बुखार :
बुखार आज कल आम तोर पर हर व्यक्ति को हो जाता है। बुखार भी कई तरीके का होता है जेसे वायरल फीवर, मलेरिया, मोतीजीरा, लंगड़ा बुखार इत्यादि जो भी व्यक्ति इनकी चपेट में आ जाता है। तो उसको कई परेसानियो का सामना करना पड़ता है कुछ बुखार इसे भी है जो बहुत दिनों तक जाते नहीं है। जिनसे व्यक्ति बहुत ही कमजोर हो जाता है तथा उसकी प्लेट बी डाउन हो जाती है।
जिससे व्यक्ति को जान का खतरा हो जाता है कुछ लोग इतने लापरवाह होते है जो इसकी तरफ ध्यान नहीं देते और उनको बाद में इस समस्या का सामना करना पड़ता है। तो भाइयो जब भी आपको बुखार हो तो घबराएँ नहीं और नहीं डॉ. के पास जाएँ बस इन आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रयोग करें जो आपको नीचे बताई गयीं है।
बुखार को कैसे नापते है :-
जब व्यक्ति के शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाये तो उस दशा को ज्वर या बुख़ार (अंग्रेजी मैं फीवर) कहते है। कुछ लोग समझते हैं की बुखार एक रोग है भाइयो यह रोग नहीं है बल्कि एक लक्षण (सिम्टम्) है जो बताता है कि शरीर का ताप नियंत्रित करने वाली प्रणाली ने शरीर का वांछित ताप (सेट-प्वाइंट) १-२ डिग्री सल्सियस बढा दिया है।
मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान ३७°सेल्सियस या ९८.६° फैरेनहाइट होता है। जब शरीर का तापमान इस सामान्य स्तर से ऊपर हो जाता है तो यह स्थिति ज्वर या बुखार कहलाती है। ज्वर कोई रोग नहीं है। यह केवल रोग का एक लक्षण है। किसी भी प्रकार के संक्रमण की यह शरीर द्वारा दी गई प्रतिक्रिया है। बढ़ता हुआ ज्वर रोग की गंभीरता के स्तर की ओर संकेत करता है।
विभिन्न लोगों में शरीर के तापमान में एक सामान्य भिन्नता है, इसलिए कोई भी मूल्य नहीं है जिसे बुखार के रूप में परिभाषित किया गया है। हालांकि, निम्नलिखित तापमान आम तौर पर बुखार के रूप में स्वीकार किए जाते हैं, यहाँ निर्भर करता है कि तापमान कहाँ और कैसे मापा जाता है
- 100.4 डिग्री सेल्सियस (38 डिग्री सेल्सियस) से गुदा का तापमान
- ओरल तापमान 100 डिग्री सेल्सियस (37.8 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर
- ऐक्सिलरी (बगल) तापमान 99 डिग्री सेल्सियस (37.2 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर
- कान (tympanic झिल्ली) तापमान 100.4 डिग्री सेल्सियस (38 डिग्री सेल्सियस) से गुदा मोड में या 99.5 डिग्री फेरनहाइट (37.5 डिग्री) मौखिक मोड में
- 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर माथे (लौकिक धमनी) का तापमान
बुखार के प्रकार (Types Of Fever In Hindi) :
यहाँ ध्यान दिया जाना चाहिए कि निम्नलिखित प्रकार के बुखार एसोसिएशन को आमतौर पर क्लासिक एसोसिएशन के रूप में देखा जाता है और ओवरलैप हो सकता है।
1. निरंतर बुखार (Continuous Fever) :- इसमें तापमान पूरे दिन सामान्य रहता है और 24 घंटों में 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक उतार चढ़ाव नहीं होता है। इस प्रकार का बुखार लोवर निमोनिया, टाइफाइड, मूत्र पथ के संक्रमण, संक्रमित एंडोकार्टिटिस, ब्रुसेलोसिस, टाइफस आदि में होता है।
2. आंतरायिक बुखार (Intermittent Fever) :- इसमें तापमान केवल एक दिन में कुछ घंटों के लिए होता है और शेष घंटों के लिए सामान्य रहता है।यह प्रक्रिया हर दूसरे दिन या फिर कुछ दिनों में आमतौर पर अपने आपको बार बार दोहराती है। आंतरायिक बुखार के लिए उत्तरदायी कुछ बीमारियों में मलेरिया, प्यूमिया और सेप्टीसीमिया शामिल हैं।
