चिकनगुनिया से अभिप्राय :-
चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है | यह रोग संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। डब्ल्यूएचओ और सेंटर फॉर डिज़िज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन, यूएसए के अनुसार “व्यक्ति के अंदर, मच्छर के काटने के करीब तीन से सात दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। चिकनगुनिया में अचानक से आ जाने वाले बुखार के साथ जोड़ों में दर्द महसूस होता है”। इसके अलावा उसे सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूखी उबकाई आना, थकान महसूस करना, त्वचा पर लाल रैशिज़ पड़ना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस बीमारी से लाखों लोग प्रभावित है | भाई इसका आयुर्वेद में बहुत अच्छा इलाज है जो की इस प्रकार है।
यहाँ से जाने चिकन गुनिया का उपचार :- चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
चिकनगुनिया के लक्षण:-
1. भूक कम लगना:- जब व्यक्ति चिकनगुनिया रोग से ग्रस्त हो जाता है तो रोगी भूक कम लगने लगती है। वैसे तो आमाशय या पाचनतंत्र में कमी होने के कारण भूख लगनी कम हो जाती है। पर जब चिकन गुनिया रोग होता है। तब ये सीधा आमाशय या पाचनतंत्र ही प्रभाव डालता है जिसकी बजह से रोगी को भूक कम लगती है।
2. पाँव में जकड़न होना:- चिकनगुनिया रोग में व्यक्ति के पावों मैं बहुत जकडन रहती है और पैरों में हुई इस परेशानी को लैग क्रैम्पस कहा जाता है।
3. सर में दर्द होना:- चिकनगुनिया रोग में रोगी सिर में बहुत दर्द रहता है। यह लक्षण ज्यादातर सभी बीमारियों में देखने को मिलता है।सिरदर्द (Headache) सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था है। यह सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है, जो कुछ व्यक्तियों में बार बार होता है।
4. जोड़ो में दर्द होना:- इस रोग में रोग के जोड़ों मैं बहुत दर्द रहता है जिससे रोगी को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
5. शरीर में कमजोरी आना:- इस रोग के कारन व्यक्ति बहुत ही कमजोर हो जाता है या फिर उसके शरीर मैं बहुत कमजोरी आ जाती है। शारीरीक कमजोरी इन्सान के आत्मविश्वास को तोड़ कर रख देती है और उसे एक सामान्य जीवन जीने में बाधा डालती है।
6. बुखार का रहना:- इस रोग में रोगी का बुखार नही टूटता है। जब शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाये तो उस दशा को ज्वर या बुख़ार कहते है। यह रोग नहीं बल्कि एक लक्षण (सिम्टम्) है जो बताता है कि शरीर का ताप नियंत्रित करने वाली प्रणाली ने शरीर का वांछित ताप (सेट-प्वाइंट) १-२ डिग्री सल्सियस बढा दिया है।
7. मांसपेसियों में दर्द:- रोगी की मस्पेसियों मैं बहुत दर्द रहता है जिसकी वजह से उस पर कोई कार्य आसानी से नहीं किया जाता। कुछ स्थितियों में, जैसे म्यास्थेनिया ग्रविस पेशी शक्ति आराम करते समय सामान्य रहेती है, लेकिन कमजोरी मांसपेशियों के अधिक व्यायाम करने से होती है।
8. रोगी को दस्त होना:- कभी-कभी रोगी को दस्त की भी सिकायत हो जाती है। अतिसार या डायरिया में या तो बार-बार मल त्याग करना पड़ता है या मल बहुत पतले होते हैं या दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं। पतले दस्त, जिनमें जल का भाग अधिक होता है, थोड़े-थोड़े समय के अंतर से आते रहते हैं।
9. शरीर पर चकते निकलना:- इस रोग में रोगी के शरीर पर चकते निकलते हैं, छोटे-छोटे लाल रंग के दाने भी निकलते हैं एक तरीके से शरीर पर एलर्जी सी हो जाती है।