुलसी का चित्र | छोटी पीपल का चित्र |
दवा बनाने का तरीका :- सबसे पहले थोड सा पानी गर्म होने के लिए आग पर रख दो फिर उसमें तुलसी के 5 से 6 पत्ते डाल दो और फिर उसमें थोड़ी सी छोटी पीपल और थोड़ी सी नीम की गिलोय और थोड़ी सी सोंठ इन सभी को आपको पानी में डालना है जो आपने गर्म होने के लिए आग पर रखा है फिर उसमें थोडा सा गुड डालना है ये बहुत कडवी दावा होती इसलिए इसमें गुड डालना पड़ता है | फिर इसको जब तक न उतारे तब तक की वह काढ़े के रूप में न आ जाए | फिर इसको रख देना है ठंडा होने के लिए फिर उसको पीना है | ये दवा आपको तीनो समय लेनी है इससे मलेरिया एक दम ठीक हो जाएगा |
जब तक प्रयोग करें है तब तक की ठीक न हो जाओ वेसे आप 3 या 4 खुराक में ही ठीक हो जाओगे | ये दवा आपको तीनो समय लेनी है सुबह , दोपहर साम |
यह भी पढ़ें :- Arthritis In Hindi , Grapes Benefits In Hindi
अन्य उपचार :-
1. लहसुन से उपचार :- यदि किसी भी व्यक्ति को मलेरिया रोग के कारण बुखार चढ़ता है तो उस व्यक्ति को लहसुन का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए मलेरिया रोग ठीक हो जाता है|
2. काली मिर्च और नीम से इलाज :- जिन व्यक्ति को मलेरिया रोग है वो 5-6 काली मिर्च और 20-30 नीम की पत्तियां दोनों को एक साथ पीस लें | फिर इसे एक कफ में छानकर थोडा-थोडा रोगी को दें एसा करने से कुछ ही दिनों में मलेरिया रोग जड़ से खतम हो जाएगा |
3. तुलसी से उपचार :- मलेरिया रोग में रोगी को तुलसी की कुछ पत्तियां लेकर पानी में उबाल लें और उसमें थोडा सा काली मिर्च का पाउडर व् थोड़ी सी चीनी मिला लें अब इसे अच्छे से उबालें फिर पी लें इससे मलेरिया रोग में लाभ मिलता है | अगर आप इस नुस्खे को नहीं कर सकते तो तुलसी के पत्तों का सेवन कर लो इससे भी लाभ मिलता है|
4. संतरे के रश से उपचार :- मलेरिया रोग में संतरे के रश का दिन में कम से कम 2-3 बार सेवन करना चहिये इससे मलेरिया रोग में बहुत लाभ मिलता है |
5. गिलोय के सेवन से उपचार :- गिलोय के सेवन से मलेरिया रोग में लाभ मिलता है क्यूंकि यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है। करना क्या है की आपको इनके तनों को उबालकर हर्बल ड्रिंक की तरह सेवन करना है।
6. पपीते के पत्ते से उपचार :- पपीते के पत्तों को अच्छे से पीस लें फिर इनको खा लें इससे मलेरिया रोग में बहुत लाभ मिलता है क्यूंकि यह प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में हेल्प करता है। साथ ही, बॉडी में दर्द, कमजोरी महसूस होना, उबकाई आना, थकान महसूस होना आदि जैसे बुखार के लक्षण को कम करने में सहायक है।
7. हरड के काढ़े से उपचार :- मलेरिया के रोगी को हरड का काढ़ा बनाकर पीना चाहीये| हरड का काढ़ा पीने से मलेरिया रोग में लाभ मिलता है काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले 10 ग्राम हरड का चूर्ण एक कप पानी में मिलाकर गर्म होने के लिए रख दें इसमें थोड़ी सी सक्कर या चीनी डाल दें अब इसे जब तक उबालें तब तक की पानी आधा ण रह जाये इस काढ़े का दिन में 3-4 बार सेवन करें लाभ मिलेगा|