3. प्रेषित बुखार (Remittent Fever) :- तापमान पूरे दिन सामान्य रहता है और 24 घंटों में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है। इस प्रकार का बुखार आमतौर पर टाइफाइड संक्रमण और संक्रामक एन्डोकार्टिटिस के रोगियों में देखा जाता है।
4. सेप्टिक बुखार (Hectic or Septic Fever) :- एक बहुत ही उच्च तापमान जो एंटीपीयरेटिक्स के साथ सुधार नहीं करता है एक सेप्टिक बुखार का संकेत कर सकता है चोटी और नादिर के बीच तापमान भिन्नता बहुत बड़ी है और 5 डिग्री सेल्सियस से अधिक है। इस प्रकार के बुखार सेप्टेसिमेमिया में होते हैं |
5. पेल एब्स्टीन बुखार (Pel Ebstein fever) :- इस प्रकार में, बुखार और ह्वायर्रिल अवधि के आवर्तक झुकाव का एक नियमित रूप से प्रक्षेपण होता है। तापमान में वृद्धि के लिए 3 दिन लग सकते हैं, 3 दिनों के लिए उच्च रहता है और 3 दिनों में रिमाइट्स, 9 दिनों के लिए एपीरेक्सियल के बाद।
6. आवधिक बुखार (Periodic Fever) :- ये बुखार की पुनरावृत्ति हैं जो कुछ दिनों से कुछ हफ्तों तक चले जाते हैं और लक्षण मुक्त अंतराल से अलग होते हैं। बुखार का यह पैटर्न आवर्तक संक्रमण, दुर्भावनापूर्ण या गैर-संक्रामक भड़काऊ बीमारियों के कारण हो सकता है।
बुखार के लक्षण :-
1. मरीज को शरीर में थकावट सी महसूस होती है।
2. सर भारी -२ सा होने लगता है।
3. कोई भी चीज खाने में स्वाद नहीं लगती।
4. सर में दर्द भी होता है।
5. शरीर कमजोर पड़ जाता है।
6. लंगड़े बुखार में लंगड़ा पन आना शुरू हो जाता है।
7. शरीर सुस्त रहता है|
8. नाक बहने लगती है|
9. भूक नहीं लगती|
10. आँखों में दर्द रहता है|
11. हार्ट बीट बढ़ने लगती हैं|
12. त्वचा गर्म रहती है ये इसका मुख्य लक्षण है|
13. बार बार पसीना आने लगता है|
14. माँसपेशियों और जोड़ों में दर्द रहता है|
बुखार आने के कारण :-
बुखार निम्नलिखित कई कारणो से होता है जिनमें से कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं :-
1. मौसम में परिवर्तन :- मौसम में एक साथ परिवर्तन आने से भी बुखार आ जाता है मौसम में परिवर्तन होने की वजह से शरीर के तापमान पर भी प्रभाव पड़ता है जिससे बुख़ार हो जाता है इसलिए मौसम के अनुसार वस्त्र पहने|
2.जादा थकावट से :- शरीर में ज्यादा थकावट के कारण बुखार आ सकता है जैसे अगर आप कोई काम की शुरुआत करते हैं तो पहले दिन ही बहुत काम कर लेते हैं तो थकावट हो जाती है जिससे बुखार आ सकता है|
3. तनाव के कारण :– बुखार का सबसे मुख्य कारण है चिंता या तनाव जब आप जरुरत से जादा चिंता करोगे तो आपको मानसिक परेशानी और बुखार का सामना करना पड़ सकता है|
4. समय पर भोजन :- जब व्यक्ति भोजन समय पर नहीं करता तो उससे वात , पित्त कफ का संतुलन बिगड़ सकता है जिससे बुखार की समस्या हो सकती है।
5. जुकाम के कारण :- अगर आपको जुकाम है या cold है तो इससे भी बुखार चढ़ जाता है। यह भी इसका मुख्य कारण हैं|
6. दूषित भोजन का सेवन :- लोग जब बहार के सामन जैसे पेटीज, बर्गर, तली हुई चीज या दूषित भोजन अधिक मात्रा में करते हैं तो आपको बुखार की शिकायत हो सकती है|
7. मलेरिया रोग से :- जब आपको मलेरिया रोग हो जाता तो इसके साथ बुखार भी आ जाता है इसलिए बुखार होने पर खून की जाँच अवस्य करा लेनी चाहिए|
8. तपेदिक (टी.बी.) के कारण :- तपेदिक रोग के अधिक रहने के कारण भी बुखार चढ़ जाता है या बुखार रहता है।
9. श्वसन संबंधी संक्रमण :- श्वसन संबंधी संक्रमण जैसे न्युमोनिया एवं सर्दी, खाँसी, टॉन्सिल, ब्राँन्कायटिस आदि के कारण भी बुखार चढ़ सकता है।
