कैंसर (Cancer) :-
कैंसर एक बहुत ही बुरी बीमारी है। भारत देश में ये बीमारी बहुत तेजी से फ़ैल रही है। दिन प्रतिदिन बहुत लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे है। लेकिन याद रखना जो मरीज होता है वो कैंसर से नहीं मरता बल्कि उसके एलोपेथी ट्रीटमेंट से मरता है। डॉ. कैंसर मरीज को वो केमोथेरेपी देते है कीमोथेरेपी कैंसर के सेल को मारती है तो अब आप सोच रहे होंगे तो फिर इससे नुक्सान क्या है तो हमारे शरीर में कुछ ऐसे सेल भी होते है जो हमारे शरीर को बीमार होने से बचाते है जिसका नाम है प्रतिरक्षक शक्ति।
जब कीमोथेरेपी रोगी को दी जाती है तब ये शक्ति भी मर जाती है फिर रोगी में बीमारी से लड़ने की क्षमता नहीं रहती इसलिए रोगी मर जाता है तो डॉ. रुपया भी ले लेता है हमारे हाथ से मरीज भी निकल जाता है तो भाइयो मेरा आपसे निवेदन है कि इसका उपचार आप आयुर्वेद से ही करें इसका इलाज नीचे बताया गया है।
कैंसर से व्यक्ति की म्रत्यु क्यों होती है :-
कैंसर रोगी दो कारणों से मरता है वो दो कारण इस प्रकार है
पहला कारण:- हमारे शरीर में एक शक्ति पायी जाती है जो लगने वाले रोगों से लड़ने में साहयता करती है उसका नाम है Resistance power इसको प्रतिरक्षक शक्ति के नाम से भी जाना जाता है। जब व्यक्ति को कैंसर होता है तब यह शक्ति खत्म हो जाती है जिसकी वजह से रोगी की म्रत्यु हो जाती है।
दूसरा कारण:- और दूसरा कारण है एलोपेथी में कैंसर का दिया जाने वाला ट्रीटमेंट होता क्या है जब रोगी को Chemotherapy दी जाती है उससे सारे बाल उड़ जाते है, भ्रू के बाल उड़ जाते है और साथ ही Resistance power भी मर जाती है और फिर व्यक्ति की म्रत्यु हो जाती है।
कैंसर के प्रकार (Types Of Cancer In Hindi) :
कैंसर वैसे तो बहुत प्रकार होता है लेकिन इसके कुछ मुख्य प्रकार इस प्रकार है –
1. Bladder Cancer (ब्लैडर कैंसर) :
यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें कोशिका असामान्य रूप से विकसित होती है और शरीर के अन्य भागों में फैल जाने की क्षमता रखती है। ब्लैडर या मूत्राश्य पेट के निचले हिस्से में एक खोखली थैली समान अंग होता है, इसमें पेशाब जमा होता रहता है। ब्लैडर में कैंसर तब होता है, जबकी उसकी परतों में असाधारण ऊतक विकसित होने लगते हैं। ब्लैडर कैंसर महिलाओं से ज्यादा पुरूषों में होते देखा गया है, यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
2. स्तन कैंसर (Breast Cancer) :
कैंसर तब शुरू होता है जब स्तनों में स्वस्थ कोशिकाएं बदलती हैं और नियंत्रण से बाहर निकलती हैं, एक ट्यूमर कहलाने वाले द्रव्यमान या कोशिकाओं के शीट का गठन करते हैं। एक ट्यूमर कैंसर या सौम्य हो सकता है एक कैंसरग्रस्त ट्यूमर घातक है, जिसका अर्थ है कि यह बढ़ सकता है और शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। एक सौम्य ट्यूमर का मतलब है कि ट्यूमर बढ़ सकता है लेकिन फैल नहीं होगा।
3. बृहदांत्र कैन्सर (Colorectal Cancer) :
कोलोरेक्टल कैंसर में जिसे बृहदांत्र कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है, बृहदांत्र, मलाशय या उपांत्र में कैंसर का विकास शामिल होता है। इससे दुनिया भर में प्रतिवर्ष 655,000 मौतें होती हैं
4. गुर्दे का कैंसर (Kidney Cancer) :
किडनी कैंसर, जिसे गुर्दे के कैंसर के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार का कैंसर है जो कि गुर्दा में कोशिकाओं में शुरू होता है। गुर्दे के कैंसर के दो सबसे आम प्रकार गुर्दे की कार्सिनोमा (आरसीसी) और संक्रमण संबंधी सेल कार्सिनोमा (टीसीसी, जिसे यूरोथेलियल सेल कार्सिनोमा भी कहा जाता है) रेनडल श्रोणि के रूप में होता है ये नाम सेल के प्रकार को दर्शाते हैं जिसमें से कैंसर का विकास हुआ।
5. फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) :
फुफ्फुस के दुर्दम अर्बुद (malignant tumor) को फुफ्फुस कैन्सर या ‘फेफड़ों का कैन्सर’ (Lung cancer या lung carcinoma) कहते हैं। इस रोग में फेफड़ों के ऊतकों में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाय तो यह वृद्धि विक्षेप कही जाने वाली प्रक्रिया से, फेफड़े से आगे नज़दीकी कोशिकाओं या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।
6. लिम्फोमा कैंसर (Lymphoma cancer) :
लिम्फोमा, लिम्फोसाइट्स में होने वाला कैंसर है जिसका अर्थ है कि यह सेल्स बिना किसी नियंत्रण के बढ़ते हैं। लिम्फोमा कैंसर प्रतिरक्षा प्रणाली लिम्फोसाइटों नामक कोशिकाओं में शुरू होता है। अन्य कैंसर की तरह, लिम्फोमा तब होता है, जब लिम्फोसाइटों उस स्थिति में होती है जब अनियंत्रित कोशिका में वृद्धि होने के साथ-साथ कई गुणा बढ़ जाती हैं।
7. मेलेनोमा कैंसर (Melanoma cancer) :
मेलेनोमा त्वचा के कैंसर का कम सामान्य किन्तु अत्यधिक गंभीर प्रकार है, जो मेलेनिन, वह रंगद्रव्य जो त्वचा को उसका रंग प्रदान करता है, उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं (मेलानोसाइट्स) में उत्पन्न होता है। इसकी शुरुआत एक मोल (त्वचा का मेलेनोमा) से हो सकती है, लेकिन यह रंगद्रव्य वाले अन्य ऊतकों, जैसे कि आँख के भीतर या आंत के भीतर भी फ़ैल सकता है।
8. अग्नाशय का कैंसर (Pancreatic Cancer) :
पैंक्रिएटिक कैंसर अग्नाश्य का कैंसर होता है। प्रत्येक वर्ष अमेरिका में ४२,४७० लोगों की इस रोग के कारण मृत्यु होती है। इस कैंसर को शांत मृत्यु (साइलेंट किलर) भी कहा जाता है, क्योंकि आरंभ में इस कैंसर को लक्षणों के आधार पर पहचाना जाना मुश्किल होता है और बाद के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं।
9. गलग्रंथि का कैंसर (Thyroid Cancer) :
थायरॉयड कैंसर एक बीमारी है जो थायरॉयड ग्रंथि के भीतर असामान्य सेल वृद्धि का कारण बनता है। थायरॉयड ग्रंथि एक तितली के समान आकार है और गर्दन के सामने स्थित है।
10. गर्भाशय कर्क रोग (Uterine Cancer) :
गर्भाशय कैंसर आंतड़ियों, मूत्राशय, लिम्फ नोड्स, पेट, लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। महिलाओं में अन्य कैंसरों की तुलना में ऑवेरियन कैंसर से मृत्यु की संभावना अधिक होती है। गर्भाशय कैंसर होने का कोई विशेष कारण नहीं होता।
11. मुख का कैंसर (Oral cancer) :
मुख का कैंसर आम तौर पर सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि के सेवन से होता है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि जो लोग सिगरेट-तम्बाकू का सेवन नहीं करते उन्हें मुख का कैंसर नहीं हो सकता। लेकिन ऐसे लोगों को मुख का कैंसर होने की संभावना 50 प्रतिशत कम हो जाती है।
12. मष्तिष्क का कैंसर (Brain cancer) :
ब्रेन कैंसर दो प्रकार के होते हैं: एक कैंसरस होता है एवं दूसरा नन कैंसरस। ब्रेन कैंसर बच्चे या बड़े यानि किसी को भी हो सकता है और इसके होने के कई ऐसे कारण होते हैं जिन्हें रोक पाना इंसान के बस में नहीं होता है।
13. हड्डियों का कैंसर (Bone cancer) :
इस प्रकार का कैंसर ज्यादातर बच्चों एवं बड़ों को अपना शिकार बनाता है लेकिन हड्डियों का कैंसर अन्य कैंसर की तरह आम नहीं है और इसके बहुत कम मामले पाए जातें हैं।
14. ब्लड कैंसर (blood cancer) :
ल्यूकेमिया एक प्रकार ब्लड कैंसर होता है जो रक्त कोशिकाओं के कैंसरस हो जाने के कारण होता है। बोन मेरो के भीतर मौजूद कोशिकाएं लाल रक्त कोशिकाएं, सफ़ेद रक्त कोशिकाएं एवं प्लेटलेट्स को जन्म देती हैं जो कई बार कैंसरस हो सकती हैं जिनसे ल्यूकेमिया नामक कैंसर होता है।