8. जामुन की छाल से :- ये भी एक अच्चा नुस्खा है मलेरिया रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले आपको जामुन के पेड़ की 5-6 ग्राम छाल लेनी है अब इसे अच्छे से पीस लें और इसमें थोडा सा गुड मिला लें अब इसे दिन मैं 3-4 बार खाएं मलेरिया रोग में लाभ मिलता है|
9. नीम्बू से उपचार :- मलेरिया से पीड़ित रोगी को नीम्बू काटकर उसमें थोडा सा सेंधा नमक और थोडा सा काली मिर्च का चूर्ण लगा लें अब इसे चूसते रहें इसके सेवन से मलेरिया के बुखार में लाभ मिलता है|
10. भुने हुए नमक से इलाज :- मलेरिया के रोगी को सादा नमक लेके तये पर भून लें तब तक गर्म करें जब तक की नमक का रंग काला भूरा ण हो जाये अब इसे ठंडा कर लें फिर इस चूर्ण में से 5 ग्राम चूर्ण 1 गिलाश गर्म पानी के साथ लें मलेरिया रोग के लिए सबसे अच्छा नुस्खा है|
मलेरिया में क्या खाये :
1. फलों का सेवन :- मलेरिया रोग में रोगी को चीकू , आलूबुखारा, संतरा अंगूर अनार , मौसमी आदि ताजे फलों का सेवन करना चाहिए क्यूंकि इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है|
2. सब्जियों का सेवन :- रोगी को कुछ सब्जियों का सेवन जैसे प्याज , पुदीना, साबूदाना हर धनिया , चुकंदर आदि का सेवन करें और इसके साथ-साथ आप कच्चा केला, परवल, बैगन, केले के फूल की सब्जी खा सकते हैं| इससे शरीर में खून की मात्रा बढती है|
3. गर्म पानी का सेवन :- मलेरिया रोग में गर्म पानी रोगी को दो तरीके से पीना चाहिए जैसे अगर मलेरिया रोग अभी भी है तो गर्म पीनी सिप-सिप करके पीना चाहिए और बाद में गर्म किया पानी ठंडा करके पीना चाहिए|
4. छाछ का सेवन :- मलेरिया रोग में व्यक्ति के शरीर में गर्मी बन जाती है जिसकी वजह से रोगी को बार बार प्यार लगती है तो प्यार लगने पर थोड़ी थोड़ी मात्रा में छाछ का सेवन करें|
5. विटामिन का सेवन :- इस रोग में रोगी को विटामिन वाले खाद्य व् पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे की चावल का पानी, डाल का पानी, नारियल पानी, गाजर, चुकंदर, पपीता , मौसम्बी अनार, अंगूर, अनानास आदि का सेवन करना चहिये क्यूंकि इनके विटामिन की मात्रा काफी होती है|
6. प्रोटीन का सेवन :- इस बिमारी में शरीर को प्रोटीन की बहुत जरूरत होती है प्रोटीन प्राप्त करने के लिए आप दूध, दही, छाछ, अंडे आदि का सेवन कर सकते हैं इन सभी में प्रोटीन की मात्रा काफी होती है|
मलेरिया में क्या ना खाये :
1. फ़ास्ट फ़ूड :- मलेरिया रोग में व्यक्ति को फ़ास्ट फ़ूड का सेवन नहीं करना चहिये फ़ास्ट फ़ूड जैसे मसालेदार पधार्थ, बरगर, पेटीज, समोसा, चाप आदि का सेवन नही करना चाहिए|
2. पेय पदार्थ :- इस रोग में रोगी को पेय पदार्थ जैसे चाय, कोफी, और अन्य कैफीन युक्त पेय पदाथ्रों का सेवन नहीं करना चहिये|
3. फाईबर खाद्य पदार्थ :- इस रोग में रोगों को फाईबर खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, मोती त्वचा वाले फल, रोटी, अचार आदि का सेवन नहीं करना चहिये|