10. वायु के द्वारा :- वायु द्वारा उत्पन्न सूक्ष्म कणों का भीतर जाना (जब कोई व्यक्ति खाँसता, छींकता, जम्हाई लेता या बात भी करता है, तो वह अपने शरीर में स्थित वायरस से युक्त तरल के सूक्ष्म कण उत्सर्जित करता है)।
11. नींद की कमी :- सोने में अनियमितता होने के कारण भी बुख़ार हो जाता है इसलिए जरूरी है कि पर्याप्त नींद लें. अपने सोने और उठने का समय निश्चित करें |
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बुखार के घरेलू उपाय :-
इस दवा के सेवन से सभी प्रकार के बुखार 100 प्रितिसत ठीक हो जाते हैं-
20 पत्ते तुलसी के | 10gm सोंठ (सुखी अदरक) | 5gm नीम की गिलोय का सत | 10 छोटी पीपर के टुकड़े |
सबसे पहले आपको 20 पत्ते श्यामा तुलसी जिसके पत्ते हरे गहरे होते है लेने हैं और 10gm सोंठ(सुखी अदरक) लेनी है और 5gm नीम की गिलोई का सत् लेना है और 10 छोटी पीपर के टुकड़े लेने हैं अब इन सभी चीजों को एक साथ कूट लें कूटने के लिए आप इनामद्स्ता या सिलबाट को प्रयोग में ला सकते हो।
अब इस दवा में से गिलास पानी लेके उसमें ये दवा डालनी है और इसे उबालना है जब तक उबालना है तब तक की आधा गिलास न रह जाए अब इसे ठंडा करने के बाद रोगी को दिन मैं तीन बार पिला दें सुबह, दोपहर और श्याम इससे आपका बुखार एक दम ठीक हो जाएगा।
बुखार की दूसरी दवाई :-
श्यामा तुलसी जिसके पत्ते हरे गहरे होते है इसका काढ़ा बनाकर पीना है काढा बनाना कैसे है कि सबसे पहले थोड़ा पानी गैस पर रख दो गर्म होने के लिए फिर उसमे तुलसी के 10-12 पत्ते डाल दो थोड़ा सा पानी को उबाले फिर उसको थोड़ा सा ठंडा करके रोगी को पिला दे इससे बुखार उतर जाता है अगर आपको थोडा तेज बुखार है तो आप इस काढ़े में अदरक का रश, 8-10 छोटी पीपल मिला लें और अगर फिर भी बुखार नही उतरता है तो इस काढ़े में आप नीम की छाल का पाउडर मिला लें और रोगी की पिला दें इस दवा से तेज से तेज बुखार भी उतर जाता है।
अदरक की चाय से : अकसर बुखार में खांसी जुखाम भी हो जाता है इस अवस्था से मुक्ति के लिए अदरक बहुत लाभदायक होता है. आप इसका उपयोग चाय में अदरक डालकर भी कर सकते हो. चाय में आप दो तीन काली मिर्च भी जरुर डालें. इससे आपका गला भी खुल जाता है और जुकाम दूर से निजात मिलती है
शहद और लौंग : लौंग को पीसकर अच्छे से शहद में मिलाकर चाटें. ऐसा करने से बुख़ार पर कंट्रोल रहेगा|
बुखार में क्या खाएं :
1. खूब पानी पियें :- बुखार से प्रभावित होने पर बहुत मात्र में पानी पीना चाहिए। कारण, वायरस और जीवाणु निर्जलित इकाइयों में बेहतर और हमारे शरीर-द्रव समारोह में मौजूद सफेद रक्त द्रव इकाइयों को बेहतर बनाते हैं और शरीर को ठीक से हाइड्रेटेड होने पर अधिक आसानी से हटा दिए जाते हैं।
2. फल खाएं :- बुखार में ताजे फलों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है। ताजे फल जैसे संतरे, मोसंबी, तरबूज, अनानास, कीवी आदि में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। आप चाहें तो फलों का जूस बना कर भी पी सकते हैं।
3. नारियल पानी पियें :- अध्ययनों से पता चलता है कि नारियल का पानी व्यायाम और दस्त के हल्के मामलों के बाद पुन: फैलाव में मदद करता है। यह इसी तरह की पेय की तुलना में कम पेट की परेशानी का कारण बनता है|
4. गर्म चाय पियें :- जब भी आपको बुखार हो तो हल्की गर्म चाय पीनी चहिये क्यूंकि चिकन सूप की तरह, गर्म चाय एक प्राकृतिक decongestant के रूप में कार्य करती है।
5. लहसुन खाएं :- बुखार होने पर लहसुन चबाएं इसका उपयोग सदियों से एक औषधीय जड़ी बूटी के रूप में किया गया है।
