चिकनगुनिया क्या है :-
चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है | यह रोग संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। डब्ल्यूएचओ और सेंटर फॉर डिज़िज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन, यूएसए के अनुसार “व्यक्ति के अंदर, मच्छर के काटने के करीब तीन से सात दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। चिकनगुनिया में अचानक से आ जाने वाले बुखार के साथ जोड़ों में दर्द महसूस होता है”। इसके अलावा उसे सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूखी उबकाई आना, थकान महसूस करना, त्वचा पर लाल रैशिज़ पड़ना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस बीमारी से लाखों लोग प्रभावित है |चिकनगुनिया विषाणु एक अर्बोविषाणु है जिसे अल्फाविषाणु परिवार का माना जाता है। यह मानव में एडिस मच्छर के काटने से प्रवेश करता है। यह विषाणु ठीक उसी लक्षण वाली बीमारी पैदा करता है जिस प्रकार की स्थिति डेंगू रोग मे होती है। इसका आयुर्वेद में बहुत अच्छा इलाज है ऐसा इलाज है जिससे आप अपनी इस बिमारी को 3 खुराक मैं ही ठीक कर सकते हो।
चिकनगुनिया कैसे फैलता है:-
इस रोग को शरीर मे आने के बाद 2 से 4 दिन का समय फैलने मे लगता है, रोग के लक्षणों मे 39डिग्री [102.2 फा] तक का ज्वर, धड और फिर हाथों पैरों पे चकते बन जाना, शरीर के विभिन्न जोडाँ मे पीडा होना शामिल है। इसके अलावा सिरदर्द, प्रकाश से भय लगना, आखों मे पीडा शामिल है, ज्वर आम तौर पर दो से ज्यादा दिन नहीं चलता है तथा अचानक समाप्त होता है, लेकिन अन्य लक्षण जिनमें अनिद्रा तथा निर्बलता भी शामिल है आम तौर पर 5 से 7 दिन तक चलतें है रोगियों को लम्बे समय तक जोडों की पीडा हो सकती जो उनकी उम्र पर निर्भर करती है | मूल रूप से यह रोग उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा एशिया मे पनपता है जहाँ यह रोग एडिस प्रजाति के मच्छर मानवों मे फैलाते है।
चिकनगुनिया के कारण :-
चिकनगुनिया कई कारणों से फैलता है जिनमे से कुछ इस प्रकार है जैसे-
1. इस रोग का आम कारण है मच्छर का काटना जब मादा एडीज एजिप्टी मच्छर व्यक्ति को कट लेता है तब ये रोग जाता है।
2. ऐसे स्थान पर रहना जहाँ पर अधिक दिन का पानी जमा हुआ होता है जिसके कारण ऐसे मच्छर पैदा होते हैं।
3. यह रोग मानव- मच्छर- मानव के चक्र मे फैलता है। चिकनगुनिया शब्द की उतपत्ति स्थानीय भाषा से हुई है क्योंकि इस रोग का रोगी दर्द से दुहरा हो जाता है क्योंकि उसके जोडों मे भयानक दर्द होता है। मकोंडे भाषा में चिकनगुनिया का अर्थ होता ही है वो जो दुहरा कर दे। इस रोग के विषाणु मुख्य रूप से बन्दर मे पायें जाते है, किंतु मानव सहित अन्य प्रजाति भी इस से प्रभावित हो सकती है।
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चिकनगुनिया के लक्षण :-
1. जब व्यक्ति चिकनगुनिया रोग से ग्रस्त हो जाता है तो रोगी भूक कम लगने लगती है।
2. चिकनगुनिया रोग में रोगी सिर में बहुत दर्द रहता है।
3. इस रोग में रोग के जोड़ों मैं बहुत दर्द रहता है जिससे रोगी को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
4. इस रोग के कारन व्यक्ति बहुत ही कमजोर हो जाता है या फिर उसके शरीर मैं बहुत कमजोरी आ जाती है।
5. इस रोग में रोगी का बुखार नही टूटता है।
6. तापमान बढ़ता व् घटता रहता है।
7. रोगी की मस्पेसियों मैं बहुत दर्द रहता है जिसकी वजह से उस पर कोई कार्य आसानी से नहीं किया जाता।
8. कभी-कभी रोगी को दस्त की भी सिकायत हो जाती है।
9. इस रोग में रोगी के शरीर पर चकते निकलते हैं, छोटे-छोटे लाल रंग के दाने भी निकलते हैं एक तरीके से शरीर पर एलर्जी सी हो जाती है।
चिकनगुनिया का आयुर्वेदिक इलाज:-
चिकन गुनिया का आयुर्वेद में सबसे अच्छा इलाज है। इस इलाज से ये सिर्फ तीन खुराक में चिकन गुनिया नाम की बीमारी आपके शरीर में से चली जाएगी।
जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है ये सभी चीजें आपके पास उपलब्ध होनी चाहिए।
नीम गिलोय | सोंठ (अदरक पाउडर) | तुलसी के पत्ते | छोटी पीपल |
दवा बनाने का तरीका :-
सबसे पहले थोड सा पानी गर्म होने के लिए आग पर रख दो फिर उसमें तुलसी के 5 से 6 पत्ते डाल दो और फिर उसमें थोड़ी सी छोटी पीपल और थोड़ी सी नीम की गिलोय और थोड़ी सी सोंठ इन सभी को आपको पानी में डालना है जो आपने गर्म होने के लिए आग पर रखा है फिर उसमें थोडा सा गुड डालना है ये बहुत कडवी दावा होती इसलिए इसमें गुड डालना पड़ता है। फिर इसको जब तक न उतारे तब तक की वह काढ़े के रूप में न आ जाए। फिर इसको रख देना है ठंडा होने के लिए फिर उसको पीना है। ये दवा आपको तीनो समय लेनी है इससे चिकन मुनिया जड़ से खत्म हो जाती है। जब तक प्रयोग करनी है तब तक की ठीक न हो जाओ वेसे तो आप 3 या 4 खुराक में ही ठीक हो जाओगे।
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चिकनगुनिया से बचने के उपाय :-
1. रात को सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें।
2. घर के आस पास गंदगी न होने दें।
3. पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहने।
3. आस पास पानी जमा न होने दें।
4. घर में कीटनाशक का छिडकाव करें।
5. जितना हो सके नदी और स्वीमिंग पुल में नहाने से बचे क्यूंकि ऐसी जगहों पर मच्छर पनपते रहते हैं।
6. बहार के गंदे खाने से बचे।
7. अगर आप ऊपर बताई गयी दवाई का सेवन कर रहे हो तो बहार का कोई भी दूषित पधार्त व् खटाई वाला समान नही खाना है।
8. यह बीमारी बच्चो और बूढों को ज्यादा प्रभावित करती है इसलिए बच्चो को इस मौसम में पूरी बाजू के पड़े पहेनाये ताकि इस बीमारी से बचा जा सके।
प्राणायाम करें :-
सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जेसे आलोम-बिलोम , कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी।
कपालभाती | अनुलोम – विलोम |
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