15. त्वचा का कैंसर (Skin cancer) :
त्वचा का कैंसर स्त्री एवं पुरुष, दोनों को अपना शिकार बनाने वाला सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है।
कैंसर के लक्षण-Cancer Symptoms In Hindi-(Cancer Ke Lakshan):-
कभी-कभी कुछ लक्षण दूसरी बीमारियों की वजह से भी होते हैं इसलिए समय पर ही डॉक्टर से जाँच करा लेनी चाहिए। अलग अलग प्रकार के कैंसरों के अलग-अलग लक्षण होते हैं और रोग भी पहचान भी एक मात्र लक्षणों से ही होती है कैंसर के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं :
1. मुहं के कैंसर के लक्षण :
- गले में फोड़े या फुंसी हो जाते हैं जो कई हफ्तों के भीतर ठीक नहीं होते।
- मुहु में छाले हो जाते हैं।
- मुहं का स्वाद बिगड़ जाता है मुहं का स्वाद कड़वा व् खट्टा हो जाता है।
- गले में दर्द होने लगता है।
2. स्तन कैंसर के लक्षण :
- स्तन में सूजन आने लगती है।
- स्तन को दबाने पर दर्द नहीं होता।
- निपल्स का मुड़ जाने लगती हैं।
- स्तन और छाती के आस पास दर्द का होना।
- स्तन या बाँह के नीचे गांठ का होना।
3. फेफड़े के कैंसर के लक्षण :
- सांस लेते समस सीटी की आवाज का निकलना।
- तेज खांसी के साथ बलगम का आना।
- अधिक खांसी होना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- सीने के साथ-साथ पीठ और कंधों में भी दर्द महसूस होना।
4. त्वचा कैंसर के लक्षण :-
- रैशेज, तिल या बर्थ मार्क्स के आकार या रंग में बदलाव आना।
- एक्जिमा यानी खाज भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है। खासतौर पर अगर यह समस्या कोहनी, हथेली या घुटनों पर दीखता है।
- स्किन पर धब्बे अगर छह हफ्तों से ज्यादा रहें तो समझ लेना चहिये की ये कैंसर की निशानी है।
- तिल में बदलाव हो, रंग बदलने लगे और इस पर खुजली हो या फिर खून निकले।
- माथा, गाल, ठुड्डी और आंखों के आस-पास की त्वचा लाल होती है।
5. हड्डियों के कैंसर के लक्षण :
- कैंसर होने पर हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और जरा-सा आघात लगने पर इनके बार-बार फ्रैक्चर होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- हड्डियों में दर्द रहता हैं।
- कई बार हड्डियों के कैंसर में ट्यूमर के आस पास वाली जगहों पर दर्द के साथ सूजन आ जाती है।
- हाथों या पैरों को हिलाने व मोड़ने में समस्या आ रही है तो यह बोन कैंसर हो सकता है।
- हड्डियों में कैंसर होने पर कमर में दर्द होता है।
6. पेट में कैंसर के लक्षण :
- पेट पर बिना किसी कारण के सूजन रहना।
- शरीर में खून की कमी होना।
- कई बार मल के साथ रक्त भी आता है।
- इसमें काले रंग का मल निकलता है।
- बार बार मूत्र आना इत्यादि।
7. गर्भाशय कैंसर के लक्षण :
- पेशाब संबंधी आदतों में परिवर्तन आना।
- अनुवांशिक कारण भी हो सकता है।
- मल त्य्गने में परेशानी आती है।
- श्रेणि में दर्द होता है ये इसका मुख्य लक्षण है।
- पीठ के नीचे के हिस्से में दर्द होता है।
8. blood कैंसर के लक्षण :
- मुंह, नाक से या शौच के दौरान खून निकलना।
- रात को पसीना अधिक आना।
- खून की कमी हो जाना।
- cold की वजह से बुखार आना।
- सीने में दर्द, पैरों की सूजन होना।
9. लीवर कैंसर के लक्षण :
- खाना खाने के बाद उल्टियाँ होना।
- भूक नहीं लगना।
- अचानक से वजन में कमी आना।
- बार-बार पीलिया होना।
- जादा थकान महसूस होना।
10. गुर्दे के कैंसर के लक्षण :
- पेट में लगातार दर्द का रहना।
- थकावट महसूस होना।
- अचानक से वजन घटना।
- उच्च तापमान का रहना।
- पसीने का बहुत आना।