6. दलिया खाएं :- बुखार से प्रभावित होने पर दलिया सा सेवन बहुत अच्छा है क्यूंकि ये एक हल्का भोजन है जो आसनी से पच जाता है|
7. शहद का सेवन :- बुखार में शहद का सेवन बहुत लाभकारी होता है सेवन के लिए एक गर्म गिलास दूध, पानी या एक कप चाय के साथ आधा चम्मच (2.5 मिलीलीटर) शहद मिलाएं। यह एक hydrating, खांसी-सुखदायक, जीवाणुरोधी पेय है|
8. खिचड़ी खाएं :- बुखार आने पर आप खिचड़ी का सेवन कर सकते हैं। खिचड़ी पचने में हल्की और कम कैलोरी वाली होती है। बुखार होने पर इसे आप नींबू के आचार के साथ भी खा सकते हैं इससे आपकी भूख बढ़ती है।
9. हरी सब्जियां खाएं :- बुखार में आप शरीर को ताकत देने वाली चीजे ही खाएं इसके लिए हरी सब्जियां खाना बहुत ही फायदेमंद होता है। हरी सब्जियों में आप पालक, मेथी, टमाटर, शिमला मिर्च, भिंडी खा सकते हैं।हरी सब्जियों में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होता है जो शरीर को नयी ऊर्जा देते हैं।
10. चिकन सूप पियें :- बीमार से पीड़ित व्यक्ति के लिए चिकन सूप पीना बहुत ही लाभकारी होता है। चिकन सूप को पीने से बुखार के बैक्टीरिया जल्दी नष्ट हो जाती हैं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
बुखार में क्या नहीं खाएं :
1. कच्चा दूध न पिये :- बुखार के दौरान बिना उबला हुआ दूध या उससे बने पदार्थों का प्रयोग ना करें। क्यूंकि ये आसानी से पचते नहीं हैं |
2. कोलेस्ट्रॉल वाले पदार्थ :- ऐसा कोई भी मांश जिसमे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा हो जैसे रेड बीफ, घोंघा इत्यादि का प्रयोग ना करें।
3. पेय पदार्थ में :- पेय पदार्थ जैसे कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, चाय, कॉफी इत्यादि का प्रयोग ना करें। क्यूंकि ये बहुत नुकसानदायक होते हैं|
4. नशीले पदार्थ :- बुखार के दौरान शराब, धूम्रपान, और तंबाकू जैसी चीजों का सेवन ना करें।
5. मांस खाने से बचें :- मांस, मछली, सीप या किसी भी प्रकार के मांस को खाने से बचना चाहिए क्युकी, इन सभी खाद्य पदार्थो से कोलेस्ट्रोल बढता है और ये पचाने में भी आसान नहीं होते है।
6. संक्रमित भोजन करने से बचे :-खार एक संक्रमण है जिसमें कई विनाशकारी बैक्टीरिया हमारे शरीर में घुसते रहते हैं और शरीर को हानि पहुंचते हैं। अब यह बहुत जरूरी है की इस संक्रमण का सही तरह से निषेध किया जाए। आप जब भी फल खाएं उन्हें अच्छी तरह से धो कर खाएं, एक बार काटे गए फल को उसी समय खा लेना चाहिए क्यूंकि इससे काटे गए फल पर ज्यादा बैक्टीरिया आकर बैठ जाते हैं। बांसी भोजन करने से बचें।
बुखार में परहेज बनाएँ :-
1. रोगी को ठन्डे पधार्त का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. तली हुई चीजो का सेवन बिलकुल न करें।
3. समय पर ही खाना खाएं।
4. तीखे मिर्च मसालों का सेवन भी न करें।
5. बहार की चीजे जेसे पिज़्ज़ा, बर्गर, पेटीज, कोल्ड ड्रिंक, इत्यादि का सेवन बिलकूल भी न करें।
6. यदि आपको बुखार है तो कसरत या exercise न करें बल्कि आराम करें।
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बुखार से बचने के उपाय :-
1. वायरल फीवर से ग्रस्त रोगी की वस्तुओं का इस्तेमाल ना करें और न ही उसका झूठा खाएं |
2. अगर किसी को बुखार है तो उसके आस पास सफाई बनाये रखें |
3. छींक या खांसी आते समय रुमाल का प्रयोग करना चाहिए उसके विषाणुओं न फैले |
प्राणायाम करें :-
सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जेसे आलोम-बिलोम , कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी|
कपालभाती | अनुलोम – विलोम |