4. नशीले पदार्थ :- किसी भी रोग में व्यक्ति को नशीले पदर्थों जैसे शराब, गुटका, तम्बाकू, सल्फा, गांझा, आदि का सेवन बिलकुल नहीं करना चहिये|
5. ठंडी चीजे :- इस रोगी में रोगी को ठंडी चीजों से बचना चहिये जैसे फ्रिज का ठंडा पानी, आइसक्रीम, ठंडी तासीर की चीजें सेवन न करें।
6. बासा भोजन का सेवन न करें शुद्ध और ताजे भोजन का सेवन करें
मलेरिया से बचाव :-
1. घर के पास कीटनाशकों का छिड़काव :- यह रोग मच्छरों के काटने की वजह से फैलता है इसलिए घर के आस पास सभी जगहों पर कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए| आजकल डी.डी.टी., बी.एच.सी. की जगह पाइरेथाइड का छिड़काव किया जाता है, जो बहुत असरकारक है |
2. सफाई के लिए फिनाइल :- घर में सफाई करते समय फिनाइल का प्रयोग करें क्यूंकि इससे गंदगी दूर होती है जिससे मच्छर पैदा नहीं होते|
3. मच्छरदानियों का उपयोग :- रात को सोते समय मच्छरदानियों का उपयोग करें आजकल दवायुक्त मच्छरदानियाँ भी उपलब्ध हैं। इनका प्रयोग कर मच्छरों से बचा जा सकता है।
4. पानी की नकासी :- घर के आस पास पानी का सही निकास होना चहिये खुले स्थानों पर जहाँ पानी हटाना संभव न हो वहाँ जला हुआ खनिज तेल या मिट्टी का तेल डालें। इससे मच्छर के लावा उत्पन्न नहीं होंगे। और घर के आस पास गंदा पानी इकठा नहीं होने दें|
5. सरसों का तेल :- पुरे शरीर पर सरसों के तील की मालिश करें इस सरसों के तेल से मच्छर के काटने से कोई असर नहीं होता है|
6. मच्छरों को भगाएं :- मच्छरों को भगाने के लिए नीम की पत्तियों का धुआँ या नीम का तेल जलाएं इससे मच्छर दूर होते हैं पाइरेथम के धुएँ से भी मच्छर नष्ट हो जाते हैं।
7. मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करके :- मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करके मलेरिया पर बहुत नियंत्रण पाया जा सकता है। खड़े पानी में मच्छर अपना प्रजनन करते हैं, ऐसे खड़े पानी की जगहों को ढक कर रखना, सुखा देना या बहा देना चाहिये या पानी की सतह पर तेल डाल देना चाहिये, जिससे मच्छरों के लारवा सांस न ले पाएं।
8. शरीर को ढकें :- जब एनोफिलीस मच्छर अधिक सक्रिय हों तो खासकर प्रातः और सायंकाल लम्बी पेंट और पूरी बांह की कमीजें पहनें।
9. मच्छरों से बहुत रोग :- मच्छरों द्वारा केवल मलेरिया ही नहीं, बल्कि खतरनाक रोग डेंगू, फाइलेरिया इत्यादि भी फैलाए जाते हैं। इसलिए यदि हम मच्छरों के प्रजनन पर रोक लगाएँ या उन्हें नष्ट करें तो इन रोगों से भी बचा जा सकता है।
10. विश्राम करें :- अगर रोगी को मलेरिया रोग हो जाता है तो रोगी को पूरा आराम करना चहिये और रोज सुबह-सुबह तुलसी के पत्ते चबाने चहिये|
11. जालियों का प्रयोग :- घर के दरवाज़ों और खिड़कियों पर जाली लगाएँ और ऐ.सी. और पंखों का इस्तेमाल करें, ताकि मच्छर एक जगह पर न बैठें।
प्राणायाम करें :-
सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जेसे आलोम-बिलोम , कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी|
कपालभाती | अनुलोम विलोम |