11. मष्तिष्क के कैंसर के लक्षण :
- चाल का लडख़ड़ाना।
- अधिक मात्रा में सर दर्द रहना।
- अधिक मात्रा में दौरे पड़ना।
- सही तरीके से दिखाई न देना।
- व्यक्ति से रुक रुक कर बोला जाता है।
कैंसर के कारण (Causes Of Cancer In Hindi)
कैंसर के सबसे बड़े कारण तीन-चार है जिनमे से गुटका, तम्बाकू, सिगरेट, बिंडी, हुक्का, शराब आदि सामिल है। क्योकि ज्यादा तर कैंसर का कारण यही चीजे बनती है तो जितना हो सके इनसे बचे ये सब चीजे आप के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
अपने घर में सिर्फ शुद्ध सरसों के तेल का ही उपयोग करें क्यूंकि इसका मुख्य कारण डालडा, रिफ़ाइन्ड ये भी हो सकते है। और अन्य कारण ये भी हो सकते हैं जैसे हेपेटाइटिस बी और HIV के वायरस के कारण, बच्चों को स्तनपान नही कराने के कारण ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है, ज्यादा तली हुई चीजो के खाने से इत्यादि।
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कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज (Cancer Treatment In Ayurveda In Hindi):-
कैंसर की सबसे अच्छी दवा है हल्दी और गौ मूत्र। अब देशी गाय का मूत्र आधा कप(गोमूत्र माने देशी गाय के शारीर से निकला हुआ सीधा-सीधा मूत्र जिसे सूती के आट परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो) और आधा चम्मच हल्दी दोनों मिलाके गरम करना जिससे उबाल आ जाये फिर उसको ठंडा कर लेना । Room Temperature में आने के बाद रोगी को चाय की तरह पिलाना है .. चुस्किया ले ले के सिप सिप कर कर ।
एक और आयुर्वेदिक दवा है पुनर्नवा जिसको अगर आधा चम्मच इसमें मिलायेंगे तो और अच्छा result आयेगा । इस दवा को (देशी गाय की मूत्र, हल्दी, पुनर्नवा-पंसारी की दुकान से मिल जाएगी। ) सही अनुपात में मिलाके उबालकर ठंडा करके कांच की पात्र में स्टोर करके रखिये पर बोतल को कभी फ्रिज में मत रखिये, धुप में मत रखिये । ये दवा कैंसर के सेकंड स्टेज में और कभी कभी थर्ड स्टेज में भी बहुत अच्छे परिणाम देती है। तीन से चार महीने तक ये दवाई सुबह खाली पेट लेनी है।
नोट:- गौ प्रेग्नेंएट नहीं होनी चाहिए नहीं तो आप उसकी बछिया का भी ले सकते है। देशी गाय की पहचान उसकी पीठ पर हंप होता है बेहतर होगा अगर आप काले रंग की देशी गाय का ही मूत्र लें याद रहे मूत्र लेना है गौ अक्र नही क्यूंकि काले रंग की गाय का मूत्र इसमें जल्दी फायदा करता है। अगर रोगी को Chemotherapy दी जा चुकी है इस दवा को देने में कुछ फायदा नही है कुछ result नही आएगा अगर Chemotherapy अभी नि दी गयी है तो आप इस दवा को ले सकते हैं।
हल्दी से कैंसर का उपचार क्यों (Why Treatment Of Cancer by Turmeric) :-
हल्दी एक Anti-Cancerous दवा है हल्दी कैंसर ठीक करने की ताकत रखती है ! कैसे ताकत रखती है वो जान लीजिये हल्दी में एक केमिकल है उसका नाम है कर्कुमिन (Carcumin) और ये ही कैंसर cells को मार सकता है और ये केमिकल हल्दी मैं पाया जाता है।
हल्दी जैसा ही कर्कुमिन और एक चीज में है वो है देशी गाय के मूत्र में । गोमूत्र माने देशी गाय के शारीर से निकला हुआ सीधा-सीधा मूत्र जिसे सूती के आट परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो । तो देशी गाय का मूत्र अगर आपको मिल जाये और हल्दी आपके पास हो तो आप कैंसर का इलाज आसानी से कर पायेंगे।
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कैंसर में क्या खाएं (What to eat in cancer) :
1. हरी सब्जियां खाएं :– कैंसर रोग में हरी सब्जियां जैसे फूलगोभी,पत्तागाोभी और ब्रोकली , पालक, मेथी आदि को सेवन में सामिल करना चहिये क्यूंकि ये हरी सब्जियां डिटोक्सीफिकेशन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जो कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं।
2. ताजे फल खाएं :- कैंसर रोग में ताजे फल जैसे अंगूर , पपीता , तरबूज , अमरुद आदि का सेवन करना चहिये क्यूंकि ये फल कैंसर को होने से रोकते हैं।
3. ताजा रस पियें :- सुबह-सुबह प्रतिदिन नीबू , संतरा , मौसमी का जूस पीना चहिये ये भी कैंसर के खतरे को टालते हैं।
4. ड्राई फ्रूट्स खाएं :- ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम, किसमिस, छुआरे, मुनक्का आदि का सेवन करना चहीये ये सभी कैंसर के फैलाब को रोकते हैं।
5. लहसुन के सेवन करें :- कैंसर रोग में रोगी का लहसुन का सेवन करना चहिये ये कैंसर रोग के खत्म होने की क्षमता रखता है क्यूंकि ये शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखता है।
6. गो मूत्र पिए :- कैंसर रोग में गौ मूत्र और ज्वारे का रस पीना चहिये क्यूंकि ये कैंसर को खत्म करते।
7. ग्रीन टी पिए :- ग्रीन टी पीने से भी ब्रैस्ट कैंसर से छुटकारा मिलता है।
8. प्रोटीन का सेवन :- कैंसर रोग में प्रोटीन का अधिक सेवन करना चहिये प्रोटीन के स्रोत्र जैसे चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, लोभिया, गेहूँ, मक्का प्रमुख हैं।
कैंसर में क्या नही खाएं (Do not eat in cancer) :
1. नशीले पदार्थ :- नशीले पदार्थ जैसे तम्बाकू, कुबेर, गुटका, सिगरेट बिंडी, इत्यादि का सेवन न करें। क्यूंकि ये सभी कैंसर को बढ़ावा देते हैं।
2. कैलोरी वाला भोजन :- ज्यादा केलोरी वाले का खाने का सेवन जितना हो सकें उतना ही कम करें। क्यूंकि कैंसर रोग में जादा कैलोरी का सेवन परेशानी बढ़ा सकता है।
3. स्वादनुसार नमक :- कभी भी खाना पकने के बाद ऊस पर ऊपर से नमक नहीं डालना चहिये खाना बनते समय ही नमक डालना चहिये केवल स्वादनुसार ही नमक खाना चहिये।
4. मॉस का सेवन न करें :- ज़्यादा चर्बी वाला भोजन न करें। माँस, तला भुना खाना आदि को अपने सेवन में सामिल न करें क्यूंकि ये आसानी से पचते नहीं हैं।
5. मीठे पदार्थ का सेवन :- कैंसर रोग में मीठे पदार्थों का सेवन नहीं करना चहिये क्यूंकि ये परेशानी बढ़ा सकते हैं।
6. सैचुरेटिड फूड्स न खाएं :- कैंसर होने पर सैचुरेटिड फूड्स बहुत हाई एमाउंट में नहीं खाने चाहिए अगर आप खाना चाहते हैं तो कम मात्रा में खाएं।
कैंसर से बचने के उपाय (Measures to Avoid Cancer)
1. तली हुई चीजो का सेवन न करें :- ज्यादा से ज्यादा तली हुई चीजो का सेवन न करें और खाने में डालडा घी की जगह सुद्ध देशी तेल जैसे सरसों ,नारियल ,मूँगफली का सेवन करें।
2. जाँच कराएँ :- जब भी आपको लक्षण को देखकर लगे की ये कैंसर के लक्षण है तो समय पर जाँच करा लेनी चहिये।
3. योन सम्बन्ध :- जादा लोगों से योन सम्बन्ध नहीं बनाने चहिये अगर किसी को कैंसर है तो वो आपको भी हो सकता है।
4. पैन किलर दवा :- पैन किलर या दर्द निवारक दवा का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चहिये या फिर इनकी आदत छोडनी चहिये।
5. योगासन करें :- सुबह-सुबह जग कर योग करने चहिये घूमना चहिये इनसे व्यक्ति बीमारियों से दूर रहता है।
6. वेग न रोकें :- कभी भी अपने वेग नहीं रोकने चहिये वेग मतलब छींक आना , बाथरूम आना , हंसी आना आदि इनको कभी भी नही रोकना चहिये।
7. वजन कम करें :- अगर आपका वजन जादा है तो अपना वजन कर करें ये भी एक कैंसर का कारण है।
8. तनावमुक्त रहें :- कभी भी चिंता न करें और कोई भी मानसिक कार्य जादा न करें और खुश रहें।
सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जेसे अनुलोम विलोम , कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी। – योग से कैंसर का इलाज